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एआई तकनीक पर आधारित डिवाइस 30 सेकंड में पानी की स्वास्थ्य कुंडली बता देगी
Posted on 29 Apr, 2024 04:42 PM

कानपुर आईआईटी। हम कितना शुद्ध पानी पी रहे हैं?

क्लुक्स’ पानी की शुद्धता नापने की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक पर आधारित एक डिवाइस
भारत के 100 शहर भयानक जल संकट की चपेट में हैं
देश में जलसंकट का प्रचार ज्यादा है, काम कम हो रहा है, जलसंकट देश के 90 प्रमुख शहरों में भी गहरा गया है, या कुछ समय बाद विकराल रूप में नजर आएगा। लेख में इस संकट की चर्चा और समाधान | Posted on 26 Apr, 2024 03:16 PM

बेंगलुरु मेट्रो सिटी है। इसलिए जलसंकट का प्रचार ज्यादा हो रहा है। वैसा ही संकट देश के 90 प्रमुख शहरों में भी गहरा गया है, या कुछ समय बाद विकराल रूप में नजर आएगा। इन शहरों में दिल्ली ही नहीं पहाड़ों पर बसा शहर शिमला भी है। इसकी चर्चा आगे लेख में करूंगा। बात बेंगलुरु से शुरू हुई थी, इसलिए वहां उत्पन्न जल संकट की वजह पहले बताऊंगा। यह कोई नई पैदा हुई समस्या नहीं है। आजादी के बाद से ही जल संरचनाओं प

जलसंकट
पानी संकट का वर्तमान-भूत-भविष्य
जल संकट वर्तमान में विश्वव्यापी और विश्व की बड़ी समस्याओं में से एक बन चुका है। धरती का धरातल का दो-तिहाई पानी होने के बावजूद हम गंभीर रूप से जल-संकट का सामना कर रहे हैं।

Posted on 25 Apr, 2024 03:35 PM

जल की कमी समस्त देशों और महाद्वीपों के दायरों को लांघ कर विश्वव्यापी समस्या बन गई है। धरातल का दो-तिहाई हिस्सा जल से घिरा है, लेकिन इसका दो-तीन प्रतिशत ही इस्तेमाल किया जाता हैं। अंतरराष्ट्रीय जल प्रबंधन संस्थान, कोलंबो सहित अनेक एजेंसियों का अनुमान है कि भविष्य में जल की कमी बड़ी समस्या होगी।

विश्वव्यापी जल संकट
स्कूलों में पढ़ाया जाए जल-पाठ
पहले केपटाउन और अब बेंगलुरु जलसंकट ने वैश्विक जगत को नई चिंता में डाल दिया है। बेंगलुरु जल संकट यह भी दर्शाता है कि हमने केपटाउन जल संकट से कोई सबक नहीं लिया। First the CapeTown and now the Bengaluru water crisis has put the global world under new concern. The Bengaluru water crisis also shows that we did not learn any lessons from the CapeTown water crisis. Posted on 24 Apr, 2024 03:55 PM

अगर हम समय से नहीं जागे तो भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के अनेक शहरों से ऐसे जल संकट के समाचार आएंगे। नीति आयोग द्वारा जून, 2018 में प्रकाशित 'समग्र जल प्रबंधन सूचकांक' शीर्षक रिपोर्ट में भी ऐसे जल संकट की तरफ संकेत दिए गए थे। रिपोर्ट में भारत जल गुणवत्ता सूचकांक में 122 देशों की सूची में 120वें स्थान पर था और जिसका लगभग 70% जल दूषित है। आज संपूर्ण विश्व में पर्यावरण रक्षा पर विशेष चर्चाएं हो रही

स्कूलों में पढ़ाया जाए जल संरक्षण
पानी के अखाड़े में चुनाव
भारत में लोकसभा 2024 के चुनाव पूरे शबाब पर हैं।  पानी के अखाड़े में चुनाव या चुनाव के अखाड़े में पानी के मुद्दे पर क्या-क्या हो रहा है, पेश है एक विहंगम दृश्य। Posted on 22 Apr, 2024 01:57 PM

दुनिया में यह दौर सांस्कृतिक चेतना के उभार का है। इतिहास को फिर से टटोलने और अपने पुरखों की काबिलियत पर अभिमान का भी है। अपने अतीत में हम झांकते हैं, तो हमें पानी की अद्भुत विरासत भी मिलती है, बेहतरीन वास्तु, कला और कौशल से बनाए जलाशय भी, जिनके देश के हर इलाके में अलग-अलग नाम हैं। कहीं बावड़ी, कहीं बाओली, तो कहीं बाव। पानी को सहेजने के सैकड़ों साल पुराने इतने अद्भुत और वैज्ञानिक तरीके हैं कि हम

