Posted on 16 Jul, 2011 02:28 PMउत्तर फसलों को जिन पोषक तत्वों की कम मात्रा (1 पीपीएम) की आवश्यकता होती है उसे सूक्ष्म पोषक तत्व कहते हैं जैसे - जिंक, लोहा, कॉंपर, बोरान एवं मैग्नीज, मालीबिडनम।
Posted on 16 Jul, 2011 02:26 PMउत्तर नाडेप-विधि द्वारा, कम्पोस्ट के गड्ढे तैयार करके तथा वर्मीकम्पोस्ट तैयार कर देशी खाद उत्तम गुणवत्ता की तैयार कर सकते हैं ?
Posted on 16 Jul, 2011 02:21 PMउत्तर स्वस्थ मृदा का मतलब है कि उसमें फसल उगाने की ताकत के साथ साथ आवश्यक पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा हो और नमी रोकन की क्षमता हो।
Posted on 16 Jul, 2011 02:18 PMउत्तर सरल और सस्ता उपाय है। विविधीकरण को अपनाएं अर्थात अपने खेतों पर उद्यानिकी, मुर्गीपालन, पशुपालन, मधुमक्खीपालन तथा मशरूम की खेती आदि अपनाएं।
Posted on 16 Jul, 2011 02:16 PMउत्तर कृषि उद्यमिता अपनाएं। वर्मी कम्पोस्ट/नाडेप कम्पोस्ट तैयार कर बिक्री कर सकते है बहुंत मॉंग है। औद्यानिक एक सफल रास्ता है। उसे अपनाएं।
Posted on 16 Jul, 2011 02:13 PMउत्तर कृषि वानिकी अपनाएं। औषधीय पौधों की खेती कर सकते है। सरकार की तरफ से औषधीय खती पर प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
Posted on 16 Jul, 2011 01:08 PMउत्तर धान गेहूँ का फसल चक्र अधिक पोषक तत्व की मॉंग करता है। जिससे भूमि कमजोर हो जाती है। इसलिए गेहूँ की उपज कम हो रही है। अतः गेहूँ की कटाई के बाद तथा धान की रोपाई के पहले खेतों में हरी खाद का प्रयोग तथा औसतन 10 कुन्तल गोबर की खाद का प्रयोग करें।