गया जिला

Term Path Alias

/regions/gaya-district

जल जो न होता तो ये जग जाता जल
Posted on 08 Jul, 2010 11:11 AM

कहते हैं कि पानी है तो जीवन है, लेकिन इन दिनों पानी की कमी से सारी दुनिया तबाह है। फिर भी कुछ लोग हैं जो पानी को बचाकर अपने ओर अपने आसपास के जीवन को बचाने में लगे हुए हैं उनके इन सकारात्मक प्रयासों ने दुनिया को एक नई दिशा दी है। कौन हैं ये लोग और कैसे बचा रहे हैं जल। पानी बचाने वाले इन पानीदार लोगों पर एक खास प्रस्तुतिकरीब बीस साल पहले कार्टूनिस्ट देवेंद्र ने एक कार्टून बनाया था जिसमें गर्मी के इस मौसम में एक महिला दोनों हाथों से नल निचोड़ रही है और तब जाकर उसमें से दो बूंद पानी गिरता है। सच पूछा जाए तो या कार्टून भी अब पुराना पड़ गया है। अब जल संकट के लिए गर्मी का इंतजार नहीं करना पड़ता। ठिठुराती ठंड में भी पानी का संकट सामने खड़ा मिल जाएगा। प्रसिद्ध पर्यावरणविद अनुपम मिश्र के शब्दों में कहें तो ‘कहा नहीं जा सकता कि देश में राजनीति का स्तर गिरा है या जल का स्तर।

पानी में जहर
Posted on 02 Apr, 2010 10:06 AM गया से महज़ चौंसठ किलोमीटर के फ़ासले पर है आमस प्रखंड का गांव भूपनगर, जहां के युवक इस बार भी अपनी शादी का सपना संजोए ही रह गए. कोई उनसे विवाह को राज़ी न हुआ. वजह है उनकी विकलांगता. इनके हाथ-पैर आड़े-तिरछे हैं, दांत झड़ चुके हैं, हड्डियां ऐंठ गई हैं. जवानी में ही लोग बूढ़े हो गये हैं. गांव के लोग बीमारी का नाम बताते हैं- फ्लोरोसिस.
बचपन में बुढ़ापा
सूखे में हराः पानी किसने भरा?
Posted on 14 Mar, 2010 08:15 AM सोन कमांड एरिया के बीच भी अनेक गांवों की सिंचाई दो हजार बरस पुरानी आहर-पईन प्रणाली से ही होती है। इन इलाकों का हाल मिश्रित रहा। जहां मरम्मत, देखरेख का काम ठीक से हुआ है, वहां तो सिंचाई हो गई। बाकी जगहों में फसल बरबाद भी हुई है।राजनैतिक समाज सेवियों के दुर्भाग्य से सूखा भी इस साल ठीक से नहीं हुआ। न जिले की दृष्टि से, न चुनाव क्षेत्र की दृष्टि से, न पार्टियों के जनाधार की दृष्टि से। आंकड़ेबाज औसत-प्रेमी वैज्ञानिक-इंजीनियर, पदाधिकारियों की दृष्टि से भी सूखा ठीक-ठाक नहीं रहा। बेतरतीब ही सही, वर्षा हो भी गई, कुछ इलाकों में फसल भी हो गई, कमजोर ही सही। बड़ा बैराज, जैसे- सोन नद पर बना इन्द्रपुरी बैराज और छोटे बैराज (अनेक) बड़े इलाके में फसल बचाने में सहायक हुए। बड़े बैराज ने सोन पानी के बंटवारे को लेकर
तालाब, आहर, हरियाली लाकर एक नया इतिहास रचते दलित
Posted on 27 Feb, 2010 02:13 PM
गया जिले के अतरी प्रखंड के नरावट पंचायत के 120 दलित परिवार अपने श्रम के दान से जगह-जगह तालाब, आहर, हरियाली लाकर एक नया इतिहास लिख रहे हैं। 2006 में जब गया शहर में पेयजल का संकट आया तब वे ‘मगध जल जमात’ के अपील पर शहर के प्राचीन तालाबों के खुदाई-सफाई के लिए गाँव के 108 दलित करीब 50 किलोमीटर पैदल चलकर गया पहुँचे। 8-10 दिन की कड़ी मेहनत से शहर के पौराणिक सरयू तालाब की खुदाई की। इस दौरान उन्होंने
‘मगध जल जमात संस्था’ द्वारा संगोष्ठी का आयोजन
Posted on 20 Aug, 2009 12:53 PM

गया में ‘मगध जल जमात संस्था’ की ओर से पानी की समस्या पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह आयोजन 7 जुलाई 2009 को वजीरगंज के किसान भवन में हुआ।
×