हरिद्वार जिला

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बांध परियोजनाओं को रोकने के लिए चारों धाम की यात्राओं को स्थगित करें श्रद्धालु - स्वामी सानंद
Posted on 10 Mar, 2012 03:16 PM ज्योतिष्पीठ के सन्यासी स्वामी ज्ञानस्वरुप सानंद ने श्रद्धावान हिंदू यात्रिओं से अपील की है कि वे बद्रीनाथ-धाम, केदारनाथ जी, गंगोत्री धाम की यात्रा को इस वर्ष स्थगित करें और तब तक इन यात्राओं का बहिष्कार करें जब तक अलखनन्दा जी तथा मन्दाकिनी जी पर बांध परियोजनाएं निरस्त नहीं कर दी जाती। यह बात उन्होंने हरिद्वार में मातृ-सदन में कही। स्वामी जी 14 जनवरी मकर संक्रांति से आमरण अनशन पर है और उनका स्वास्थ्य दिन ब दिन गिरता जा रहा है। अपने संकल्प के तीसरे चरण में उनका संकल्प है कि 8 मार्च से वे जल लेना भी त्याग देंगे।

उन्होंने अपनी इस भावुक अपील में कहा कि सरकार हमारी आस्था की केंद्र गंगा जी को नष्ट कर बांधों का निर्माण कर रही है जिससे गंगा जी और यहां का पर्यावरण पूरी तरह नष्ट हो जाएगें। उन्होंने कहा कि यदि निर्माणाधीन तथा प्रस्तावित परियोजनाएं रोकी न गईं और जे.पी.ग्रुप की विष्णुप्रयाग परियोजना पर विद्युत उत्पादन बंद नहीं किया गया तो वह अपने प्राणों की आहुति दे देंगे।

गंगा रक्षा हेतु ललकार
Posted on 02 Mar, 2012 03:27 PM परम श्रद्धेय चार शंकराचार्य पीठों को भेजा गया आमंत्रण (प्रतिलिपि)
विषय- धर्म की आन व शान तथा गंगा जी का मान


आदरणीय शंकराचार्य जी महराज आप आध्यात्मिक जगत के महाराज हैं, हम सब लोग आपकी सेना हैं। आज समय की पुकार हैं, गंगा रक्षा के लिए आप युद्ध क्षेत्र में उतरें। हम आपसे नम्र निवेदन करते हैं कि हमारे प्राणों की आहुति में आप साक्षी हो व आपके दिशा निर्देश तथा इस युद्ध क्षेत्र में आपके सानिध्य में गंगा रक्षा ललकार में इस देश के संत महात्माओं को अपने प्राणों को न्यौछावर करना चाहिए।

अति संवेदनशील समय की पुकार है, एक-एक व्यक्ति यदि अनशन करके अपने प्राणों की आहुति दे देगा तो संभवतः गंगा रक्षा की पूर्णाहुति संभव नहीं हो पायेगी। हम आह्वान करते हैं व आपसे आशा भी रखते हैं कि वर्तमान में वास्तविक रूप में गंगा रक्षा का अभियान चलाना है तो इस यज्ञ की पूर्णाहुति तक का नेतृत्व समस्त शंकराचार्यों को विशेषतः उत्तर-भारत के शंकराचार्यों को इस आध्यात्मिक सेना का रण क्षेत्र में नेतृत्व कर प्रत्येक सैनिक के बलिदान का साक्षी बनकर इस अभियान को प्रेरणा देनी होगी अन्यथा यह आंदोलन उपहास का विषय बन जायेगा।

हम सभी भारतवर्ष में निवास करने वाले संत-महात्मा, आखाड़ों में निवास करने वाले पदाधिकारी जैसे महाकुम्भ में एकत्रित होकर अपनी आध्यात्मिक शक्ति की ऊर्जा को राष्ट्र हित में समर्पित करते हैं उसी प्रकार ‘गंगा रक्षा हेतु ललकार’ की वेदी पर सिसकती हुई मां गंगा के रक्षार्थ अपने प्राणों की आहुति देने को प्रत्येक धर्मावलंबी भारतवासी को तैयार होना चाहिए, विशेष रूप से संत-महात्माओं को इसमें पहले अग्रसर होना चाहिए।
गंगा रक्षा के लिए अकेला पड़ा ‘गंगापुत्र’
Posted on 20 Feb, 2012 04:18 PM

गंगा को प्रदूषण मुक्त करने और कुंभ क्षेत्र को प्रदूषण से मुक्त करने की मांग को लेकर अनशन कर रहे मातृसदन के स्वामी निगमानंद की 2011 में मौत तक हो चुकी है। इतना ही नहीं, मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद भी नवंबर 2011 में गंगा को खनन मुक्त करने की मांग को लेकर लंबा अनशन कर चुके हैं। इन अनशनों को भी राज्य सरकार ने दबाने की पूरी कोशिश की। यहां तक शिवानंद के अनशन के दौरान तो सरकार में मंत्री दिवाकर भट्ट ने उनके खिलाफ मोर्चा तक खोल दिया था। अब गंगा की अविरलता को लेकर अनशन कर रहे स्वामी सानंद भी स्थानीय क्षेत्रिय दलों के निशाने पर आ गए हैं।

