पिथौरागढ़ जिला

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मेरे बचपन की गंगावली
Posted on 09 Mar, 2019 08:25 PM

बचपन तो बचपन ही होता है चाहे वह किसी भी परिवेश में बीता हो। बचपन की यादों की बारात भी लम्बी होती है। सरयू और रामगंगा के मध्य में बसे गंगावली क्षेत्र यानी परगना गंगोलीहाट में पट्टी बेल के 105 और भेरंग के 95 गाँव शामिल हुआ करते थे। वर्तमान गंगोलीहाट बाजार को तब जान्धवी (अपभ्रंश में जान्धबि) कहा जाता था। जान्धवी नौले का जल गंगा के समान पवित्र और निर्मल माना

महाकाली मन्दिर गंगोलीहाट
मेरी यादों का दार्चुला
Posted on 06 Mar, 2019 11:34 AM
मेरा जन्म 24 दिसम्बर, 1941 में नेपाल के छोटे से गाँव दार्चुला में हुआ। मेरी माँ का नाम स्व. श्रीमती पदी देवी ऐतवाल और पिता का स्व.
उत्तराखण्ड
मेरा पिथौरागढ़
Posted on 01 Mar, 2019 01:28 PM
उस समय मैंने जवानी की दहलीज में कदम रखा ही था। पिता का स्थानान्तरण चमोली के जनजातीय सीमान्त से कुमाऊँ के सीमान्त मुनस्यारी हो गया था। यह पिथौरागढ़ को छूने का मेरा पहला मौका था। बागेश्वर से कपकोट पैदल सामाधूरा से होकर परिवार चला जा रहा था। सारे रास्ते मुझे नीती घाटी वाले ही लग रहे थे। यहाँ बस नाम बदले थे –सामाधुरा, तेजम, गिरगाँव। बड़े-बड़े कुत्तों से बच रहा थ
गंगोलीहाट, पिथौरागढ़
बचपन की छवियाँ
Posted on 25 Feb, 2019 12:14 PM
इजा कहती हैं कि मैं जब पेट में था तो कभी स्थिर नहीं रहा। जब मैं नौ महीने बीत जाने पर भी पैदा नहीं हुआ तो घर में घबराहट शुरू हो गई। पिता जी कहा करते थे कि इस बार भागा की मतारी का बचना मुश्किल ही है। लेकिन मैं हुआ 11वें महीने में और माँ भी बच गई। अब भी इजा कहती है, इस बैरी ने पेट से ही दुःख दिया। दो और चार वर्ष की अवस्था में मैं, बुरी तरह से जला लेकिन बच गया।
गोविंद सिंह
मेरा सोर - कुछ यादें
Posted on 23 Feb, 2019 11:36 AM
व्यापार के सिलसिले में पिताजी काली कुमाऊँ से वड्डा आये। मेरा जन्म वड्डा में हुआ फिर पिताजी ने कुछ सम्पत्ति पिथौरागढ़ में भी ली। प्रारम्भिक शिक्षा पिथौरागढ़ (तिलढुकरी) में शुरू हुई। बड़े भाई की असामयिक मृत्यु के बाद परिवार पिथौरागढ़ की सम्पत्ति बेचकर वड्डा चला गया। वहाँ समीप के चौपखिया प्राइमरी स्कूल से पढ़ाई का सिलसिला चला। तब परगना सोर अल्मोड़ा जिले के अन्त
पुराना पिथौरागढ़ (सोर) का दृश्य
मेरे हिस्से का पिथौरागढ़
Posted on 22 Feb, 2019 01:23 PM

फ्लोरोसिस (फोटो साभार - छत्तीसगढ़ की आवाज) इनरेम फाउंडेशन द्वारा नीति आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई मिशन की एक झलक

मुख्य बिंदु:

- पानी की खराब गुणवत्ता और उससे पैदा होने वाली बीमारियों से लड़ने के लिये एक राष्ट्रीय कार्यक्रम

नैन सिंह ऐर
प्रदेश के दृश्य चित्रकारों का कला एवं पर्यावरण में सार्थक योगदान
Posted on 21 Feb, 2019 05:11 PM
मध्य प्रदेश प्राकृतिक सम्पदा से परिपूर्ण क्षेत्र है। प्राकृतिक दृश्यों की मनोरमता यहाँ के पर्यावरण में परिलक्षित होती है। एक दृश्य चित्रकार प्रकृति की गोद में पला बढ़ा। उसने सृष्टि के परिदृश्य का अवलोकन कर आत्मसात किया। अपने कैनवस पर रंगों से क्रीड़ा करते हुए प्रकृति के अनुपम सौन्दर्य को साकार किया। किसी भी दृश्य चित्रकार के लिये प्राकृतिक, सांस्कृतिक और कला
Devlalikar
परगना अस्कोट
Posted on 16 Feb, 2019 12:11 PM
ऐतिहासिक साक्ष्यों से यह तथ्य सामने आता है कि अस्कोट राज्य की स्थापना सन 1238 ई. में हुई और यह 1623 ई. तक स्वतंत्र रूप में विद्यमान रहा। अपनी स्थिति एवं विशिष्टता के कारण यह कत्यूरी, चन्द, गोरखा व अंग्रेजी शासन के बाद स्वतंत्र भारत में जमींदारी उन्मूलन तक रहा।
अस्कोट वन्य जीव अभयारण्य
जोहार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
Posted on 12 Feb, 2019 05:48 PM

वर्तमान का अतीत में समाहित होकर भविष्य में उजागर होना ही इतिहास है। यह आलेख, शिलालेख, गुहा चित्र, ताम्र पत्र, धातु या मृदा भांड, मूर्ति अथवा जीवाश्म के रूप में प्राप्त वस्तुओं के सूक्ष्म अध्ययन के पश्चात निर्धारित किया जाता है। जब आज भी इतिहासकार आर्यों के मूल स्थान तथा उनके भारत आगमन के सम्बन्ध में एक मत नहीं हैं तो हिमालय के सुदूर दुर्गम जोहार घाटी जैसे एक बहुत छोटे क्षेत्र और इस क्षेत्र का

उत्तराखण्ड
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