भरतपुर जिला

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केवलादेव की राष्ट्रीय पहचान पर संकट मडराया
Posted on 11 Dec, 2009 12:38 PM राजस्थान की यूँ तो अपनी पहचान है. मगर उस पहचान के साथ भरतपुर के केवलादेव पक्षी विहार के जुड जाने से से उसमें वृद्वि ही होती है . प्रदेश के पूर्वी हिस्से के जिले भरतपुर में पक्षियों का स्वर्ग कहा जाने वाला पक्षी विहार है. इसे फिलहाल विश्व प्राकृतिक धरोहर का दर्जा मिला हुआ है.
भरतपुर के केवलादेव पक्षी विहार के उथले पानी में भोजन की तलाश करते परिन्दे
पक्षियों के हिस्से का पानी पी गया इंसान
Posted on 25 Jun, 2009 08:46 AM

पानी की किल्लत हो तो इंसान बोतलबंद पानी खरीद सकता है या फिर सरकार को बाध्य कर सकता है कि व्यवस्था उनके लिए पानी की व्यवस्था करे. लेकिन पक्षियों का क्या? पानी तो पक्षियों को भी चाहिए. लेकिन मनुष्य की स्वार्थ बुद्धि कितनी जटिल हो गयी है कि उसने अपने अलावा प्रकृति में सबके लिए जीवन के दरवाजे बंद कर दिये हैं.
मछली-पालन ने बदली जीराहेड़ा की तस्वीर
Posted on 14 Dec, 2014 09:20 AM खेतों में मजदूरी या दिल्ली अथवा हरियाणा में मजदूरी कर जीवन-यापन करन
अरावली में अवैध खनन
Posted on 27 Aug, 2010 09:46 AM
राजस्थान की पहचान वैसे तो रेगिस्तान से है। लेकिन अरावली की श्रृखलाएं भी उसके बहुत बडे हिस्से में फैली हुई हैं। अभी तक अरावली की इन श्रृखलाओं को हरा-भरा करने के नाम पर देश और विदेशी मदद के पैसे को अकेला वन विभाग हड़प करता रहा। अब इन श्रृखलाओं से पत्थर और लकडी का दोहन सरकार के दर्जनों विभाग और उनकी आड़ में खुद सरकारें कर रही हैं। राजस्थान के भरतपुर जिले में अवैध खनन के गोरखधंधे की पड़ताल कर
संकट में है सुजान गंगा
Posted on 17 May, 2010 08:22 AM
राजस्थान के भरतपुर जिले में एक सुजान गंगा है. ऐतिहासिक महत्व की ये नहर अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष के साथ लोगों के लिए मुसीबत बन गई है. अब एक बार फिर न्यायालय ने सुजान गंगा के उद्धार के लिए हस्तक्षेप किया है. देखना ये है कि कोर्ट की फटकार के बाद सरकारी अमला कुछ करता है या फिर वो ही ढाक के तीन पात वाली बात होकर रह जायेगी.
राजस्थान की नदियां
Posted on 13 Oct, 2008 10:50 AM

- राहुल तनेगारिया

१) चम्बल नदी -

इस नदी का प्राचीन नाम चर्मावती है। कुछ स्थानों पर इसे कामधेनु भी कहा जाता है। यह नदी मध्य प्रदेश के मऊ के दक्षिण में मानपुर के समीप जनापाव पहाड़ी (६१६ मीटर ऊँची) के विन्ध्यन कगारों के उत्तरी पार्श्व से निकलती है। अपने उदगम् स्थल से ३२५ किलोमीटर उत्तर दिशा की ओर एक लंबे संकीर्ण मार्ग से तीव्रगति से प्रवाहित होती हुई चौरासीगढ़ के समीप राजस्थान में प्रवेश करती है। यहां से कोटा तक लगभग ११३ किलोमीटर की दूरी एक गार्ज से बहकर तय करती है। चंबल नदी पर भैंस रोड़गढ़ के पास प्रख्यात चूलिया प्रपात है। यह नदी

माही नदी
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