पीयूष बबेले

पीयूष बबेले
बलिया आर्सेनिक : जहर बुझे जल का कहर
Posted on 13 Sep, 2015 12:27 PM
करीब 35 लाख की आबादी का बलिया जिला जहरीले आर्सेनिक की चपेट में है। पेयजल में आर्सेनिक की अधिक मात्रा होने से काले-सफेद चित्तीदार धब्बे, हथेली का खुरदुरा और कड़ा होना, घाव होना आदि के साथ ही त्वचा कैंसर से लेकर शरीर के विभिन्न अंगों में कैंसर हो सकते हैं। बलिया में हजारों की आबादी हर साल आर्सेनिक जनित कैंसर आर्सिनोकोसिस से मर रही है। बता रहे हैं इंडिया टुडे के राष्ट्रीय संवाददाता पीयूष बबेले।
जोड़ने की या उजाड़ने की योजना
Posted on 26 Sep, 2014 11:29 AM
प्रसिद्ध खजुराहो के मंदिरों से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर एक नया आकर्षण जन्म ले रहा है। यह कुछ और नहीं बल्कि देश भर में सैकड़ों नदियों को एक-दूसरे से कुछ बेढब और निरा अवैज्ञानिक किस्म से जोड़ने की कोशिश है। हम इस नए अप्राकृतिक या कृत्रिम योजना को देखने के आकर्षण में पन्ना टाइगर रिजर्व के गंगऊ द्वार की तरफ बढ़ चले।

बाढ़ और सुखाड़ से निपटारा!


अब दशक से ठंडे बस्ते में पड़ी योजना को साकार किया जा रहा है। केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना को नरेंद्र मोदी सरकार की मंजूरी मिलने के बाद फिजां में नए गुंताड़े चल रहे हैं। बहुत से लोगों का मानना है कि केन में अक्सर आने वाली बाढ़ में बर्बाद होने वाला पानी अब बेतवा में पहुंचकर हजारों एकड़ खेतों में फसलों को सिंचित करेगी और हमारे अनाज उत्पादन में अप्रत्याशित तौर पर बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी।
<i>केन-बेतवा में विस्थापित होने वाले पिलकोहा गांव के लोग</i>
दम तोड़ रहे हैं हमारे तालाब
Posted on 18 Sep, 2014 10:38 AM
अचानक 2003 में उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के मऊरानीपुर कस्बे की नगरपालिका यहां पूर्व दिशा में स्थित दो तालाब को लेकर फिक्रमंद दिखने लगीं। इस कस्बे के दो तालाब- वाजपेयी और मुनि तालाब के बारे मेें नगरपालिका ने प्रदेश सरकार को एक चिट्ठी लिखी और कहा -‘केंद्र और राज्य सरकारें तालाबों के संरक्षण को इच्छुक हैं और फिलहाज इन तालाबों पर किसी का अवैध कब्जा भी नहीं है इसलिए इन पर काम शुरू किया जाए।’
बात आई-गई हो गई और एक दशक का लंबा वक्त बीत गया। पिछले साल की गर्मियों में प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और नगर विकास मंत्री आजम खान ने एक बार फिर बुंदेलखंड के तालाबों के संरक्षण को लेकर दिलचस्पी जाहिर की। कुल 16 तालाबों के संरक्षण के नाम पर 66 करोड़ रुपए जारी किए गए। संरक्षण बनाने के लिए नगरपालिका ने जब अपने रिकॉर्ड खंगाले तो उसमें मुनि तालाब का जिक्र तक नहीं था और वाजपेयी तालाब भी अपनी भौगोलिक सरहद में आधा ही बचा हुआ था।
<i>मदन सागर तालाब</i>
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