नागौर जिला

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पंचायत समिति डीडवाना की भूजल स्थिति
Posted on 07 Nov, 2015 01:12 PM
पंचायत समिति, डीडवाना (जिला नागौर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा नागौर जिले में 7543 मिलियन घनमीटर थी जो अब 6689 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
पंचायत समिति डेगाना की भूजल स्थिति
Posted on 07 Nov, 2015 01:08 PM
पंचायत समिति, डेगाना (जिला नागौर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा नागौर जिले में 7543 मिलियन घनमीटर थी जो अब 6689 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
ग्रामसभा में जनसहभागिता: एक विश्लेषण
Posted on 26 Aug, 2014 01:13 PM

राजस्थान के विशेष संदर्भ में

समग्र ग्रामीण विकास के लिए ग्रामसभा सशक्तिकरण
Posted on 24 Aug, 2014 12:57 PM ग्रामसभा ऐसी नोडल एजेंसी के रूप में चिन्ह्ति की जा सकती है जिसे ग्र
आओ मूंडवा, पी लो पानी
Posted on 01 Apr, 2011 09:53 AM

हमारा शहर बड़ा नहीं है। पर ऐसा कोई छोटा-सा भी नहीं है। इस प्यारे से शहर का नाम है मूंडवा। यह राजस्थान के नागौर जिले में आता है। नागौर से अजमेर की ओर जाने वाली सड़क पर कोई 22 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में है यह मूंडवा। आबादी है कोई चौदह हजार। इसकी देखरेख बाकी छोटे-बड़े नगर की तरह ही एक नगर पालिका के माध्यम से की जाती है। शहर छोटा है पर उम्र में बड़ा है, काफी पुराना है। इसकी गवाही यहां की सुंदर हव

जल संरक्षण की अनूठी मिसाल
Posted on 21 Sep, 2010 02:53 PM

नागौर। वर्षा जल के संरक्षण और इसके सुचारू वितरण की मिसाल देखनी हो नागौर के निकट बासनी बेहलीमा गांव में चले आइए। उम्दा प्रबंधों के चलते बासनी में तालाब सबकी प्यास बुझा रहे हैं। जिला प्रशासन भी बासनी की तर्ज पर विभिन्न गांवों में जल प्रबंधन लागू करने की सोच रहा है।

नागौर से आठ किलोमीटर दूर बसे मुस्लिम बहुल इस गांव में 22 साल पहले तत्कालीन सरपंच हाजी उस्मान की पहल पर जल संरक्षण की शुरूआत हुई। जिसके बूते गांव के 3900 परिवारों के हलक तर हो रहे हैं।

सात हजार गांवों पर अकाल का साया
Posted on 15 Mar, 2009 07:45 PM
जयपुर/ नई दुनिया। राजस्थान में इस साल 7372 गांवों पर अकाल का साया मंडरा रहा है। इन गांवों में सरकार शीघ्र ही राहत कार्य शुरु करने जा रही है। सरकार ने इसके साथ ही अकाल ग्रस्त इलाकों में पीने के पानी, रोजगार और पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। जिन जिलों में अकाल की छाया मंडरा रही है, वें हैं जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेंर, सिरोही, पाली, जालौर, अजमेर, भीलवाड़ा, उदयपुर, नागौर, र
वाह कसुम्बी
Posted on 07 Jun, 2015 08:12 AM राजस्थान, पानी की कमी वाला क्षेत्र, देश की सर्वाधिक जल किल्लत वाला प्रदेश। जी हाँ! राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र को इसी प्रकार से जाना जाता है। यह बहुत कम लोगों को ज्ञात है कि इस क्षेत्र की संस्कृति कितनी जलप्रिय रही है और अब भी है।
लाख जतन का लाखोलाव
Posted on 23 Apr, 2011 09:02 AM

हमारा यह छोटा-सा शहर मूंडवा इस मामले में एकदम अनोखा है। नगरवासियों और नगरपालिका- दोनों ने मिलकर यहां के तालाबों की रखवाली की है। और शहर को इन्हीं से मिलता है पूरे वर्ष भर मीठा पानी पीने के लिए। शहर के दक्षिण में न जाने कितने सौ बरस पहले बने लाखोलाव तालाब का यहां विशेष उल्लेख करना होगा।

हमारा शहर बड़ा नहीं है। पर ऐसा कोई छोटा-सा भी नहीं है। इस प्यारे से शहर का नाम है मूंडवा। यह राजस्थान के नागौर जिले में आता है। नागौर से अजमेर की ओर जाने वाली सड़क पर कोई 22 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में है यह मूंडवा। आबादी है कोई चौदह हजार। इसकी देखरेख बाकी छोटे बड़े नगर की तरह ही एक नगरपालिका के माध्यम से की जाती है। शहर छोटा है पर उमर में बड़ा है, काफी पुराना है। इसकी गवाही यहां की सुंदर हवेलियां देती हैं। समय-समय पर इस शहर से कई परिवार बाहर निकले और पूरे भारत वर्ष में व्यापार के लिए गए। हां पर यहां की खास बात यह है कि ये लोग इसे छोड़कर नहीं गए। साल भर ये लोग कोई न कोई निमित्त से,
नरेगा श्रमिकों को बताए कानूनी अधिकार
Posted on 27 Jul, 2009 06:39 AM
नागौर। ताल्लुका विघिक सेवा समिति के तत्वावधान में बासनी गांव में विघिक साक्षरता शिविर में सोमवार को नरेगा श्रमिकों को उनके कानूनी अघिकारों से अवगत कराया गया।शिविर में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राज व्यास ने कहा कि नरेगा के तहत एक तिहाई महिलाओं को रोजगार दिया जाना आवश्यक है। उन्होंने कानून के अनुसार महिलाओं व पुरूषों को समान मजदूरी देने, चिकित्सा सुविधा, छाया, पानी, कार्यस्थल दूर होने पर परिवहन भत्ते
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