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पोर्टो अलेग्रे का पानी
Posted on 01 Feb, 2011 04:37 PM

सार्वजनिक और सबके लिए


दुनिया भर में अपने सहभागितापूर्ण लोकतंत्र के लिए सुप्रसिद्ध पोर्टो अलेग्रे ब्राजील के सबसे दक्षिणी राज्य रियो डो सुल की राजधानी है। पोर्टो अलेग्रे को इस बात का भी गौरव प्राप्त है कि वह उस सफल सार्वजनिक जल और सफाई सुविधा डी.एम.ए.ई का गृहस्थल भी है। जो निजीकरण की प्रवृत्ति का विरोध करने के लिए एक मॉडल बन गई है।
अंटार्कटिका-दुनिया का सबसे ठंडा महाद्वीप
Posted on 31 Jan, 2011 09:37 AM

सातों महाद्वीपों में से सबसे ठंडा महाद्वीप अंटार्कटिका महाद्वीप है। वह सबसे दुर्गम तथा मानव-बस्तियों से सबसे दूर स्थित जगह भी है। वह साल के लगभग सभी महीनों में दुनिया के सबसे अधिक तूफानी समुद्रों और बर्फ के बड़े-बड़े तैरते पहाड़ों से घिरा रहता है। उसका कुल क्षेत्रफल 1.4 करोड़ वर्ग किलोमीटर है। क्षेत्रफल की दृष्टि से वह आस्ट्रेलिया से बड़ा है। अंटार्कटिका में बहुत कम बारिश होती है, इसलिए उसे ठंडा रेगिस्तान माना जाता है। वहां की औसत वार्षिक वृष्टि मात्र 200 मिलीमीटर है।

विकास की भेंट चढ़ते मैंग्रोव वन
Posted on 30 Jan, 2011 09:21 AM

अपनी खास वनस्पतियों और जलीय विशेषताओं के कारण पहचाने जाने वाले मैंग्रोव वन कुछ ही दशकों में मिट सकते हैं। यह आकलन अमेरिकी शोधकर्ताओं के एक दल का है।शोधकर्ताओं ने दुनिया भर के मैंग्रोव वनों का व्यापक अध्ययन कर पाया कि इस वनस्पति की कम से कम सत्तर प्रजातियों का वजूद खतरे में है और इनके संरक्षण-संवर्द्धन पर अगर तुरंत ध्यान न दिया गया तो दो दशक के भीतर ये लुप्त हो सकती हैं। इस तरह का आकलन केवल अमेरिकी दल का ही नहीं है। हाल में इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर यानी आईयूसीएन ने भी रिपोर्ट जारी की है जिसके अनुसार ग्यारह मैंग्राव प्रजातियों का जीवन बिल्कुल ही खतरे में है और बाकी पचास से अधिक प्रजातियों की हालत दयनीय है।

दरअसल पूरी धरती से मैंग्रोव वनक्षेत्र

बादल, वर्षा एवं हिम
Posted on 29 Jan, 2011 04:32 PM यदि हम पृथ्वी की सतह से 35 किलोमीटर ऊपर की ओर जाएं तब हमें दिन में भी आकाश काला दिखाई देगा। इस ऊंचाई से हमें दिन में तारे भी नज़र आ जाएंगे। अंतरिक्षयात्रा के दौरान जब अंतरिक्षयात्री आकाश को देखते हैं तब अंतरिक्ष में वायुमंडल की अनुपस्थिति के कारण उन्हें आकाश नीला नहीं दिखाई देता है।
कुदरती तटरक्षक मैंग्रोव वन
Posted on 29 Jan, 2011 03:26 PM

26 जुलाई यानी विश्व मैंग्रोव एक्शन दिवस। इस दिन दुनिया भर में बहुमूल्य मैंग्रोव वनों की रक्षा करने के लिए और उनकी उपयोगिता के बारे में जागरूकता लाने के लिए प्रयास किए जाते हैं। आइए हम भी इन कुदरती तटरक्षकों के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त करें।

