हर बार कोसी घाटी में खनन के नाम पर माफ़िया मोटी चाँदी काटते हैं और अवैध खनन पर अंकुश लगाने का दावा करने वाला प्रशासन मूक बना रहता है। खनन माफ़िया की ताकत व सम्बन्धित अधिकारियों से साँठ-गाँठ के चलते सम्पूर्ण कोसी घाटी में जहाँ हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि चौपट हो चुकी है, वहीं अपराध भी सिर फैलाने लगे हैं। गुण्डागर्दी, छेड़खानी, महिलाओं को भगाने जैसे अपराध क्षेत्र में आम होने लगे हैं। भय एवं दहशत के माहौल ने इस शान्त व सुन्दर घाटी की शक्ल बिगाड़कर रख दी है। खनन माफ़िया की दबंगई के आगे पुलिस प्रशासन तक बेबस साबित हो रहा है।
बेतालघाट : जनपद नैनीताल अन्तर्गत विकासखण्ड बेतालघाट में कोसी नदी घाटी क्षेत्र में अवैध खनन का काला कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। स्थानीय ग्रामीण यहाँ चल रहे अवैध खनन के खिलाफ लगातार संघर्षरत हैं और पिछले तीन वर्षों में तहसील प्रशासन से लेकर पुलिस प्रशासन, जिला प्रशासन, वन विभाग, स्थानीय विधायक तथा शासन व मुख्यमंत्री दरबार तक शिकायतें करके थक चुके हैं, परन्तु आज तक न तो अवैध खनन माफ़िया के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई और न ही अवैध खनन के इस काले कारोबार को बन्द कराने की जरूरत समझी गई। परिणामस्वरूप इस घाटी के लगभग बीस किलोमीटर के दायरे में खनन माफ़िया का बेखौफ राज चल रहा है। इस क्षेत्र में खनन माफ़िया समानान्तर सरकार चलाते हैं। सरकारी मशीनरी नीचे से लेकर ऊपर तक सबको पता है कि यहाँ क्या हो रहा है, परन्तु मोटी कमाई के लालच में हर कोई अंजान बना रहता है।
उल्लेखनीय है कि विकासखण्ड के खैरना कस्बे से लेकर बेतालघाट कस्बे के बीच कोसी घाटी क्षेत्र में अवैध खनन का काला कारोबार विगत कई वर्षों से चल रहा है, जिस कारण यहाँ दर्जन भर गाँवों की हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि बर्बाद हो चुकी है। अपने अस्तित्त्व के संकट से जूझ रहे ग्रामीण कास्तकार एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता दलीप बोहरा की अगुवाई में दर्जनों शिकायतें यहाँ बेतालघाट पुलिस थाने से लेकर तहसील कोश्याँकुटोली, जिलाधिकारी नैनीताल के समक्ष मौखिक व लिखित रूप में कर चुके हैं। ग्रामीण लोगों द्वारा अनेक संयुक्त हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन क्षेत्रीय विधायक, वन विभाग, पर्यावरण विभाग, कृषि विभाग के अधिकारियों तथा सम्बन्धित मंत्रियों व मुख्यमंत्री तक को प्रेषित किये गए, लेकिन आज तक राहत व न्याय के नाम पर ग्रामीणों को सिर्फ कोरे आश्वासन देकर मूर्ख बनाया जाता रहा। किसी भी स्तर से कोई भी कार्यवाही करने की जरूरत नहीं समझी गई। इसके विपरीत यहाँ सम्बन्धित अधिकारी खनन माफ़िया को ही मदद करते देखे जाते हैं।
विदित रहे कि जून-2009 में क्षेत्र के एक खनन कारोबारी को कोसी घाटी अन्तर्गत ग्रामसभा तल्ला बर्धो तथा ग्राम सभा मल्ला बर्धो की कृषि भूमि में एक 16 नाली भूमि का पट्टा आवंटित हुआ था। ग्रामीणों की आँखों में धूल झोंककर उपजाऊ भूमि पर उक्त पट्टा लिया गया था। पट्टे की आड़ में पूरे बीस कि.मी. दायरे में जमीन लील ली है। दलीप सिंह बोहरा की अगुवाई में स्थानीय ग्रामीणों में इस अवैध करोबार के विरुद्ध आन्दोलन शुरू कर दिया। एसडीएम कोस्यां कुटोली व जिलाधिकारी नैनीताल के समक्ष उपस्थित होकर कृषि भूमि बचाये जाने की कई बार गुहार लगाई गई। दर्जनों शिकायतें सरकार को की गर्इ, धरने-प्रदर्शन जैसे कार्यक्रम किये गये और यह सब तब से आज तक चल रहा है।
