झारखंड

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इक्कीसवीं शताब्दी में बिरसा
Posted on 31 Jan, 2015 11:40 AM बिरसा भगवान की मृत्यु से उनके आंदोलन का अन्त नहीं कहा जा सकता, क्योंकि जिन प्रयोजनों से यह आंदोलन प्रारम्भ हुआ, उनकी आंशिक पूर्ति ही हो सकी। यह सही है कि बिरसा भगवान के आंदोलन का प्रभाव बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में ही शुरू हो गया था। बहुत शीघ्र, उनके निधन के तत्काल बाद ही, ब्रिटिश सरकार ने यह अनुभव किया था कि इस आंदोलन के मूल में भूमि-समस्या है। भूमि के स्वाम
उम्मीद के भरोसे फ्लोरोसिस का मुकाबला
Posted on 12 Dec, 2014 10:21 AM

कहानी गोड्डा जिले के बोदरा गांव की

गंगाजी करती हैं शिवलिंग पर जलाभिषेक
Posted on 20 Oct, 2014 11:00 AM देवभूमि भारत ऋषि-मुनियों की तपोभूमि और चमत्कारिक भूमि है। देवी-देवताओं के काल में उनके निर्देशन में धरती पर ऐसे स्थानों की खोज की गई जो धरती के किसी न किसी रहस्य से जुड़े थे या जिनका संबंध दूर स्थित तारों से था। इसी के चलते भारत में हजारों चमत्कारिक मंदिर और स्थान निर्मित हो गए जिनको देखकर आश्चर्य होता है। हर मंदिर से जुड़ी एक कहानी है जिस पर लोग आस्था रखते
सीएसआर के दायरे में सभी बड़ी कंपनियां
Posted on 03 Aug, 2014 11:15 AM झारखंड-बिहार एक बार फिर सूखे की दहलीज पर खड़े राज्य हैं। अब क्या होगा?
सावन में भी सूखे की चिंता
Posted on 02 Aug, 2014 12:39 PM बारिश के इंतजार में किसान झारखंड में मौसम की स्थिति को देखते हुए किसानों के माथे पर बल पड़ता दिखाई दे रहा है। सुखाड़ की संभावनाओं को इनकार करने की परिस्थिति अब नहीं
जीविकोपार्जन का महत्वपूर्ण घटक है जलछाजन (वाटरशेड) कार्यक्रम
Posted on 02 Aug, 2014 12:17 PM जलछाजन प्रबंधन कार्यक्रम में जीविकोपार्जन एक महत्वपूर्ण घटक है। जलछाजन क्षेत्र में महिलाओं, किसानों, कारीगरों के स्वयं-सहायता समूह निर्माण करने होते हैं। स्वयं-सहायता समूह के द्वारा आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लक्ष्य को हासिल करने का सफल प्रयास किया जाता है। स्वयं-सहायता समूहों सदस्यों को आय सृजक गतिविधियों से जोड़ कर उनका आर्थिक विकास किया जाता है। ताकि उनकी आमदनी में इजाफा हो, वे अपने जीवन स्तर को सुधार कर बेहतर जीवन जी सकें। केंद्र सरकार के भूमि संसाधन विभाग द्वारा प्रायोजित समेकित जलछाजन प्रबंधन कार्यक्रम का क्रियान्वयन प्रत्येक राज्य के हरेक जिले में किया जा रहा है।

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जल, जंगल, जमीन जन एवं जानवर के विकास एवं संवर्धन के साथ-साथ टिकाऊ जीविकोपार्जन एवं खेती का विकास करना है। इसके सफल क्रियान्वयन के लिए राज्य के ग्रामीण विकास विभाग में राज्य स्तरीय नोडल एजेंसी बनायी गयी है।

हमारे राज्य झारखंड में झारखंड राज्य जलछाजन मिशन के माध्यम से राज्य के सभी जिलों में एक जलछाजन प्रकोष्ठ -सह-आकड़ा संग्रहण केंद्र बनाया गया है।
झारखंड के एक गांव के हर घर में लगा देसी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
Posted on 07 Jul, 2014 12:32 PM

पहले 250 फुट तक नहीं मिलता था पानी, अब एक बूंद भी नहीं होता बर्बाद

सिंहभूमि से बड़े बांधों के विरोध की गर्जना
Posted on 30 Jun, 2014 03:32 PM स्वर्णरेखा एवं खड़कई नदी पर बन रहे बांध, बिजलीघर आदि को स्वर्णरेखा
धोखा है आपदाओं से जोखिम का बीमा
Posted on 12 Jun, 2014 09:24 PM प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़, सुखाड़ एवं ओलावृष्टि आदि कह कर नहीं आती हैं। लोग इससे बचने के लिए विभिन्न उपायों के साथ-साथ बीमा का भी सहारा लेते हैं। मानव एवं विभिन्न जीव-जंतुओं के साथ-साथ फसलों का भी बीमा होता है। हाल के वर्षों में फसल बीमा के प्रति जागरूकता आयी है। बड़ी संख्या में किसान अपनी फसलों का बीमा कराते हैं। इसमें झारखंड के किसान भी पीछे नहीं हैं। लेकिन, व्यवस्थागत खामियों की वजह से झार
पर्यावरण संरक्षण करें और रोजगार भी पायें
Posted on 12 Jun, 2014 12:23 PM
एक पुरानी कहावत है आम के आम, गुठली के दाम। इस कहावत से सभी परिचित हैं। यह तो हम जानते ही हैं कि वनों का पर्यावरण संतुलन में अत्यधिक महत्व है। पर्यावरण सुरक्षा के लिए यदि हम वन लगायें तो एक ओर तो हमें शुद्ध वातावरण में जीने का मौका मिलता है, साथ ही मुनाफा कमाने का भी अवसर प्राप्त होता है। इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट के अनुसार भारत का 28.82 फीसदी भू-भाग वन आच्छादित है। वैसे तो वन हमारे पर्
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