मेरठ जिला

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पानी का चूसक आधुनिक मानव
Posted on 26 Feb, 2012 02:53 PM

बड़ी गाड़ी के स्वामियों को यह शायद ही मालूम हो कि इस एक गाड़ी को बनाने में करीब एक लाख लीटर पानी खर्च हो जाता है

भूगर्भ जल का नीचे खिसकना खतरनाक संकेत
Posted on 25 Feb, 2012 06:26 PM

मेरठ जनपद में किसानों द्वारा फसलों की सिंचाई में 85 प्रतिशत भूजल का इस्तेमाल किया जाता है। जबकि सिचाई हेतु मात्र

विकल्प फाउंडेशन द्वारा जल साक्षरता सम्मेलन का आयोजन
Posted on 25 Feb, 2012 05:52 PM विकल्प फाउंडेशन एवं भारत उदय के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय इंटर कालेज में लिसाडी रोड नूरनगर मेरठ में जल साक्षरता सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ.
विकल्प फाउंडेशन द्वारा जल साक्षरता सम्मेलन का आयोजन
राष्ट्रीय जल नीति प्रारूप 2012 पर हुई गंभीर चर्चा
Posted on 22 Feb, 2012 12:45 PM

इस जल नीति को वेबसाइट से किसान कैसे पढे़गा जिससे कि वह अपने सुझाव दे सके, यह एक यक्ष प्रश्न है

अनिता राणा को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम का पुरस्कार
Posted on 07 Feb, 2012 05:22 PM नई दिल्ली, 05 फरवरी। पर्यावरण संरक्षण और सुधार के क्षेत्र में काम कर रही अनिता राणा को भारत स्थित संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की तरफ से ग्रीन अर्थव्यवस्था के लिए सामुदायिक पहल के लिए नेतृत्व पुरस्कार दिया गया है। इसके अलावा अर्थ डे नेटवर्क की तरफ से भी वूमेन एंड ग्रीन इकोनामी कार्यक्रम में सम्मानित किया गया है। राणा गैरसरकारी संगठन जनहित फाउंडेशन की निदेशक हैं।
अनिता राणा
जल साक्षरता सम्मेलन-2012
Posted on 19 Jan, 2012 03:19 PM

सिर्फ भाषणों से संभव नहीं जलसाक्षरता

jal saksharata yatra
कमेले ने प्रदूषित किया पानी, पर्यावरण
Posted on 21 Jul, 2010 11:47 AM एक ओर तो बढ़ते प्रदूषण तथा घटते जलाधि प्राकृतिक संसाधनों से वैश्विक बृद्धिजीवी चिन्तित हैं लेकिन दूसरी ओर सरकारी तंत्र की छत्र-छाया में ही सरेआम यह सब किया जा रहा है। इसके जिम्मेदारों को न तो किसी का भय है और न ही आने वाली पीढ़ियों की चिन्ता? कानून के रखवाले उनकी मुटठी में हैं तो कानूनी पेचीदगियां उनकी हम सफर! फिर कैसे होगा निर्मल वातावरण का सपना सच?
काली नदी का काला सफर
Posted on 16 Jul, 2010 12:52 PM
गंगा की सहायक नदी के रूप में जानी जाने वाली लगभग 300 किलोमीटर लम्बी काली नदी (पूर्व) मुजफ्फरनगर जनपद की जानसठ तहसील के अंतवाड़ा गांव से प्रारम्भ होकर मेरठ, गाजियाबाद, बुलन्दशहर, अलीगढ़, एटा व फर्रूखाबाद के बीच से होते हुए अन्त में कन्नौज में जाकर गंगा में मिल जाती है। कुछ लोग इसका उद्गम अंतवाड़ा के एक किलोमीटर ऊपर चितौड़ा गांव से मानते हैं। यह नदी उद्गम स्रोत से मेरठ तक एक छोटे नाले के रूप म
तालाब की परंपराओं को भूलता देश
Posted on 16 Apr, 2010 10:08 AM
जलस्रोतों में नदियों के बाद तालाबों का सर्वाधिक महत्व है। तालाबों से सभी जीव-जंतु अपनी प्यास बुझाते हैं। किसान तालाबों से खेतों की सिंचाई करते रहे हैं। हमारे देश में आज भी सिंचाई के आधुनिकतम संसाधनों की भारी कमी है, जिस कारण किसान वर्षा तथा तालाब के पानी पर निर्भर हैं। लेकिन तालाबों की निरंतर कमी होती जा रही है। लगता है, हम तालाबों के महत्व को भूलते जा रहे हैं।
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