हैरानी की बात यह है कि किसी भी स्तर से ग्रामीणों को कोई राहत नहीं मिली। खनन माफिया एण्ड कम्पनी की ताकत व सम्बन्धित अधिकारियों से साँठ-गाँठ के चलते सारे इलाके में बेखौफ चले इस काले कारोबार ने जहाँ हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि चौपट करके रख दी, वहीं लोगों के सामने कई अन्य मुसीबतें भी खड़ी कर दीं। गुण्डागर्दी, छेड़खानी, महिलाओं को भगाने जैसे अपराध क्षेत्र में आम होने लगे। भय एवं दहशत के माहौल ने एक शांत व सुन्दर घाटी की शक्ल बिगाड़ दी। इस शांत घाटी को ट्रकों व डम्परों से पाट दिया गया। उप खनिज के अवैध दोहन व निकासी हेतु सैकड़ों की संख्या में बाहरी मजदूरों की उपस्थिति से ग्रामीण महिलाओं तथा बालिकाओं का घरों से निकलना मुश्किल हो गया।
विगत तीन-चार वर्षों में जिस तेजी से क्षेत्र में अपराध बढ़े हैं, उससे भी यहाँ की बर्बादी का अन्दाजा लगाया जा सकता है। अवैध खनन के इस काले कारोबार में स्थानीय प्रशासन के साथ ही जिला खनन अधिकारी, वन विभाग के अधिकारियों तथा पुलिस चौकी भुजान की भूमिका शुरू से ही एक संरक्षक की रही है।
खनन अधिकारियों व वनाधिकारियों की असलियत उप खनिज निकासी के लिये निर्गत की गयी रायल्टी पुस्तिकाओं में लगातार हो रही भारी घालमेल की जाँच से सामने आ सकती है। एक-एक रायल्टी से निकासी वाहन 8 से 10 चक्कर उप खनिज खुलेआम ढोते रहते हैं। वाहनों में ओवरलोडिंग तो जैसे वाहन स्वामियों का जन्मसिद्ध अधिकार है। उप खनिज तौलने को आज तक एक अदद काँटा लगाने की जरूरत नहीं समझी गई। दिन-रात चलने वाले ओवरलोडेड वाहनों से शहीद बलवंत सिंह मोटर मार्ग का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है। यह मोटर मार्ग वर्ष 2010 से ही बड़े वाहनों के लिये प्रतिबन्धित है। हर साल लोक निर्माण विभाग करोड़ों रुपये इस मार्ग पर खर्च करता है, लेकिन चंद महीनों में ही सड़क मार्ग जर्जर हो जाता है। विभाग के अधिशासी अभियन्ता व अधीक्षण अभियन्ता इस बाबत स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराकर हाथ झाड़ लेते हैं। किसी भी समस्या पर सुनवाई न होने से जनता का प्रशासन से विश्वास उठने लगा है।
हाल ही में अवैध खनन की शिकायत जिले के नये एसएसपी श्री दाते से की गई। श्री दाते ने इस मामले को गम्भीरता से लेने का आश्वासन दिया है। राजस्व वृद्धि के नाम पर एक सुंदर घाटी को बर्बाद करने के पीछे सरकार की गलत नीतियाँ भी जिम्मेदार हैं। खनन कारोबारियों के प्रति सरकारी उपेक्षा के चलते स्थानीय प्रशासन बेखौफ माफिया के पक्ष में खड़ा रहता है।
यदि समय रहते कोसी नदी घाटी क्षेत्र में अवैध खनन पर रोक नहीं लगाई गई तो बेतालेश्वर घाटी का यह सारा क्षेत्र जहाँ अपराध का गढ़ बनकर रह जाएगा, वहीं रही-सही खेती बाड़ी भी चौपट हो जाएगी। कई वर्षों से लगातार दहशत के साये में जी रहे स्थानीय ग्रामीण बिगड़ते हालातों पर सरकारी मशीनरी की घोर अनदेखी से अत्यधिक आहत हैं।
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