भरतपुर जिला

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रोटी के लिये मलमूत्र की सफाई
Posted on 01 Oct, 2018 01:45 PM

राजस्थान के बेहनारा गाँव में सूखा शौचालय साफ करती मुन्नी (फोटो साभार - द हिन्दू)राजस्थान का एक गाँव जो पेपर पर खुले में शौच से मुक्त घोषित हो चुका है, लेकिन स्वच्छ भारत मिशन के चार साल बाद भी रोटी के लिये मलमूत्र की सफाई करने को मजबूर हैं।

राजस्थान के बेहनारा गाँव में सूखा शौचालय साफ करती मुन्नी
पंचायत समिति कुम्हेर की भूजल स्थिति
Posted on 21 Nov, 2015 11:41 AM
पंचायत समिति, कुम्हेर (जिला भरतपुर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा भरतपुर जिले में 514.26 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 453.51 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
पंचायत समिति कामां की भूजल स्थिति
Posted on 21 Nov, 2015 11:39 AM
पंचायत समिति, कामां (जिला भरतपुर) अर्द्धसंवेदनशील श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा भरतपुर जिले में 514.26 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 453.51 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
पंचायत समिति डीग की भूजल स्थिति
Posted on 21 Nov, 2015 11:37 AM
पंचायत समिति, डीग (जिला भरतपुर) संवेदनशील (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा भरतपुर जिले में 514.26 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 453.51 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
पंचायत समिति बयाना की भूजल स्थिति
Posted on 20 Nov, 2015 04:16 PM
पंचायत समिति, बयाना (जिला भरतपुर) संवेदनशील (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा भरतपुर जिले में 514.26 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 453.51 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
आजादी के 68 साल बाद भी सिर पर पानी ढो रहीं महिलाएँ
Posted on 09 Jan, 2015 10:04 AM

मिलेनियम सिटी के आधा दर्जन गाँवों में भीषण पेयजल संकट



पेयजल समस्या का समाधान न करने पर आन्दोलन करने की दी धमकी

मीठे पानी की आस हुई पूरी
Posted on 27 Oct, 2012 04:50 PM राजस्थान के भरतपुर जिले के लोगों को पीने का पर्याप्त मीठा पानी मयस्सर नहीं था। करीब 70 से 75 फीसदी आबादी खारा पानी पीने को विवश थी। जाहिर है, खारे पानी से उनकी प्यास बमुश्किल ही बुझती थी लेकिन चंबल-धौलापुर-भरतपुर वृहद पेयजल परियोजना ने काफी हद तक इस कमी को दूर किया है।

प्रस्तावित 599 गांवों में चंबल नदी के जल के वितरण के कार्य के लिए गांवों के क्लस्टर निर्माण के विस्तृत तखमीने बनाने का कार्य भी अलग से प्रारंभ किया जा रहा है। चंबल-धौलपुर-भरतपुर परियोजना की मुख्य ट्रांसमिशन पाइप लाइन से रूपवास में ऑफटीक देकर रूपवास तहसील के खारे पानी की समस्या से ग्रस्त 30 गांवों को चंबल नदी का जल उपलब्ध कराने की योजना की विस्तृत तकनीकी प्रस्ताव भी तैयार किए गए हैं। इन प्रस्तावों की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति शीघ्र जारी कर कार्यों को प्रारंभ किया जाएगा। राजस्थान के भरतपुर जिले के लोगों की मीठे पानी पीने की आस अब पूरी हो रही है। भरतपुर शहर के बाशिंदों को अब मीठे पानी का स्वाद पता चला है। यहां के लोग अब तक खारा पानी पीने के लिए ही अभिशप्त थे। हालांकि साल 1970 से इस शहर को बांध बारेठा से मीठे पानी की आपूर्ति की जा रही थी लेकिन यह पानी इस शहर की मात्र 20-25 प्रतिशत आबादी की प्यास बुझा रहा थ। अब चंबल नदी का पानी भरतपुर पहुंचने से राजस्थान के इस ऐतिहासिक शहर की फिजां बहुत बदली-सी नजर आने लगी है।
घना में रौनक तो है साइबेरियाई सारस नहीं
Posted on 13 Feb, 2012 10:35 AM

साइबेरियाई सारस सहित यहां आने वाले सभी विदेशी पक्षी शाकाहारी होते हैं जो कि यहां कि वनस्पतियों पर निर्भर रहते है

खेतों में उगाया पैसा
Posted on 15 Aug, 2011 09:24 AM

मात्र आठवीं कक्षा तक पढ़े महावीर को यह पता नहीं था कि एक बीघा खेत से 60-70 हजार रुपया कमाया जा सकता है। वह तो अब तक यही देखता आया था कि सरसों हो या गेहूं, एक बीघा खेत से साल भर में 8-10 हजार रुपये की आमदनी ही हो सकती है। महावीर रात-दिन खेत में जी तोड़ मेहनत करता। सर्दी, गर्मी और बरसात से भी हार नहीं मानता किन्तु उसके पास मौजूद पांच बीघा जमीन से उसके परिवार का गुजारा नहीं हो पा रहा था। खेती-बाड़

पपीता की खेती
उम्मीद जगाती एक नदी का रुदन
Posted on 11 Jul, 2011 08:33 AM

प्लांट के लिए चंबल से डाली जा रही पाइपलाइन

चंबल नदी
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