भारत

Term Path Alias

/regions/india

मिसाल बेमिसाल
Posted on 25 Jul, 2018 02:44 PM


द्वारका वाटर बॉडीज रिवाइवल कमेटी (Dwarka Water Bodies Revival Committee) का प्रयास आखिरकार रंग लाया। कमेटी के सदस्यों ने बिना सरकारी मदद के इलाके के दो तालाबों को जीवन्त रूप देने में सफलता हासिल की है। लेकिन सफलता की यह लड़ाई काफी लम्बी है जिसमें सरकारी महकमें की उदासीनता और कानूनी दाँव-पेंच से भी कमेटी के सदस्यों को रूबरू होना पड़ा है।

डिस्ट्रिक्ट पार्क तालाब सेक्टर 23 द्वारका दिल्ली
तालाब: कश्मीर की लुप्तप्राय विरासत
Posted on 22 Jul, 2018 07:02 PM

खराब रख-रखाव, जनसंख्या के बढ़ते दबाव के साथ ही नए बसाव स्थलों की जरुरत ने कश्मीर में तालाबों को मारने का का

pond
हरित निवेश से करें खेती में हुए नुकसान की भरपाई
Posted on 22 Jul, 2018 02:02 PM

फलदार वृक्षों में अमरूद, जामुन, महुआ, आँवला और अनार के पेड़ खेतों की मेंड़ पर लगाए जा सकते हैं। यह पेड़ पा

Horticulture
जीवन का अर्थ : अर्थमय जीवन
Posted on 18 Jul, 2018 09:30 AM


आजकल अक्सर ऐसी बैठकों में, सभा सम्मेलनों के प्रारम्भ में एक दीपक जलाया जाता है। यह शायद प्रतीक है, अन्धेरा दूर करने का। दीया जलाकर प्रकाश करने का। इसका एक अर्थ यह भी है कि अन्धेरा कुछ ज्यादा ही होगा, हम सबके आसपास।

यह अन्धेरा बाकी समय उतना नहीं दिखता, जितना वह तब दिखता है जब हम अपने मित्रों के साथ ऐसी सभाओं में बैठते हैं। तो दीये से कुछ अन्धेरा दूर होता होगा और शायद आपस में इस तरह से बैठने से, कुछ अच्छी बातचीत से, विचार-विमर्श से भी अन्धेरा कुछ छँटता ही होगा। शायद साथ चाय, कॉफी पीने से भी।

ऐसा कहना थोड़ा हल्का लगे तो इसमें संस्कृत का वजन भी डाला जा सकता है: ओम सहना ववतु, सहनौ भुनक्तु आदि। दीया जलाने का यह चलन कब शुरू हुआ होगा, ठीक कहा नहीं जा सकता। इससे मिलती-जुलती प्रथा ऐसी थी कि जब ऐसी कोई सभा-गोष्ठी होती, अतिथियों के स्वागत में मंच के सामने पहले से ही एक दीया जलाकर रख दिया जाता था।

बिहार में चिन्ताजनक है भूजल स्तर की स्थिति
Posted on 10 Jul, 2018 05:54 PM


नई दिल्ली। बिहार के कई जिलों में भूजल स्तर की स्थिति पिछले 30 सालों में चिन्ताजनक हो गई है। कुछ जिलों में भूजल स्तर दो से तीन मीटर तक गिर गया है।

एक ताजा अध्ययन के अनुसार, भूजल में इस गिरावट का मुख्य कारण झाड़ीदार वनस्पति क्षेत्रों एवं जल निकाय क्षेत्रों का तेजी से सिमटना है। आबादी में बढ़ोत्तरी और कृषि क्षेत्र में विस्तार के कारण भी भूजल की माँग बढ़ी है।

वर्ष 1984 से 2013 के दौरान मानसून से पहले और बाद में भूजल स्तर की स्थिति
कितने पोषण की जरूरत - बताएगा यह नया ऐप
Posted on 02 Jul, 2018 06:07 PM


नई दिल्ली। हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) ने न्यूट्रिफाई इंडिया नाउ नामक एक नया ऐप लॉन्च किया है, जो पोषण सम्बन्धी जरूरतों के बारे में लोगों को जागरूक करने में मददगार हो सकता है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने शुक्रवार को यह ऐप नई दिल्ली में लॉन्च किया है।

न्यूट्रिफाई इंडिया नाउ ऐप
सम्पन्नता की बूँदों का हो चतुर इस्तेमाल
Posted on 02 Jul, 2018 03:00 PM

बारिश की सबसे अच्छी बात यह है कि यह सभी की जिन्दगी में सम्पन्नता लेकर आती है, लेकिन प्रबन्धन की कमी के चलते इसका प्रभाव अधिक समय तक नहीं टिकता। अध्ययन बताते हैं कि मानसूनी बारिश के दिन भले ही 100 हों, लेकिन 400-600 मिमी होने वाली बारिश का अधिकांश हिस्सा सिर्फ 100 घण्टे से कम में ही बरसता है। लिहाजा हर किसान, ग्राम पंचायत, शहर और कस्बे के वासियों और शहरी सोसायटियों के लोगों को सक्रियता और विव
rainwater harvesting
सब कुछ लौटा रहा है समुद्र
Posted on 01 Jul, 2018 06:14 PM


पास हो कि हो दूर, सदियों से एक रिश्ता रहा है समुद्र और जिन्दगी का। पर्यावरण वैज्ञानिक कहते हैं, यह रिश्ता अपनी रागात्मकता खो चुका है। समुद्र को दुनिया का सबसे बड़ा कूड़ा-दान समझकर हमने जो कुछ भी फेंका और बहाया है, वह सब उसके बही-खाते में दर्ज है और कभी हवा तो कभी बारिश के सहारे बेहद बारीक कणों और रूपों में हमारे पास वापस आ रहा है।

समुद्र
शहरीकरण की कीमत
Posted on 01 Jul, 2018 12:54 PM

दिल्ली के हाईकोर्ट ने राजधानी में अगली सुनवाई तक पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी है। एक आवासीय परिसर के लिये हजारों पेड़ों को काटने की जरूरत शहरीकरण की अन्धाधुन्ध दौड़ का नतीजा है, जिसकी कीमत चुकाने के लिये हमें तैयार रहना चाहिए।
पेड़ बचाएँ
×