यह फिल्म बताती है कि कैसे हिन्डन नदी और उसके जलग्रहण क्षेत्र में और साथ ही भूजल में कीटनाशक, भारी धातुएं और अन्य रासायनिक प्रदूषक अधिक मात्रा में इकट्ठा होने पर वह पानी लोगों के लिये प्राण घातक बन गया है। औद्योगिक प्रदूषण और उसके प्रभाव को तो वैज्ञानिक अध्ययन भी स्वीकार करते हैं। हिंडन नदी का प्रदूषित जल और वहां के लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाला प्रभाव इस बात की कहानी बयां करता है कि कैसे जाने या अनजाने हमने इस नदी को अमृतधारा की जगह विषधारा में बदल दिया है।
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