नोर्फेल पेशे से एक इंजीनियर हैं। इन्होंने सन् 1995 में ग्रामीण विकास विभाग से अवकाश प्राप्त कर लेने के उपरांत लोगों को सहयोग करने में रुचि लेना आरंम्भ किया। सरकारी विभाग में काम करते हुए और लेह वासियों के जीवन में कृषि के महत्व को देखते हुए नोर्फेल ने ‘लेह न्यूट्रिशियन प्रोजेक्ट’(एलएनपी) के जरिए लोगों को सहयोग करने का निर्णय लिया। लेह की 98 प्रतिशत आबादी पारंपरिक रूप से कृषि कार्य में जुटी हुई है।
एलएनपी ने सन् 1996 में 36 जल पण्ढाल क्षेत्रों में एक परियोजना क्रियान्वयन एजेंसी के रूप में अपना काम करना शुरु किया। इसके लिए भारत सरकार से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती थी। इन्होंने बर्फ का संग्रहण करने के लिए अनेकों कृत्रिम बर्फ के तालाब बनाये और अन्य जल संग्रहण ढांचे भी बनाए हैं।
नोर्फेल ने 10 गाँवों में 10 बर्फ के कृत्रिम तालाब बनाये हैं, इससे 24 गांवों को लाभ पहुंचा है और आज 1,500 गाँववाले इनके प्रयासों का लाभ उठा रहे हैं।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें : चिवांग नोर्फेल, लेह न्यूट्रिशियन प्रोजेक्टलद्दाख, लेह- 194101 फोन : 01982- 52151
एलएनपी ने सन् 1996 में 36 जल पण्ढाल क्षेत्रों में एक परियोजना क्रियान्वयन एजेंसी के रूप में अपना काम करना शुरु किया। इसके लिए भारत सरकार से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती थी। इन्होंने बर्फ का संग्रहण करने के लिए अनेकों कृत्रिम बर्फ के तालाब बनाये और अन्य जल संग्रहण ढांचे भी बनाए हैं।
नोर्फेल ने 10 गाँवों में 10 बर्फ के कृत्रिम तालाब बनाये हैं, इससे 24 गांवों को लाभ पहुंचा है और आज 1,500 गाँववाले इनके प्रयासों का लाभ उठा रहे हैं।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें : चिवांग नोर्फेल, लेह न्यूट्रिशियन प्रोजेक्टलद्दाख, लेह- 194101 फोन : 01982- 52151
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