सादगी

पानी में अथाह सादगी है
चुल्लू में भरा जल हो
या परात में
गरिमामय सादगी से डोलता है

सुराही चाहे कितनी भी भव्य हो
पानी अपनी विरल सादगी से ही
भरता है गिलास

हलक चाहे राजा का हो
या प्रजा का
पानी अपनी सहज तरलता से ही
सींचता है उसे

पानी चाहे सुवर्ण-पात्र में हो
या कुल्हड़ में
अपने स्वभाव में होता है हरहमेशा
ध्यान से देखा जाय तो
पानी की उदात्त सादगी
सीधा ज़वाब है ठस सामन्ती आचार-व्यवहार का

पानी की सादगी पर
प्यास लुटाती है अपनी जान
पानी भी जीवन की सादगी पर
सम्मान से
होता रहता है द्रवित!

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