मट्ठा- एक शीतल पेय

पेय पदार्थ छाछ
पेय पदार्थ छाछ

‘ताहि अहीर की छोकरिया, छछिया अरि छाछ पे नाच नचावे।’ की याद ताजा हो जाती है जब छाछ (मट्ठा) की बात उठती है। श्रीकृष्ण भगवान दही-बेचने के लिये जा रही गोपिकाओं से छाछ मांगते हैं। गोपिकाएं कहती हैं, ‘पहले अपना नाच दिखाओ, फिर छाछ मिलेगा।’ बुरे फंसे श्रीकृष्ण पर वे करें क्या…? दही न सही मट्ठा ही सही, कुछ तो मिले। नंद-नंदन राजपुत्र हैं और इन गोपिकाओं से दही मांग रहे हैं। कैसी विडम्बना है…। दही की बात तो कहीं और है। यहां तो छाछ भर के लिये इन्हें नाचना पड़ता है। आइए देखें, इस छाछ में आखिर क्या विशेषताएं हैं…?

गर्मी के आते ही क्या गांव, क्या शहर हर जगह शीतल पेयों की बाढ़ सी आ जाती है। लिम्का, माजा, पेप्सी, कोकाकोला और फ्रूटी आदि अमीरों के पेट को ठंडा करते हैं, वहीं सौंफ का शीतल पेय, शर्बत, नींबू का ठंडा रस और मट्ठा (छाछ) गरीबों के लिये प्रयुक्त होते हैं। इन शीतल पेयों में मट्ठा का महत्वपूर्ण स्थान है।

• दही में बिना पानी डाले मथें। ऐसा मलाई सहित करें। जो मट्ठा तैयार होता है इसमें गुड़ या चीनी डालकर सेवन करने से पके आम सदृश गुणकारी होता है।
• ऊपर की मलाई हटा लीजिए। अब दही मथकर मट्ठा तैयार कीजिए। इस मठे का प्रयोग वात, कफ और पित्त के रोगों में लाभप्रद होता है।
• दही की मात्रा का चौथाई भाग जल डालकर मथने से जो मट्ठा बनता है वह उष्णवीर्य, पाचन शक्ति को बढ़ाने वाला, वात के रोगों में लाभदायक तथा गृहिणी को स्वास्थ्यप्रद बनाता है।
• दही में आधा पानी डालकर मथने से तैयार छाछ कफ वृद्धि तो करता है, मगर आंव पड़ने (पेचिश) में आराम पहुँचाता है।
• मक्खन निकाल कर दही की मात्रा से अधिक पानी डाल कर मथने से जो छाछ (मट्ठा) तैयार होता है वह प्यास को हरने वाला, वात नाशक तथा कफप्रद होता है। थोड़ा नमक डाल पीने से अत्यन्त पाचक होता है।
• मठे में पिसी सोंठ और सेंधा नमक मिलाकर पीने से वात के रोगों में आराम होता है।
• मठे में शक्कर मिलाकर पीने से पित्त के रोग ठीक होते हैं।
• सोंठ, पीतल और काली मिर्च पीसकर मठे में मिलाकर पीने से वात, बवासीर, अतिसार तथा वस्तिक्षेत्र के रोगों में आराम होता है।
• मठे में गुड़ डालकर पीने से पेशाब संबंधी रोगों में आराम पहुंचाता है।
• पिसा जीरा व नमक के साथ मठे का सेवन करने से शरीर को आराम होता है। गर्मी में यह पेय सेवन करने से शरीर… शीतल और प्रसन्नचित्त बना रहता है।
• मठे का उपयोग खाने में भी किया जा सकता है। चपाती या भात से मट्ठा खाते हमने अक्सर लोगों को देखा है। गरीब ही क्या, अमीर भी दाल या सब्जी के स्थान पर मट्ठा (छाछ) का उपयोग शौक से करते देखे जाते हैं। मट्ठा से आज कोई भी अनभिज्ञ नहीं है। जहां यह एक शालीन और स्वास्थ्यप्रद पेय है, वही इसे सर्वप्रिय खाद्य भी माना जा सकता है।
 

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