पानी बग़ावत करता है
झूठ-मूठ में सिर नहीं हिलाता
पानी जहाँ भी है
कुछ न कुछ कर रहा है
ज़िन्दगी का काम-काज
पानी ही है जो आँख में
सच्चाई चीन्हता है
और हथेलियों की आग
पानी अग्निगर्भ है
बिजली पैदा करता है
पचाता है अन्न
पानी का बल
कि अनुशासित है
बीहड़ से बीहड़ प्यास
आदिकवि की रामायण खोलो
गंगा में सीता का विलाप सुनाई देता है!
झूठ-मूठ में सिर नहीं हिलाता
पानी जहाँ भी है
कुछ न कुछ कर रहा है
ज़िन्दगी का काम-काज
पानी ही है जो आँख में
सच्चाई चीन्हता है
और हथेलियों की आग
पानी अग्निगर्भ है
बिजली पैदा करता है
पचाता है अन्न
पानी का बल
कि अनुशासित है
बीहड़ से बीहड़ प्यास
आदिकवि की रामायण खोलो
गंगा में सीता का विलाप सुनाई देता है!
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