गंगा की अविरलता के लिए और गंगा पर बन रहे बांधों के विरोध में 9 फरवरी से हरिद्वार के कनखल स्थित मातृसदन में चल रहा स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद का अनशन इस बार जोर पकड़ने के बजाय असफल साबित हो रहा है। वर्ष 2008 के बाद गंगा की अविरलता और बांधों के विरोध में लगातार हो रहे अनेक आंदोलनों के दौरान ऐसा पहली बार हो रहा है जब संत समाज और उत्तराखंड के क्षेत्रीय दल ऐसे किसी आंदोलन के विरोध में एक साथ खड़े हो गए हैं। जगतगुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से दीक्षा ग्रहण करने के बाद प्रोफेसर से स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद बने जी.डी. अग्रवाल 9 फरवरी से मातृसदन में अनशन कर रहे हैं। अग्रवाल आईआईटी, कानपुर में प्रोफेसर रह चुके हैं लेकिन अब इन्होंने संन्यास ग्रहण कर खुद को गंगा को समर्पित कर दिया है। इससे पहले भी स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद गंगा पर बन रही परियोजनाओं के खिलाफ हरिद्वार के मातृसदन और उत्तरकाशी में गंगा तट पर अनशन कर चुके हैं।
गंगा जल का परीक्षण
Posted on 17 Feb, 2012 06:54 PM दिनांक 15 फरवरी को गंगा के किनारे-किनारे कनखल स्थित मातृ सदन से भूपतवाला तक गंगा सेवा अभियानम् के तहत लोग विज्ञान संस्थन देहरादून के वैज्ञानिक दल ने गंगा में मिलने वाले गंदे नालों एवं नालियों का अवलोकन किया, जिसमें यह पाया गया की कुछ को छोड़ कर बाकी बड़े नालों की सीवर लाइन से जोड़ कर पंपिंग स्टेशन द्वारा जगजीतपुर स्थित ट्रीटमेंट में शोधित किया जाता है। निरीक्षण के दौरान स्थानीय लोगों से पूछताछ करने पर यह पता चला कि इन नालों से कभी-कभी अभी गंदा पानी गंगा में गिरता है।
खनन पर भारी अनशन
Posted on 14 Feb, 2012 01:55 PM गंगा में खनन के मुद्दे पर हरिद्वार में लंबे समय से चल रही लड़ाई में संत एक बार फिर सरकार पर भारी पड़े हैं।
गंगा के अविरल प्रवाह को लेकर फिर तप शुरू
Posted on 10 Feb, 2012 09:46 AM देहरादून (ब्यूरो)। प्रमूख पर्यावरणविद् प्रोफेसर जीडी अग्रवाल (स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद) ने गंगा को अविरल प्रवाहित होने देने व इसे राष्ट्रीय प्रतीक अधिनियम के तहत राष्ट्रीय प्रतीक के बतौर राष्ट्रीय नदी का पूर्ण सम्मान दिलाने की मांग को लेकर अपनी नए किस्म की तपस्या शुरू कर दी है। प्रो. जीडी अग्रवाल आज हरिद्वार के मातृसदन में तपस्या में बैठ गए। इसके तहत उन्होंने घोषणा की कि वे इस मांग के पूर्ण न होने तक एक माह तक नींबू पानी व शहद लेकर तपस्या जारी रहेगी।

हरिद्वार मातृ सदन में गंगा को प्रदूषण मुक्त कराने को लेकर बिना अन्न, फल के तपस्या पर बैठे जीडी अग्रवाल
गंगा में खनन पर सरकार झुकी
Posted on 07 Feb, 2012 12:13 PM स्वराज और सुशासन के मुद्दे पर वाहवाही लूट रही खंडूड़ी सरकार खनन के मामले में एक वरिष्ठ मंत्री का नाम सामने आने से बैकफुट पर है। कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट का नाम सामने आने के बाद जब विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने गंगा में खनन के विरोध पर चल रहे मातृ सदन के आंदोलन का समर्थन शुरू किया तो सरकार को गंगा में खनन रोकना पड़ा। अब सरकार ने गंगा को हुए नुकसान के आंकलन के लिए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय
असल संत की अंत कथा
Posted on 14 Jul, 2011 06:28 PM

गंगा को लेकर संतों और खनन माफिया के बीच छिड़ी लड़ाई में उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने एक नहीं बल्कि बार-बार और खुल्लमखुल्ला खनन माफिया का साथ दिया है। स्वामी निगमानंद की मौत के पीछे का सच सामने लाती आशीष खेतान और मनोज रावत की विशेष पड़ताल
स्वामी निगमानंद अपने गुरू शिवानंद के साथस्वामी निगमानंद अपने गुरू शिवानंद के साथ

संत निगमानंद के बलिदान पर दुखदायी विवाद
Posted on 04 Jul, 2011 10:44 AM गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए निगमानंद से पहले भी कई बार आंदोलन और अनशन हो चुके हैं लेकिन जब एक संत की आमरण अनशन से मौत होती है तब सरकार का ध्यान उनकी मांग पर जाता है और इसके बाद राजनीतिक दल आरोप-प्रत्यारोप के अखाड़े में उतर आते हैं। गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की लड़ाई लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले संत निगमानंद की मौत पर सियासी रोटियां सेंकने का सिलसिला तेज हो गया है । प्रदेश सरकार द्वारा इस मामले में स्वयं को बचाने के लिए की गई सीबीआई जांच की सिफारिश पर केंद्र सरकार का रुख अब तक साफ नहीं हो सका है ।
संत निगमानंद
जीवनधारा बचाने का अभियान
Posted on 30 Jun, 2011 09:38 AM

गंगा के बारे में कहा जाता है कि उसका पानी कभी खराब नहीं होता क्योंकि इसके पानी में किसी प्रकार

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