नैनी झील सूखने के कगार पर

नैनीताल, 6 मार्च (जनसत्ता)। नैनीताल की नैनी झील अब सूखने के कगार पर है। इस मौसम में झील के जल स्तर में काफी गिरावट आ गई है। नैनी झील पानी का स्तर शून्य से करीब चार फीट नीचे पहुँच गया है। झील के जलस्तर में पिछले साल के मुकाबले करीब नौ फीट और 2014 के मुकाबले साढ़े सात फीट की गिरावट आ गई है। जल स्तर में गिरावट का यह सिलसिला लगातार जारी है।

जानकारों के मुताबिक, नैनी झील का जल स्तर रोजाना करीब पंद्रह से तीस सेंटीमीटर गिर रहा है। जाड़ों के मौसम में झील के जल स्तर में ऐसी गिरावट पहले कभी नहीं देखी गई। मई-जून के महीनों में पर्यटन सीजन के चलते पानी की खपत बढ़ जाने और गर्मी के चलते आमतौर पर झील का जल स्तर नीचे चला जाता था। उन दिनों भी पानी के सतर में इतनी गिरावट कभी नहीं आई। जल स्तर में आ रही इस गिरावट से नैनीताल में पीने के पानी की आपूर्ति और पर्यटन उद्योग में बुरा असर पड़ने के आसार नजर आ रहे हैं। उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश बनाने का दावा करने वाली राज्य सरकार और झील के संरक्षण के नाम पर अब तक करोड़ों रुपए खर्च करने वाली सरकारी महकमा इससे बेखबर है।

लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता सुनील कुमार गर्ग के मुताबिक इस साल तालाब का जल स्तर पिछले साल के मुकाबले करीब तीन मीटर और 2014 के मुकाबले साढ़े सात फीट नीचे चला गया है। उत्तराखंड जल संस्थान के अधिशासी अभियंता जगदीप चौधरी के मुताबिक, झील के जल स्तर में तेजी से आ रही इस गिरावट के मद्देनजर भविष्य में पीने के पानी की आपूर्ति बाधित होने की आशंका जताई जा रही है। चौधरी के मुताबिक रोजाना गर्मियों के दिनों में पानी की खपत 22 एमएलडी तक पहुँच जाती है। तालाब के मौजूदा हालातों के मद्देनजर इस मांग को पूरा कर पाना नामुमकिन है। लिहाजा जल संस्थान अभी से पेयजल आपूर्ति में कटौती पर विचार करने लगा है।

नैनी झील ही यहाँ के लोगों की रोजी-रोटी का जरिया है। यहाँ के लोगों की पहचान है। तालाब की सेहत और खूबसूरती से नैनीताल की खूबसूरती है, क्योंकि पर्यटन ही यहाँ का मुख्य रोजगार है। सालाना अरबों का कारोबार होता है। इस झील से नैनीताल नगर ही नहीं बल्कि आसपास के इलाकों के लोगों को भी पीने का पानी और रोजगार मिलता है। 2003 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की पहल पर भारत सरकार ने नैनीताल की झील के संरक्षण और प्रबंध के लिये करीब 48 करोड़ रुपए की राष्ट्रीय झील संरक्षण परियोजना मँजूर की थी। इस योजना के तहत करीब पाँच करोड़ रुपए की लागत से झील में एयरेशन के अलावा और कोई काम नहीं हुआ। इधर झील को केन्द्र में रखकर एशियन बैंक की आर्थिक मदद से नैनीताल नगर की पेयजल आपूर्ति व्यवस्था के पुनर्गठन के लिये करीब 71 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इस योजना का काम चल रहा है। पिछले करीब 18 सालों से नैनी झील की सालाना नाप-जोख तक नहीं हो पाई है।

नैनीताल की झील का ज्यादातर जल संग्रहण क्षेत्र कंक्रीट के जंगल से पट गया है। बरसात का पानी सोख कर झील को पानी देने के लिये अब यहाँ समतल जमीन नहीं रही। नगर के सभी सड़क/ रास्ते पक्के हो गए हैं। योजनाकारों ने खेल के मैदान और ठंडी सड़क के एक हिस्से को भी टाइलों से पाट दिया है। झील का महत्वपूर्ण जल संग्रहण माने जाने वाला क्षेत्र सूखाताल अतिक्रमण की भेंट चढ़ गया है। पिछले कई सालों बाद इस बार नैनीताल की ठंड सूखी ही बीत गई। इन कारणों के चलते इस साल नैनीताल के तालाब के जल स्तर में रिकॉर्ड गिरावट आ गई है। तालाब के किनारों में मिट्टी-मलबे के बदनुमा डेल्टा पसरे नजर आ रहे हैं।

जाड़ों में पहली बार इतना जलस्तर गिरा
1. इस साल तालाब का जलस्तर पिछले साल के मुकाबले करीब तीन मीटर और 2014 के मुकाबले साढ़े साट फीट नीचे चला गया हैः लोक निर्माण विभाग

2. झील के जलस्तर में तेजी से आ रही गिरावट के मद्देनजर भविष्य में पीने के पानी की आपूर्ति बाधित होने की आशंका जताई जा रही हैः उत्तराखंड जल संस्थान

3. नैनी झील के संरक्षण के लिये करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। पर्यटन के कारण सालाना अरबों रुपए का कारोबार होता है।

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