क्षीण हो रही है ओजोन परत
Posted on 29 Jan, 2011 03:20 PM

ओजोन परत का उद्गम प्राचीन महासागरों से हुआ है और वह धीरे-धीरे दो अरब वर्षों में पूरा बनकर तैयार हुआ है। ओजोन परत में जो ओजोन है उसका मूल स्रोत महासागरों के पादपों द्वारा किए गए प्रकाश-संश्लेषण के दौरान पैदा हुई ऑक्सीजन है। महासागरों से निकली ऑक्सीजन के अणु ऊपर उठते-उठते वायुमंडल के समताप मंडल में पहुंच जाते हैं। वहां वे परमाणुओं में टूट जाते हैं। ये परमाणु दोबारा जुड़कर ओजोन का निर्माण करते हैं। आक्सीजन के अणुओं के बिखरने और आक्सीजन के परमाणुओं के जुड़कर ओजोन बनने के लिए आवश्यक ऊर्जा सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों से प्राप्त होती है।ऊपर आसमान में कुछ विचित्र सा घट रहा है। मनुष्यों को हानिकारक पराबैंगनी किरणों से सुरक्षा प्रदान करनेवाली ओजोन परत पतली होती जा रही है। पराबैंगनी किरणों के लगने के कारण चर्मकैंसर हो सकता है। सांघातिक प्रकार के चर्मकैंसरों में 30 प्रतिशत रोगी पांच साल के अंदर मर जाते हैं। पराबैंगनी किरणों के कारण मोतियाबिंद भी होता है। अधिक संगीन मामलों में लोग इसके कारण अंधे हो सकते हैं। ओजोन परत क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) नामक मानव-निर्मित रसायनों के कारण पतली हो रही है।

पहले हम यही समझते थे कि सीएफसी एक वरदान हैं और वे मनुष्य के जीवन को समृद्ध और आरामदायक बना सकते हैं। सीएफसी कृत्रिम यौगिक होते हैं, जो क्लोरीन, कार्बन और फ्लोरीन से बने होते हैं। उनका न कोई रंग होता है न गंध। हमने रोजमर्रा के कई कार्यों में सीएफसी

हिंद महासागर की गर्मी ने अफ्रीका में सूखे को दिया जन्म
Posted on 29 Jan, 2011 12:28 PM वैश्विक तापमान में वृद्घि तथा हिंद महासागर के लगातार गर्म होने के कारण पूर्वी अफ्रीका में सूखे की स्थिति पिछले 20 वर्षों से लगातार बढ़ रही है और यह स्थिति भविष्य में भी जारी रहने वाली है। यह बात एक नए शोध में सामने आई है, जो कि क्लाइमेट डायनेमिक्स में प्रकाशित हुआ है। यूएस जूलॉजिकल सर्वे और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने नए शोध में बताया कि पूर्वी अफ्रीका में सूखा तीव्र गति से अपना प
विश्व मौसम संगठन
Posted on 29 Jan, 2011 12:13 PM

विश्व मौसम संगठन (डब्लूएमओ) ने मानव सुरक्षा और कल्याण के लिए बहुत योगदान किया है। पिछले साठ सालों में डब्लूएमओ के सफर और डब्लूएमओ में भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) की भूमिका का जिक्र करते हुए आईएमडी के महानिदेशक डा.

ओजोन परत
Posted on 28 Jan, 2011 12:46 PM सूर्य का प्रकाश ओजोन परत से छनकर ही पृथ्वी पर पहुंचता हैं। यह खतरनाक पराबैंगनी विकिरण को पृथ्वी की सतह पर पहुंचने से रोकती है और इससे हमारे ग्रह पर जीवन सुरक्षित रहता है। ओजोन परत के क्षय के मुद्दे पर पहली बार 1976 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की प्रशासनिक परिषद (यूएनईपी) में विचार-विमर्श किया गया। ओजोन परत पर विशेषज्ञों की बैठक 1977 में आयोजित की गई। जिसके बाद ‘यूएनईपी’ और विश्व मौसम सं
डूबते द्वीप से सबक लेने का समय
Posted on 28 Jan, 2011 10:03 AM


आस्ट्रेलिया के समीप पापुआ न्यूगिनी का एक द्वीप कार्टरेट्स इतिहास बनने जा रहा है समुद्र में हमेशा के लिए डूबकर।

पर्यावरणीय ह्रास का पहला शिकार इस द्वीप की पूरी आबादी विश्व में ऐसा पहला समुदाय बन गयी है, जिसे वैश्विक तापन की वजह से विस्थापित होना पड़ा रहा है। समुद्र की उफनती लहरों ने यहां के बाशिंदों की फसलें बर्बाद कर दी हैं और स्वच्छ जल के स्रोतों को जहरीला बना दिया है। कार्टरेट्स द्वीप के निवासी इस तरह की विभीषिका के पहले शिकार हैं। यहां से 2000 मानव जनसंख्या को तो सुरक्षित निकाल लिया गया है पर द्वीप के बाकी जीवों और वनस्पतियों की प्रजातियों की जल समाधि तय मानी जा रही है।

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