नैनीताल जिला

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नैनी झील सूखने के कगार पर
Posted on 07 Mar, 2016 01:36 PM नैनीताल, 6 मार्च (जनसत्ता)। नैनीताल की नैनी झील अब सूखने के कगार पर है। इस मौसम में झील के जल स्तर में काफी गिरावट आ गई है। नैनी झील पानी का स्तर शून्य से करीब चार फीट नीचे पहुँच गया है। झील के जलस्तर में पिछले साल के मुकाबले करीब नौ फीट और 2014 के मुकाबले साढ़े सात फीट की गिरावट आ गई है। जल स्तर में गिरावट का यह सिलसिला लगातार जारी है।
कोसी घाटी : जहाँ चलता है खनन माफ़िया का बेखौफ राज
Posted on 26 Dec, 2015 12:59 PM
हर बार कोसी घाटी में खनन के नाम पर माफ़िया मोटी चाँदी काटते हैं और अवैध खनन पर अंकुश लगाने का दावा करने वाला प्रशासन मूक बना रहता है। खनन माफ़िया की ताकत व सम्बन्धित अधिकारियों से साँठ-गाँठ के चलते सम्पूर्ण कोसी घाटी में जहाँ हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि चौपट हो चुकी है, वहीं अपराध भी सिर फैलाने लगे हैं। गुण्डागर्दी, छेड़खानी, महिलाओं को भगाने जैसे अपराध क्षेत्र में आम होने लगे हैं। भय एवं दहशत
पर्वतीय क्षेत्रों में जल स्रोत अभयारण्य का विकास
Posted on 04 Sep, 2015 03:14 PM

प्रस्तावना


1. जल के बिना जीवन असम्भव है। जल पीने, घरेलू कार्य तथा सिंचाई इत्यादि हेतु आवश्यक है। इसका उपयोग ऊर्जा उत्पादन के लिये भी होता है। जल की कमी एवं दुरुपयोग से खाद्यान्न सुरक्षा, मानव स्वास्थ्य एवं विकास कार्यों पर बुरा असर पड़ता है।
जल स्रोत का उपयोग
Posted on 03 Sep, 2015 12:48 PM

1. शुद्ध पेयजल


स्वस्थ शरीर के लिये स्वच्छ व निर्मल जल अत्यधिक आवश्यक है। वर्तमान में जल-प्रदूषण एक गम्भीर समस्या का रूप ले चुकी है। अधिकतर जल स्रोत, नदी, नाले जल प्रदूषण से प्रभावित है। जिसका स्पष्ट प्रभाव गर्मी व बरसात के दिनों में दिखाई पड़ता है जबकि अधिकतर गाँव पानी से फैलने वाली बीमारियों जैसे-पीलिया, पेचिश, टाइफाइड, हैजा आदि रोगों से पीड़ित रहते हैं।
जल स्रोत का जीर्णोद्धार व रखरखाव
Posted on 03 Sep, 2015 12:33 PM उत्तरांचल में जल स्रोत की भौगोलिक संरचना के आधार पर विभिन्न प्रकार के जल संग्रहण ढाँचे हैं। लम्बे समय से इन स्रोतों की उपेक्षा व कुप्रबन्धन के कारण अधिकतर जल स्रोतों की स्थिति दयनीय हो गई है तथा अधिकतर जल स्रोत प्रदूषित हो गये हैं। इन स्रोतों से स्वच्छ जल का निरन्तर प्रवाह बनाये रखने के लिए इन स्रोतों का जीर्णोद्धार व रख-रखाव अति आवश्यक है।

1. नौले

जल स्रोत संरक्षण से आबाद हुई बंजर भूमि
Posted on 03 Sep, 2015 11:52 AM

आर्थिक स्तर में सुधार के साथ ही गाँववासियों का वनों व जल स्रोतों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ी फलस्वरूप ग्रामवासियों ने वर्ष 1998 में अपनी सम्पूर्ण सिविल भूमि पर वन पंचायत का गठन किया। वर्तमान में सभी ग्रामवासी वन पंचायत संगठन के अन्तर्गत अपने वनों का प्रबन्धन सुचारू रूप से कर रहे हैं।

छियोड़ी गाँव नैनीताल जिले के कोश्यिा-कुटौली तहसील में समुद्र तल से 1700 मीटर की ऊँचाई पर बसा है। इस गाँव में पहुँचने के लिए अल्मोड़ा-नैनीताल मोटर मार्ग में स्थित सुयाल खेत से 6 कि.मी. की सीधी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है इस कारण यह गाँव हर प्रकार से उपेक्षित रहा है। वर्तमान में गाँव में कुल 33 परिवार निवास करते हैं जबकि लगभग इतने ही परिवार गाँव में मूलभूत सुविधाओं की कमी, पेयजल संकट व आय स्रोतों की कमी के कारण गाँव से स्थाई रूप से पलायन कर चुके हैं। स्थानीय निवासी परम्परागत खेती व पशुपालन में अपना जीविकोपार्जन करते हैं। गाँव में निजी भूमि के अतिरिक्त 60 हेक्टेयर सिविल वन भूमि है। किन्तु सिविल वन भूमि की कोई प्रबन्धन व्यवस्था न होने के कारण अधिकतर भूमि वृक्ष विहीन होने लगी थी। वर्ष 1995 में स्थानीय स्वयंसेवी संस्था ‘चिराग’ ने गाँववासियों के साथ मिल कर सिविल वनों के संरक्षण एवं संवर्धन का कार्य प्रारम्भ किया।
उत्तरांचल में जल स्रोतों की स्थिति
Posted on 01 Sep, 2015 09:52 AM

उत्तरांचल के मध्य हिमालयी क्षेत्रों के अधिकतर जनसंख्या बाहुल्य ग्रामों में तो वर्ष भर जल स्रोतो

संकट की जड़ हमारी तटस्थता है
Posted on 11 Aug, 2015 03:43 PM मेरे मन में पहाड़ किसी अपराध बोध की तरह नहीं है और न ही मैं पहाड़ को लेकर किसी अतिरिक्त चिन्ता का शिकार रहा हूँ। यदि पहाड़ के सौंदर्य का या वहाँ की गरीबी का रोमांटिक शोषण मेरे लिए कुफ्र रहा है तो मैदानी सुविधाओं और समृद्धि का नयनाभिराम वर्णन भी मेरे लिए अपराध रहा है। मैंने जहाँ तक हो सका है स्थितियों को उनके परिप्रेक्ष्य में देखने का प्रयत्न किया है। सच्चाई
दारमा घाटीः नम्छम् कू नलमाँ दमलन नां दीनीं
Posted on 11 Aug, 2015 03:26 PM इन लोगों का दूसरा प्रमुख कार्य खेती करना है, ये प्रायः ऐसी फसलें पै
नामिक किससे करे निवेदन
Posted on 11 Aug, 2015 01:46 PM कभी यहाँ वन, वनस्पति, जीव-जन्तु देखने आओगे तो रह लेना हमारी चाख में
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