Posted on 30 May, 2011 11:23 AMग्यारह साल पहले यानी 2000 में सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य तय किए गए तो पूरी दुनिया ने इसका स्वागत किया। कहा गया कि बुनियादी समस्याओं के समाधान की राह में अहम कदम उठा लिया गया है। तकरीबन डेढ़ सौ देशों की सहभागिता वाले इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए दुनिया के स्तर पर काफी पैसे भी जुटाए गए। तय हुआ कि ये आठ लक्ष्य 2015 तक पूरे कर लिए जाएंगे। अब महज चार साल ही बचे हैं। ऐसे में इन लक्ष्यों को पाने को लेकर संदेह गहराता जा रहा है। न लक्ष्यों को पाने की दिशा में अपेक्षित प्रगति नहीं होने के लिए विकासशील देशों के रवैए के साथ-साथ विकसित देशों की वादाखिलाफी को भी जिम्मेदार माना जा रहा है।
Posted on 23 May, 2011 09:01 AMपानी ढोते-ढोते खर्च हो जाती है स्त्रियों की पूरी एक उम्र इन स्त्रियों का पसीना उन पहाडि़यों के माथे से सूखता नहीं कभी जिनकी तराई में स्त्रियाँ झरने से भरती हैं अपने गुण्डी-कलश
मरुस्थल की प्यास ज़िन्दा रखने का स्त्रियों में होता है अद्भुत हुनर उन्हीं से जागते हैं घर के बर्तन-बासन और पहाड़ी-पगडण्डियाँ