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कोटा जिला
जलग्रहण विकास - दक्षता, वृद्धि, प्रशिक्षण एवं सामुदायिक संगठन
Posted on 02 Sep, 2018 06:02 PM8.1 प्रस्तावना (Introduction) पूर्व के अध्याय में यह विस्तार से बताया गया है कि जलग्रहण परियोजना की स्वीकृति पश्चात विभिन्न स्तरों पर किस-किस प्रकार की संस्थागत व्यवस्थाएँ की जाती है, जिसमें जलग्रहण विकास दल का गठन, विभिन्न समितियों का गठन, पंजीकरण, उपभोक्ता एवं स्वयं सहायता समूहों का गठन कार्यकर्ताओं की पहचान इत्यादि शामिल होता है। संस्थागत व्यवस्
जलग्रहण विकास में संस्थागत व्यवस्थाएँ - समूहों, संस्थाओं का गठन एवं स्थानीय नेतृत्व की पहचान
Posted on 28 Aug, 2018 02:31 PM7.1 प्रस्तावना (Introduction)
जलग्रहण विकास - क्या, क्यों, कैसे, पद्धति एवं परिणाम
Posted on 24 Aug, 2018 01:23 PM 5.1 प्रस्तावना : (Introduction)
5.1.1 प्रादेशिक समस्याएँ
राजस्थान के प्राकृतिक संसाधन बहुमूल्य है परन्तु अधिकतर क्षेत्र सूखा-ग्रस्त पहाड़ी एवं मरुस्थलीय है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण दिनों-दिन समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं; जैसे-
1. पर्यावरण का बिगड़ना
2. वन क्षेत्र का घटना
3. कृषि योग्य भूमि का क्षरण
मिट्टी एवं जल संरक्षण : परिभाषा महत्त्व समस्याएँ एवं उपचार के विकल्प
Posted on 18 Aug, 2018 02:15 PM
2.1 प्रस्तावना
जलग्रहण विकास - सिद्धांत एवं रणनीति
Posted on 14 Aug, 2018 01:16 PM
1.1 पर्यावरणीय अध्ययन की बहुविषयी प्रकृति
पत्रिका की ओर से अमृतम् जलम् अभियान
Posted on 20 Jul, 2009 08:12 AMकोटा। जल है तो कल है..., जल ही जीवन है..., पानी बचाओ, जीवन बचाओ..., कुछ ऎसे ही गगनभेदी नारे रविवार की भोर छंटने के साथ ही गूंज उठे। जल का महत्व बताने और जल संरक्षण की अलख जगाने के लिए पत्रिका मानव मित्र संस्थान के अमृतम् जलम् अभियान के तहत रविवार को वाहन रैली निकाली गई। माहेश्वरी समाज के सहयोग से आयोजित इस रैली के माध्यम से शहर के विभिन्न हिस्सों में नारे लगाते हुए जल संरक्षण का संदेश दिया ग
राजस्थान की नदियां
Posted on 13 Oct, 2008 10:50 AM- राहुल तनेगारिया
१) चम्बल नदी -
इस नदी का प्राचीन नाम चर्मावती है। कुछ स्थानों पर इसे कामधेनु भी कहा जाता है। यह नदी मध्य प्रदेश के मऊ के दक्षिण में मानपुर के समीप जनापाव पहाड़ी (६१६ मीटर ऊँची) के विन्ध्यन कगारों के उत्तरी पार्श्व से निकलती है। अपने उदगम् स्थल से ३२५ किलोमीटर उत्तर दिशा की ओर एक लंबे संकीर्ण मार्ग से तीव्रगति से प्रवाहित होती हुई चौरासीगढ़ के समीप राजस्थान में प्रवेश करती है। यहां से कोटा तक लगभग ११३ किलोमीटर की दूरी एक गार्ज से बहकर तय करती है। चंबल नदी पर भैंस रोड़गढ़ के पास प्रख्यात चूलिया प्रपात है। यह नदी