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भारत
पर्यावरण शरणार्थी: एक नई बिरादरी
Posted on 03 Jun, 2010 02:48 PMबांग्लादेश के दक्षिणी तट स्थित कुतुबदिया नामक द्वीप अपने आकार में आज, एक शताब्दी पूर्व का मात्र 20 प्रतिशत रह गया है। इसका कारण है शक्तिशाली व ज्वार की लहरों, एवं समुद्री तूफानों के कारण होने वाला कटाव। समुद्र इस द्वीप में 15 कि.मी.सबसे बड़ा संकट- पानी
Posted on 29 May, 2010 09:20 AMबाबर ने अपने बाबरनामा में एक जगह लिखा है कि हिन्दुस्तान में चारों तरफ पानी-ही-पानी दिखाई देता है। यहां जितनी नदियां, मैने कहीं नहीं देखीं हैं। यहां पर वर्षा इतनी जोरदार होती है कि कई-कई दिनों तक थमने का नाम नहीं लेती है। बाबर के इस लेख से ज्ञात होता है कि पानी के मामले में भारत आत्मनिर्भर था लेकिन अब तो वह बूंद-बूंद पानी के लिए तड़प रहा है।भुखमरी, महामारी, अकाल के शिकार होकर प्राणियों को मरते तो देखा गया है, परन्तु किसी व्यक्ति ने पानी के बिना प्यास से दम तोड़ दिया हो इसका उल्लेख कहीं नहीं मिलता। 20वीं सदी की पहचान यही होगी कि प्यास के मारे प्राणियों ने दम तोड़ा है। बाबर ने अपने बाबरनामा में एक जगह लिखा है कि हिन्दुस्तान में चारों तरफ पानी-ही-पानी दिखाई देता है। यहां जितनी नदियां, मैने कहीं नहीं देखीं हैं। यहां पर वर्षा इतनी जोरदार होती है कि कई-कई दिनों तक थमने का नाम नहीं लेती है। बाबर के इस लेख से ज्ञात होता है कि पानी के मामले में भारत आत्मनिर्भर था लेकिन अब तो वह बूंद-बूंद पानी के लिए तड़प रहा है। पर्याप्त वर्षा न होना पर्यावरण प्रदूषण की गंभीरतावाटर और सेनिटेशन के हालात जस के तस
Posted on 28 May, 2010 12:58 PMभारत में जल और स्वच्छता हमेशा ही चिंता का विषय रहे हैं। कईं बार नीतियां तो बहुत अच्ठी बनी होती हैं लेकिन क्रियांवयन में असफल हो जाती हैं।
साल दर साल हम पानी पर विवाद के बारे में बार- बार वही खबर सुनते और पढ़ते हैं, और सरकार उन समस्याओं का निराकरण करने में विफल हो रही है।
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मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी
Posted on 28 May, 2010 12:23 PMमहात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में महिलाओं की भागीदारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी पुरुषों की। योजना के तहत महिलाओं के लिये क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं और उनका समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है आईये सुनते हैं सुश्री एनी राजा से, जो नेशनल फेडरेशन ऑव वीमेन की जनरल सेक्रेटरी हैं........
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मल-व्यवस्था
Posted on 27 May, 2010 07:08 PMसेंद्रिय खाद-द्रव्य मिलने के आदमी के बस के जरिये हैं- गोबर खाद और सोन-खाद। उनका महत्व और गोबर-खाद बनाने का तरीका-कम्पोस्ट-देखने के बाद, अब सोन-खाद के तरीकों को देखना ठीक होगा। मल-सफाई के लिए हमें जो तरीका अपनाना है, वह ऐसा हो, जिसे कोई भी बिना घृणा के और कम-से-कम मेहनत में कर सके। साथ ही उसकी खाद भी हो। मैले की खाद बनने के लिए और गन्दगी न फैलने के लिए मैले को तुरन्त ही ढँक देना जरूरी होता है। घर मकैसे करें जल संरक्षण
Posted on 27 May, 2010 06:50 PMजल संरक्षण का क्या महत्व है और जल संरक्षण की विभिन्न पद्धतियां कौन कौन सी हैं बता रहे हैं अवध कुमार................
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मनरेगाः कैसे करें शिकायत
Posted on 27 May, 2010 06:48 PMमहात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में शिकायतों का निवारण कैसे करें, मनरेगा में काम करने वाले और इसके तहत काम पाने के इच्छुक लोग इस तंत्र का इस्तेमाल कर सकते हैं मगर कैसे, सुनिये...........
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कहां खो गए प्याऊ..
Posted on 27 May, 2010 08:39 AMबदलते वक्त के साथ ऐसी कई छवियां स्मृति-पटल से ओझल होती जा रही हैं, जो एक समय तक हमारे लिए बेहद सामान्य थीं। सड़कों के किनारे चंद मटकों से सुसज्जित ‘प्याऊ’ भी उनमें से एक है। बोतलबंद और ढेरों खूबियों वाले मिनरल वॉटर के युग में मिट्टी के मटकों का सौंधी खुशबू वाला ठंडा और गला तर कर देने वाले पानी की उपलब्धता अब न्यून हो गई है। या यूं कह लें कि अब इनका चलन नहीं रहा। सदियों पुरानी ‘प्याऊ’ परम्परा
तृप्ति वो ही प्याऊ वाली
Posted on 26 May, 2010 09:45 PMसमाज में कई परंपराएँ जन्म लेती हैं और कई टूट जाती हैं। परंपराओं का प्रारंभ होना और टूटना विकासशील समाज का आवश्यक तत्त्व है। कुछ परंपराएँ टूटने के लिए ही होती हैं पर कुछ परंपराएँ ऐसी होती हैं, जिनका टूटना मन को दु:खी कर जाता है और परंपराएँ हमारे देखते ही देखते समाप्त हो जाती हैं, उसे परंपरा की मौत कहा जा सकता है।