छतरपुर जिला

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जोड़ने की या उजाड़ने की योजना
Posted on 26 Sep, 2014 11:29 AM प्रसिद्ध खजुराहो के मंदिरों से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर एक नया आकर्षण जन्म ले रहा है। यह कुछ और नहीं बल्कि देश भर में सैकड़ों नदियों को एक-दूसरे से कुछ बेढब और निरा अवैज्ञानिक किस्म से जोड़ने की कोशिश है। हम इस नए अप्राकृतिक या कृत्रिम योजना को देखने के आकर्षण में पन्ना टाइगर रिजर्व के गंगऊ द्वार की तरफ बढ़ चले।

बाढ़ और सुखाड़ से निपटारा!


अब दशक से ठंडे बस्ते में पड़ी योजना को साकार किया जा रहा है। केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना को नरेंद्र मोदी सरकार की मंजूरी मिलने के बाद फिजां में नए गुंताड़े चल रहे हैं। बहुत से लोगों का मानना है कि केन में अक्सर आने वाली बाढ़ में बर्बाद होने वाला पानी अब बेतवा में पहुंचकर हजारों एकड़ खेतों में फसलों को सिंचित करेगी और हमारे अनाज उत्पादन में अप्रत्याशित तौर पर बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी।
<i>केन-बेतवा में विस्थापित होने वाले पिलकोहा गांव के लोग</i>
बुंदेलखंड और पलायन
Posted on 10 Aug, 2014 03:45 PM

बुंदेलखंड पलायन की प्रस्तावना

फिर भी सूखा रह गया बुंदेलखंड
Posted on 08 Aug, 2014 11:38 AM

प्रकृति के साथ जीना

Bundelkhand
बुंदेलखंड पर मंडराने लगे सूखे के बादल
Posted on 06 Jul, 2014 01:10 PM बुंदेलखंड पैकेज और जल रोको अभियान के तहत करोड़ों रुपए बहाए जा चुके
बुंदेलखंड : विनाश से सर्वनाश तक का सफर
Posted on 05 Apr, 2014 09:42 AM उन्नीसवीं शताब्दी के आरंभिक दशकों से अंग्रेजों ने भारतीय वनों का अ
बुंदेलखंड की स्थिति
Posted on 06 Apr, 2013 11:33 AM गौरवशाली ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के लिए विख्यात बुंदेलखंड प्राकृतिक संसाधनों से भी प्रचुर रहा है परंतु मानवीय हस्तक्षेपों के कारण सामान्य समस्याएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
प्यास बुझाने की आस
Posted on 05 Apr, 2013 09:58 AM राजनेता प्रकृति की इस नियति को नज़रअंदाज़ करते हैं कि यह इलाक़ा सदियों से प्रत्येक पांच साल में दो बा
ponds of bundelkhand
सूखे बुंदेलखंड में नहीं मिलेगा पानी
Posted on 19 Mar, 2013 11:34 AM

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटिरियोरोलॉजी इंस्टीट्यूट का अध्ययन कहता है कि वर्ष 2100 तक बुंदेलखंड अंचल में श

बुंदेलखण्ड का विकास, सूखा और पैकेज
Posted on 11 Aug, 2011 09:48 AM

42 यहां जंगल का जो अनुपात है महज 8 प्रतिशत है वह अब बढ़कर 10 साल में राज्य के औसत के बराबर हो जायेगा। यहां के पारम्परिक तालाब और जल संरचना पुर्नजीवित हो जायेगी, यह स्पष्ट होना चाहिये। जरूरी है कि इस इलाके के जल, जंगल और जमीन को नुकसान पहुंचाने वाले हर कार्यक्रम पर प्रतिबंध हो ताकि विनाश के रास्ते हम विकास की ओर न बढ़ें।

बुंदेलखण्ड की महागाथा हमें जो संदेश बार-बार दे रही है, उस संदेश के पकड़ने के लिये हमारा राजनैतिक नेतृत्व बिल्कुल तैयार नहीं दिखता है। बुंदेलखण्ड ने अपना इतिहास आप गढ़ा है। यही एक मात्र ऐसा इलाका था जो मुगल साम्राज्य के अधीन नहीं रहा क्योंकि प्राकृतिक संसाधनों और बुनियादी जरूरतों जैसे अनाज-पानी-पर्यावरण के मामलों में यह आत्मनिर्भर राज्य था। इसी आत्मनिर्भरता ने बुंदेलखण्ड को स्वतंत्र रहने की ताकत दी। आज बुंदेलखण्ड के बारे में देश चिंतित हो गया है क्योंकि अपनी जीवटता से पनपा यह इलाका पिछले एक दशक में ज्यादातर साल सूखे की चपेट में रहा। यह सूखा पानी का नही जनकेंद्रित विकास के नजरिये के अभाव का है। यह एक राजनैतिक सवाल बना, जिसका जवाब एक विशेष आर्थिक पैकेज में खोजा गया। कुछ ही दिनों पहले निर्णय हुआ है कि मध्यप्रदेश के बुंदेलखण्ड इलाके को इस विशेष पैकेज के तहत 3627 करोड़ रुपए जैसी भारी भरकम राशि दी जा रही है।

केन-बेतवा नदी गठजोड़ : शान्त बुन्देलखण्ड में एक भीषण तूफान की दस्तक
Posted on 30 Apr, 2011 10:23 AM

एक दिवसीय सत्याग्रह उपवास दिनांक 30 अप्रैल 2011


[img_assist|nid=30183|title=|desc=|link=none|align=left|width=400|height=325]भारत सरकार की नदी गठजोड़ परियोजना के तहत प्रधानमंत्री जी की उपस्थिति में विगत 25 अगस्त 2005 को उ.प्र. तथा म.प्र. सरकारों द्वारा केन-बेतवा नदी गठजोड़ पर त्वरित कार्य स्वीकार किया गया था। इसे समझना बुन्देलखण्ड के परिप्रेक्ष्य में आवश्यक है।

 

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