लोकसभा 2024 के चुनाव पूरे शबाब पर
जल संकट के नगरीय आयाम क्या हैं
जर्नल नेचर सस्टेनेबिलिटी में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक शहरी आलीशान घरों में रहने वाले लोग बगीचों, स्विमिंग पूल, कारों को धोने के लिए बड़ी मात्रा में पानी की खपत करते हैं, जिसकी कीमत शहर के कमजोर तबके को चुकानी पड़ती है परिणाम होता है कि शहर में मौजूद कमजोर और बंचित समुदायों को अपनी बुनियादी जरूरत को पूरा करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है, यह असमानताएं क्षेत्र में जलापूर्ति की दीर्घकालिक स्थिरता को बहुत भयानक रूप से प्रभावित करते हैं। हालांकि यह अध्ययन दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन शहर पर आधारित है लेकिन साथ ही अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बैंगलोर, चेन्नई, जकार्ता, सिडनी, मापुटो, हरारे, साओ पाउलो, लंदन, मियामी, बार्सिलोना, बीजिंग, टोक्यो, मेलबर्न, इस्तांबुल, काहिरा, मास्को, मैक्सिको सिटी और रोम जैसे 80 शहरों में समान मुद्दों पर प्रकाश डाला है।


Posted on 19 Apr, 2024 11:33 AM

जल, जीवन और संगीत एक दूसरे से गहरे रूप से जुड़े हुए हैं। जीवन जल में पैदा हुआ है, और जीवन व जल एक दूसरे के साथ चलते हैं। जल तरंग की तरह यह जानना-समझना जरूरी है कि पात्र में कितना जल है, उसमें कितना आघात करना है क्योंकि यही संगीत की मधुरता को सुनिश्चित करता है। जैसे हमारे जीवन में जीवन शैलीगत व्याधियां बढ़ी हैं, उसी तरह हमारे जीवन दर्शन की त्रुटियों ने भी हमारे जीवन में संकट को गहरा किया है। इसम

जल संकट के शहरी परिदृश्य
पर्यावरण कानून : विश्व भर में एक समान हों
यह स्पष्ट होना अभी बाकी है कि जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के खिलाफ लोगों का अधिकार है। ऐसा शायद इसलिए है, क्योंकि ये अधिकार या स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन से होने वाली तबाही साल दर साल बढ़ती जा रही है, इसे एक अलग अधिकार के रूप में व्यक्त करना अनिवार्य होता जा रहा है। Posted on 13 Apr, 2024 01:39 PM

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुच्छेद 14 व 21 का दायरा बढ़ाकर स्वच्छ वातावरण और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को भी शामिल किया गया है.

पर्यावरण कानून : विश्व भर में एक समान हों
अब प्रकृति का कर्ज चुकाने की बारी है
इस ब्लॉग में आपको बताएँगे कि अगर सरकार,आम नागरिक, संस्थाएं सब मिलकर प्रयास करेंगे तो घटते प्राकृतिक संसाधनों को फिर से समृद्ध बनाया जा सकता है Posted on 23 Mar, 2024 04:45 PM

प्राकृतिक सन्तुलन बनाए रखने के लिए हमें जल संरक्षण व पौधारोपण पर विशेष ध्यान देना होगा। यह कार्य हर आम व खास आदमी कर सकता है। जल संरक्षण एक सरल प्रक्रिया है...

प्रकृति को बचाना है
प्रकृति से मुंह मोड़ने का नतीजा
इस ब्लॉग में हम आपको जानकारी देंगे कि पर्यावरण को नष्ट होने से बचाने के लिए हम क्या कर सकते हैं Posted on 23 Mar, 2024 02:30 PM

पिछले दस-पन्द्रह सालों में ही पर्यावरण का हल्ला अखबारों में हुआ है। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण पर सेमिनार होने लगे हैं। बड़े-बड़े प्रस्ताव पास किए जा रहे हैं। स्कूलों, कालेजों विश्वविद्यालयों में पर्यावरण विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिताएं होती हैं। अकाशवाणी व दूरदर्शन पर संवाद होते हैं। इन सबसे ऐसा लगता है जैसे पर्यावरण को लेकर सभी चिन्तित हैं। लेकिन हमारे देश में तीन सौ के आस-पास विश्वविद्य

पर्यावरण को बचाना
कौन निकालेगा पर्यावरण प्रदूषण के चक्रव्यूह से
इस ब्लॉग में हम आपको बताएँगे कि किस तरह औद्योगिकीकरण के दौर में न तो सिर्फ पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की हानि हुई बल्कि इससे जल और वायु प्रदुषण भी बढ़ा नतीजन दमा, तपेदिक और फेफड़े के कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों को जन्म दिया है Posted on 23 Mar, 2024 02:06 PM

पर्यावरण प्रदूषण स्वयं मनुष्य की पैदा की हुई समस्या है। प्रारम्भ में पृथ्वी घने वनों से भरी हुई थी, लेकिन आबादी बढ़ने के साथ ही मनुष्य ने अपनी आवश्यकता के अनुसार बसाहट, खेती-बाड़ी आदि के लिए वनों की कटाई शरू की। औद्योगिकीकरण के दौर में तो पर्यावरण को पूरी तरह अनदेखा कर दिया गया। प्राकृतिक संसाधनों का न केवल पूरी मनमानी के साथ दोहन किया गया बल्कि जल और वायु प्रदूषण भी शुरू हो गया। कारखानों से नि

पर्यावरण प्रदूषण का चक्रव्यूह
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