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साधुओं ने गंगा जी के लिये क्या किया - स्वामी सानंद
Posted on 22 May, 2016 01:28 PM


स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद - 19वाँ कथन आपके समक्ष पठन, पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है:

.मैं मानता हूँ कि मैं कड़ा हूँ। मतभेद रखने में कतराता नहीं हूँ। स्पष्टवादिता, मेरा स्वभाव है। इसके कारण कई नाराज हुए, तो लम्बे समय तक कई से प्यार भी मिला।

 

दिखावे के विरुद्ध


मैं दिखावे के समर्थन के भी विरुद्ध हूँ। जो ऐसे लोग मेरे सम्पर्क में आते हैं; उन्हें कड़ा कहता हूँ। मेरा उनसे विवाद हो जाता है। मैं कहता हूँ कि नहीं करना हो, तो मत करो; लेकिन दिखावा न करो। ‘मार्च ऑन द स्पॉट’ यानी एक जगह पैर पीटते रहना। यह भी मुझे पसन्द नहीं है।

पानी परेशानी और बेइमानी
Posted on 22 May, 2016 12:09 PM
पानी की परेशानी विश्वव्यापी हो चली है। लेकिन समस्या सिर्फ पान
अध्ययन भी बताते हैं सरस्वती नदी का अस्तित्व
Posted on 21 May, 2016 04:00 PM

ऋगवेद के 60 से अधिक स्रोतों में इस नदी का उल्लेख है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह भी स्पष्ट ह

एक बहस-समवर्ती सूची में पानी
Posted on 19 May, 2016 03:47 PM


प्यास किसी की प्रतीक्षा नहीं करती। अपने पानी के इन्तजाम के लिये हमें भी किसी की प्रतीक्षा नहीं करनी है। हमें अपनी जरूरत के पानी का इन्तजाम खुद करना है। देवउठनी ग्यारस का अबूझ सावा आये, तो नए जोहड़, कुण्ड और बावड़ियाँ बनाने का मुहूर्त करना है। आखा तीज का अबूझ सावा आये, तो समस्त पुरानी जल संरचनाओं की गाद निकालनी है; पाल और मेड़बन्दियाँ दुरुस्त करनी हैं, ताकि बारिश आये, तो पानी का कोई कटोरा खाली न रहे।

जल नीति और नेताओं के वादे ने फिलहाल इस एहसास पर धूल चाहे जो डाल दी हो, किन्तु भारत के गाँव-समाज को अपना यह दायित्व हमेशा से स्पष्ट था। जब तक हमारे शहरों में पानी की पाइप लाइन नहीं पहुँची थी, तब तक यह दायित्वपूर्ति शहरी भारतीय समुदाय को भी स्पष्ट थी, किन्तु पानी के अधिकार को लेकर अस्पष्टता हमेशा बनी रही।

सन्तुलित विकास की जरूरत
Posted on 17 May, 2016 04:09 PM
नदी, झील, नहर, तालाब, भूजल, सागर आदि के प्रदूषण को जल प्रदूषण
किसानों की बदहाली की समाधान
Posted on 17 May, 2016 03:42 PM

बुन्देलखण्ड में सूखे की स्थिति आज चर्चा का विषय बनी हुई है। बुन्देलखण्ड के किसानों और यहा

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