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मालवा (क्षेत्र)
भूमि तथा जल की सुरक्षा के लिए जैविक तकनीक कारगर
Posted on 10 Sep, 2008 10:03 AMमणिशंकर उपाध्याय /वेबदुनिया/ वर्षा जल के संचय के लिए अनेक प्रचलित यांत्रिक विधियाँ अपनाई जाती हैं। इन विधियों से जमीन पर तो भौतिक रूप से जल एकत्रित हो जाता है लेकिन इससे मिट्टी की दशा में कोई सुधार नहीं होता है।
कैसे सहज और व्यवस्थित हो तालाब निर्माण
Posted on 06 Sep, 2008 01:32 PMवेब दुनिया - मणिशंकर उपाध्याय/ पिछले एक दशक में भूमिगत पानी के अत्यधिक दोहन तथा अल्प वर्षा के चलते प्रदेश में पानी की कमी को देखते हुए नागरिक इसके संचय और संरक्षण के प्रति जागरूक हुए हैं। प्रदेश शासन ने भी वर्षा जल के संचय, जलस्रोत पुनर्भरण के लिए अनेक योजनाएँ कार्यान्वित की हैं। इनमें से वर्षा जल को तालाबों के माध्यम से सहेजने का प्रयास भी शामिल है। ताला
शिप्रा को प्रदूषण मुक्त करने के उपाय
Posted on 26 Feb, 2010 05:53 PMनिष्कर्ष रूप में कह सकते हैं कि प्रदूषित जल की समुचित उपचार व्यवस्था नदी तटवर्ती सभी नगरों में होना चाहिए। इसके अतिरिक्त नदी को प्रदूषण मुक्त रखने हेतु परिक्षेत्र का वनीकरण, नदीतल का गहरीकरण आदि की दिशा में सक्रिय प्रयास होना चाहिए। इन उपायों को मूर्त रूप देने हेतु कतिपय सुझाव प्रस्तुत हैं :-
शिप्रा प्रदूषण
Posted on 26 Feb, 2010 04:34 PMपुण्यदा शिप्रा आज से लगभग 30 वर्ष पूर्व सदानीरा थी। उस समय उसके जल की गुणवत्ता भी वैज्ञानिक दृष्टि से उत्तम थी तथा परिक्षेत्र का पर्यावरण भी संतुलित था। आज वही सदानीरा शिप्रा मौसमी नदी बन चुकी है, जिसमें मात्र वर्षा ऋतु में जल प्रवाह रहता है शेष आठ-नौ माह में से केवल नवम्बर से फरवरी तक ही चार माह जल रहता है, वह भी लगभग प्रवाह-हीन। अवशेष माहों (लगभग फरवरी से जून तक) में नदी की स्थिति दयनीय रहती
नदियाँ
Posted on 18 Feb, 2010 05:12 PMवे सभी जल धाराएँ जो भूमि पर स्वाभाविक रूप से बहती हैं, नदियाँ कहलाती हैं। नदियाँ निरंतर बहती रहें यह प्रकृति का नियम है। यह जल चक्र श्रृंखला का आवश्यक अंग है। नदी समुद्र में समाहित होती है। समुद्र का जल वाष्प बनकर पुनः वर्षा का रूप धारण करता है। और यह जल फिर समुद्र में मिल जाता है। नदियाँ पृथ्वी की ऊपरी सतह का व्यापक और विशिष्ट भौतिक रूप होती हैं। भूमि, ढाल और वर्षा से यह उत्पन्न होती हैं। नदिय
शिप्रा तट सभ्यताओं की जननी रहा है
Posted on 27 Jan, 2010 10:19 AMप्राचीन सभ्यताएँ नदी-तटों पर ही पनपीं। शिप्रातट भी इसका अपवाद नहीं है। उज्जैन और महिदपुर में उत्खनन किये गये। महिदपुर उत्खनन से ताम्राश्मीय सभ्यता (2100 ई.पू.) से ई.पू.
शिप्रा की पन्द्रह बहनें
Posted on 26 Jan, 2010 09:30 AMअवन्तीखण्ड में उज्जयिनी के परिसर में बहती प्रायः पन्द्रह नदियाँ बतायी गयी हैं। जो शिप्रा से मिलती थीं और जिनका पौराणिक महत्व था। उसमें से कुछ तो साहित्य में भी याद की गयी हैं। ऐसी नदियों में गन्धवती सर्वप्रमुख है। कालिदास के मेघदूत, कथासारित्सागर और जैन साहित्य में इसका स्मरण किया गया है। कालिदास का कहना है कि वर्षा आने तक भी यह बहती रहती थी और इसमें नारियाँ स्नान करती थीं, आज उसके दर्शन नहीं ह