पिथौरागढ़ जिला

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पिथौरागढ़ के नौले-धारे, इतिहास बनने की राह पर
Posted on 25 Sep, 2016 12:01 PM
मैदान में रहने वाले लोगों के लिये पहाड़ों में बने नौले-धारे हमेशा से ही इस प्रकार के स्थान रहे हैं जिसको ये लोग बड़े आश्चर्यजनक तरीके से निहारते हैं। आखिर नौले-धारे जो कभी पहाड़ों की जान और शान हुआ करते थे, आज अपने अन्तिम दिनों की साँस ले रहे हैं। नौले-धारों की इस दुर्दशा के लिये जितनी दोषी सरकारें रही हैं वही इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जवाबदेही भी इस दुर्दशा के लिये कम नहीं है।

मैदान की बावड़ियों में जिस प्रकार से नीचे पानी और ऊपर सीढ़ियों का निर्माण होता था ठीक उसी प्रकार से चंद शासनकाल में बावड़ी स्थापत्यकला का शिल्पकारों ने पहाड़ों में नौलों का निर्माण किया। जो आज हम नौलों का स्वरूप देखते हैं वो आज से 300 साल पहले चंद शासनकाल में बने थे। चंद शासनकाल में पूरे कुमाऊँ क्षेत्र में इस प्रकार से नौलों का निर्माण हुआ था।
विकास के केंद्र में नहीं पहाड़ी समाज
Posted on 31 Jul, 2016 02:33 PM
16-17 जून 2013 को उत्तराखण्ड में आई विनाशकारी आपदा के बाद इस साल पिथौरागढ़ के बस्तड़ी और चमोली जिले के घाट क्षेत्र में हुए जान-माल के भारी नुकसान ने साबित कर दिया है कि हमारी सरकारें घटनाओं-दुर्घटनाओं से कुछ भी सीखने को तैयार नहीं हैं। हालाँकि बादल का फटना पहाड़ में सामान्य घटना है और इसे रोक पाना शायद किसी भी सरकार के लिये संभव नहीं है किंतु सरकारें
पलायन से बंजर हुई पहाड़ी खेती
Posted on 31 Jul, 2016 02:16 PM
गंगोलीहाट। पहाड़ी क्षेत्रों में पैदा होने वाला खाद्यान्न अत्यन्त पौष्टिक होता है। पलायन के कारण आज लोगों के खेत बंजर पड़े हैं। जो लोग पहाड़ों में रह रहे हैं, परिश्रम के अनुरूप उत्पादन न होने के कारण खेती नहीं कर रहे हैं। सिंचाई, बिजली व अन्य सुविधाएँ उपलब्ध करा कर इस ओर व्यापक प्रयास की जरूरत है। पहाड़ों में वीरान पड़े गाँव, क्षतिग्रस्त घर और बंजर पड़े खेत पलायन के दर्द को खुद ही बयां कर रहे
पर्यावरण के ठेकेदारों का नहीं कोई अता-पता
Posted on 20 May, 2016 11:37 AM
पिथौरागढ़। दावानल की प्रचण्ड ज्वालाएं सुनहरी घाटियों के लिये अभिशाप बन गयी हैं, पहाड़ों में जंगलों में लगी आग के कारण वनों का सौन्दर्य नष्ट होता जा रहा है। खाक में विलय होते वन पर्यावरण जगत में गहरे संकट का कारण बनते जा रहे हैं, वन्य जीव-जन्तुओं का अब वनों में रहना दुश्वार हो गया है। सूखते जल स्रोतों ने लोगों के माथे की चिंताएं बढ़ा दी हैं। अन
उत्तराखण्ड में बढ़ता भूकम्प का खतरा
Posted on 26 Dec, 2015 12:43 PM
भू-वैज्ञानिकों ने आने वाले समय में उत्तराखण्ड में बड़े भूकम्पों की आशंका जताई है
हिमालय सिर्फ तीस प्रतिशत भू-भाग का हिस्सा नहीं तमाम हिस्सों का रेगूलेटर है
Posted on 15 May, 2014 02:33 PM ‘केंद्रीय श्रम राज्य मंत्री, भारत सरकार’ श्री हरीश रावत बाद के दौर में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री भी रहे। 9 सितंबर 2011 को हिमालय दिवस के अवसर पर उनका वक्तव्य हुआ था। उनके वक्तव्य का लिखित पाठ यहां प्रस्तुत है।
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