झारखंड

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जेजेएम से पत्थलघुटवा में जागी उम्मीद की नई किरण
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा के साथ यह सब बदल गया। यह घोषणा इस टोला की महिलाओं के लिए आशा की एक किरण लेकर आई, क्योंकि इससे उनके घरों में पानी की सीधे आपूर्ति होगी। इसलिए, महिलाओं ने अपनी समस्याओं को जिला स्तर पर काम कर रहे पेयजल और स्वच्छता विभाग के अधिकारियों के सामने रखा, जिन्होंने उनकी जरूरतों को तुरंत पूरा किया। Posted on 18 Sep, 2023 02:47 PM

झारखंड राज्य में रामगढ़ जिले के चित्तरपुर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले मयाल गांव का पत्थलघुटवा टोला ( बसावट) मुख्य रूप से महतो लोगों का निवास है जिनका मुख्य व्यवसाय कृषि है। हाल के दिनों तक, यह टोला जीवन यापन की सुगमता से संबंधित अधिकांश मापदंडों में पिछड़ गया, चाहे वह सड़क हो या सुरक्षित पेयजल । उस समय घरों के इन समूहों के एक छोर पर केवल एक सौर ऊर्जा से चलने वाली ओवरहेड पानी की टंकी थी। पत्थलघुटव

जेजेएम से पत्थलघुटवा में जागी उम्मीद की नई किरण
गंधमार्दन : सत्याग्रह की ताजी गंध
Posted on 09 Feb, 2010 11:27 AM वन और खनिज संपदाओं से परिपूर्ण उड़ीसा राज्य के तीन जिले संबलपुर, बलांगीर और कालाहांडी के केंद्र में गंधमार्दन पर्वत श्रृंखला फैली हुई है। इस पर्वत श्रृंखला के एक तरफ संबलपुर जिले के पदमपुर का अकाल पीड़ित इलाका है और दूसरी तरफ सैंकड़ो वर्ग किलोमीटरों में कालाहांडी का भयानक अकालग्रस्त इलाका फैला है। पदमपुर की हालत फिर भी थोड़ी बहुत अच्छी ही है लेकिन कालाहांडी इलाके के अकालजनित दारिद्र्य का वर्णन करन
खुदाई की राजनीति
Posted on 09 Feb, 2010 11:09 AM हमारे यहां खुदाई के कई कारण हैं, कुछ बिलकुल साफ हैं तो कुछ छिपे हुए भी। खदानें कई उद्योगों के कच्चे माल के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। देश के कुल निर्यात में कच्चा लोहा 6 प्रतिशत से 10 प्रतिशत तक है और इस प्रकार खदानें विदेशी मुद्रा के महत्वपूर्ण साधन हैं। सरकारी तौर पर खदानों की हिमायत इसी बिना पर की जाती है। उनसे पिछड़े इलाकों में रोजगार मिलता है और क्षेत्रीय विकास में मदद। लेकिन खदानों के अलिखित प्रत
वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण खनन
Posted on 09 Feb, 2010 10:49 AM खदान कोई भी हो, उसके खनिज की धूल चारों ओर फैलती ही है। वह कच्चे माल के ढेर में से तेज हवा के द्वारा, बारूद के धमाकों और भारी मशीनों के कारण हो रही उथल-पुथल से उड़कर सब छा जाती है। धमाके से जहरीला धुआं भी हवा में फैलता है। खदान क्षेत्रों में वायु-प्रदूषण के कारण लोगों को सांस की और आंख की न जाने कितनी तरह की बीमारियां होती हैं। सिलिकोसिस और एस्बेस्टस आदि की धूल सांस द्वारा फेफड़े में पहुंचती है तो
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