गंगा

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क्या गंगा के प्रवाह की चिंता असली है?
Posted on 02 Nov, 2010 08:46 AM
हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण राज्यमंत्री जयराम रमेश ने गंगा नदी की अविरलता बरकरार रखने का आश्वासन देते हुए कहा है कि गंगा नदी पर अब नए बाँध नहीं बनेंगे तथा उत्तराखंड में जिन पनबिजली परियोजनाओं पर काम शुरू नहीं हुए हैं, उन पर काम शुरू नहीं होंगे।
कैसे स्वच्छ होगी गंगा
Posted on 12 Oct, 2010 03:32 PM


करोड़ों भारतीयों की आस्था की प्रतीक गंगा का जल आज पीने लायक तक नहीं रह गया है।

Ganga river
आखिर कैसे साफ हो गंगा
Posted on 29 Sep, 2010 08:55 AM टिहरी बांध बनने के पहले भी गंगा पर दो बांध थे हरिद्वार और फरक्का। हरिद्वार बांध से जुड़ी एक दिलचस्प घटना है। वर्ष 1837-38 में उत्तर भारत में भयंकर सूखा और अकाल पड़ा। राहत कार्य में ईस्ट इंडिया कंपनी के लाखों पौंड खर्च हो गए। इस पृष्ठभूमि में अंगरेज अधिकारी कर्नल पोबी कॉटली की हरिद्वार में बांध बनाकर 560 मीटर लंबी नहर बनाने की महत्वाकांक्षी योजना को हरी झंडी दिखा दी गई। इससे पहले कि बांध निर्माण का
गंगा जो एक नदी थी
Posted on 13 Aug, 2010 01:56 PM गंगा में गिरने वाले जहरीले पानी से जल-जीवों व मानव दोनों को खतरा पैदा हो चुका है। जहां जल-जीव मर रहे हैं, वहीं इस पानी से इंसानों की मौतें भी हो रही है। लोग पीलिया, दमा व खुजली जैसे रोगों से पीड़ित हैं।
बहादुरगढ़ के पास जहरीला नाला व सिंभावली स्थित डिस्टिलरी मिल कॉम्पेक्स।
गंगोत्री तीर्थ
Posted on 31 Jul, 2010 11:51 AM
यदि हम भारत को गंगा-संस्कृति का देश कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि यहां के जनमानस में गंगा उनके जीवन का अभिन्न अंग है जन्म से मृत्यु तक और उसके उपरान्त भी गंगा गंगाजल प्राण से जुड़ा है कोई भी हिन्दू गंगाजल की उपेक्षा नहीं कर सकता। इसी दिव्य प्राणदेनी नदी के लिए माना जाता है कि गंगोत्री में गंगा का अवतरण हुआ था। गंगोत्री तीर्थ ही वह जगह है जहां सर्वप्रथम गंगा का अवतरण हुआ था । हिमान
कराहती नदियां
Posted on 31 Jul, 2010 09:53 AM आमी का गंदा जल सोहगौरा के पास राप्ती नदी में मिलता है। सोहगौरा से कपरवार तक राप्ती का जल भी बिल्कुल काला हो गया है। कपरवार के पास राप्ती सरयू नदी में मिलती है। यहां सरयू का जल भी बिल्कुल काला नज़र आता है। बताते हैं कि राप्ती में सर्वाधिक कचरा नेपाल से आता है। उसे रोकने की आज तक कोई पहल नहीं हुई। पिछले दिनों राप्ती एवं सरयू के जल को इंसान के पीने के अयोग्य घोषित किया गया। कभी जीवनदायिनी रहीं हमारी पवित्र नदियां आज कूड़ा घर बन जाने से कराह रही हैं, दम तोड़ रही हैं। गंगा, यमुना, घाघरा, बेतवा, सरयू, गोमती, काली, आमी, राप्ती, केन एवं मंदाकिनी आदि नदियों के सामने ख़ुद का अस्तित्व बरकरार रखने की चिंता उत्पन्न हो गई है। बालू के नाम पर नदियों के तट पर क़ब्ज़ा करके बैठे माफियाओं एवं उद्योगों ने नदियों की सुरम्यता को अशांत कर दिया है। प्रदूषण फैलाने और पर्यावरण को नष्ट करने वाले तत्वों को संरक्षण हासिल है। वे जलस्रोतों को पाट कर दिन-रात लूट के खेल में लगे हुए हैं। केंद्र ने भले ही उत्तर प्रदेश सरकार की सात हज़ार करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना अपर गंगा केनाल एक्सप्रेस-वे पर जांच पूरी होने तक तत्काल रोक लगाने के आदेश दे दिए हों, लेकिन नदियों के साथ छेड़छाड़ और अपने स्वार्थों के
विकास की गंगा में बह गयी गंगा मैया
Posted on 29 Jul, 2010 08:30 AM
गंगोत्री के दर्शन को चलते चले जाइए लेकिन रास्ते में अपने प्रवाह-मार्ग में कहीं गंगा नहीं मिलेंगी। भागीरथी भी नहीं। उत्तराखंड के नरेंद्र नगर से चंबा तक सड़क मार्ग की यात्रा कर आगे बढ़िए और फिर देखिए महाकाय विकास के भीषण चमत्कार। अगर आपने 2005 के पहले कभी इस गंगोत्री के पथ पर गंगा के दर्शन किए होंगे तो निश्चित तौर पर आपकी आंखें ये देखकर फटी रह जाएंगी कि ये क्या हो गया है गंगा मां को?
गंगा का प्रवाह
Posted on 29 Jul, 2010 08:14 AM
एक राष्ट्र के रुप में भारत के अस्तित्व का आधार धर्म है। भारत एक राजनीतिक इकाई होने के साथ ही एक सांस्कृतिक इकाई भी है। विभिन्न स्तरों पर दिखने वाली विविधता के बावजूद संस्कृति का अन्तःप्रवाह सम्पूर्ण भारत को एक सूत्र में पिरोए हुए है। भारतीय संस्कृति का अन्तःप्रवाह कुछ प्रतीकों, आदर्शो एवं प्राकृतिक उपहारों से निरंतर ऊर्जा ग्रहण कर अपने आप को प्रवाहमान बनाए हुए है। गंगा का अविरल प्रवाह भी एक
गंगा के लिए सविनय अवज्ञा की मुहिम
Posted on 15 Jul, 2010 09:09 AM गंगा नदी का बिना सोचे समझे अत्यधिक दोहन किया जा रहा है। कई बिजली परियोजनाएं गंगा की अविरलता को पवित्राता को ताक पर रखकर चलाई जा रही हैं। गंगा के विरुध्द चल रही समस्त गतिविधियों को रोकने के लिए देश भर में प्रयास किये जा रहे हैं। इसी कड़ी के तहत गंगा के मौलिक रूप की मांग को लेकर ‘गंगा रक्षा आंदोलन’ ने दिनांक 20 जून, 2010 को सायं 5 बजे वाराणसी के अस्सी घाट पर ‘सविनय अवज्ञा’ की मुहिम चलाने का निर्णय ल
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