लेह जिला

Term Path Alias

/regions/leh-district

पाइप से 24X7 पानी की आपूर्ति दुनिया के शीर्ष पर पहुंची
Posted on 12 Nov, 2021 05:13 PM

देश का एक छोटा सा शहर लेह जो उत्तरी हिमालय में चीन की सीमा से सटे 11,562 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जो ऊंचे पहाड़ों, रंग-बिरंगे मठों और अपरिवर्तनशील चिनार का पर्यटन स्थल होने के बावजूद  बेहद निर्मम है।  अधिकांश लद्दाख क्षेत्र, जहां शहर स्थित है,अक्सर बर्फ से ढका रहता है। हवाएं भी जमा  देने वाली है। यहां तक ​​कि मोबाइल नेटवर्क की कनेक्टिविटी भी बेहद मुश्किल से मिल पाती है ।

पाइप से 24X7 पानी की आपूर्ति दुनिया के शीर्ष पर पहुंची
The tip of the iceberg? Glacial Melting causing havoc
Posted on 27 Sep, 2016 04:03 PM
The dwindling water has forced communities in Shun village, Lungnag valley in the remote Zanskar region decide to shift base from their traditional land.
लोगों को मौत की सौगात बाँटती एक सुरंग
Posted on 13 Jan, 2016 02:01 PM ज़हरीली हुई लारजी यातायात सुरंग की हवा
सुरंग की दीवारों पर जमी दो इंच कार्बन की परत

लेह त्रासदी का एक सालः सुनो पर्यावरण कुछ कहता है!
Posted on 16 Aug, 2011 03:59 PM

वैज्ञानिकों में पर्यावरण संबंधी चिंता इस बात का स्पष्ट इशारा है कि अगर इस विषय पर कोई ठोस उपाय नहीं निकाले गए तो इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। समय की मांग है कि पर्यावरण पर चिंता करना और उसके उपाय ढ़ूंढ़ना केवल वैज्ञानिकों का ही नहीं बल्कि हम सब का कर्तव्य है।

पिछले वर्ष लद्दाख के लेह में बादल फटने के कारण हुई तबाही अब भी लोगों की जेहन में ताजा है। 5-6 अगस्त 2010 की रात लेह पर जैसे आसमान से कहर टूट पड़ा। बादल फटने के कारण लेह में विभिषिका का जो तांडव हुआ उसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। अचानक आई बाढ़ के कारण नदी और नाले उफान पर आ गए और पल भर में ही लेह को अपनी चपेट में ले लिया। विकराल धारा ने मीलों लंबी सड़कों, पुलों, खेत बगीचे और घरों को देखते ही देखते लील लिया। तेज बहाव ने नए और पुराने या मिट्टी या कंक्रीट से बने घरों व भवनों में कोई भेदभाव नहीं किया। करीब 257 से ज्यादा लोगों ने अपनी जाने गंवाईं। इनमें 36 गैर लद्दाखी भी शामिल हैं।
जल प्रलय से सबक
Posted on 17 Aug, 2010 08:17 AM लेह में पर्यावरण से खिलवाड ही खलनायक बन गया है। लालची वन ठेकेदारों और उनके राजनीतिक आकाओं व सहयोगियों ने मिलकर पहाडों पर पेड काटते-काटते लेह को गंजा कर दिया है। दुखद है, ऎसा केवल लेह ही नहीं, पूरे देश में हुआ है, खूब पेड काटे गए हैं। न भारत, न पाकिस्तान और न चीन, कोई भी भीषण बाढ से अनजान नहीं है, लेकिन जल प्रलय ने इस बार तीनों देशों में भयावह व झकझोर देने वाले दृश्य पेश कर दिए। सबसे पहले पाकिस्तान में तो स्थितियां असाधारण और अभूतपूर्व हो गई, याद नहीं आता कि ऎसी भारी बारिश कभी पाकिस्तान में हुई होगी। मौत से बात करती बल खाती लहरों ने 1 करोड 20 लाख से ज्यादा लोगों को प्रभावित किया। कम से कम 1 लाख 40 हजार लोग घर-बार गंवा बैठे। करीब 2000 पुरूष, महिलाएं व बच्चे मारे गए। अकथ विनाश हुआ। हद तो यह कि सिन्धु नदी अब विनाशलीला को दक्षिण मे सिंध की ओर लिए बढ रही है। यह वही
क्यों फटते हैं बादल
Posted on 16 Aug, 2010 10:05 PM
लेह में हुई त्रासदी बादल फटने की कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले उत्तराखंड और हिमाचल में भी कई बार ऐसी घटना हो चुकी है। बादल आखिर फटते क्यों हैं?
लेह की विपदा के सबक
Posted on 13 Aug, 2010 03:27 PM यह प्राकृतिक विपदा है। पर एक बार घटित हो गई है तो स्थिति को नियंत्रित करने की, लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था प्रादेशिक, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर मनुष्य-समाज को ही करनी है। वही हो भी रहा है। लोग और सेना के जवान ही राहत कार्यों में जुटे हैं। पुल बनाए जा रहे हैं। मलबा हटाया जा रहा हैं। सड़कों को दुरुस्त करने की कोशिश हो रही है। एक गांव चोगलुमसर तो बह ही गया है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक लगभग प
चिवांग नोर्फेल
Posted on 22 Dec, 2009 12:57 PM नोर्फेल पेशे से एक इंजीनियर हैं। इन्होंने सन् 1995 में ग्रामीण विकास विभाग से अवकाश प्राप्त कर लेने के उपरांत लोगों को सहयोग करने में रुचि लेना आरंम्भ किया। सरकारी विभाग में काम करते हुए और लेह वासियों के जीवन में कृषि के महत्व को देखते हुए नोर्फेल ने ‘लेह न्यूट्रिशियन प्रोजेक्ट’(एलएनपी) के जरिए लोगों को सहयोग करने का निर्णय लिया। लेह की 98 प्रतिशत आबादी पारंपरिक रूप से कृषि कार्य में जुटी हुई है।
×