Posted on 09 Mar, 2014 06:48 PMआज के विकसित व आधुनिक युग में हमें स्वीकार करना चाहिए कि इस धरती पर सिर्फ हमारा ही अधिकार नहीं है अपितु इसके विभिन्न भागों मे विद्यमान करोडों प्रजातियों का भी इस पर उतना ही अधिकार है जितना हमारा। धरती पर हमारे अस्तित्व को बचाए रखने में समस्त प्रकार की जैव विविधता को बनाए रखना अपरिहार्य है। वेटलैंड एक विशिष्ट प्रकार का पारिस्थितिकीय तंत्र है तथा जैवविविधता का महत्वपूर्ण अंग है। भू-जल क्षेत्र का मि
Posted on 19 Feb, 2014 10:07 PMडूब में आते हुए हलके,इलाके, नदी पोखर, हो सकूँगा समूचा में इन्हें खोकर ?
बड़ी मछली के लिए बाकायदा छोटी समर्पित हों ! युगों की लम्बी पुरानी कथा –यात्राएँ विसर्जित हो ! मुनादी हम सुन रहे चुप चीख हा-हाकार होकर, सुन रही गोचर जमीनें, डूँगंरी डाँगें अगोचर,
Posted on 19 Feb, 2014 09:35 PM नदी वो अपने अश्रु में आकाश को डुबोएगी नदी के अंग कटेंगे तो नदी रोएगी नदी को हंसने दो नदी को बहने दो
छुरी के हाथ ही होते हैं, आँख कब होती नदी में धुल गई होती तो बहुत रोती मिलेगा उसको क्या, जो भी मिलेगा खोएगी नदी के अंग कटेंगे रो नदी रोएगी नदी को बहने दो
Posted on 15 Feb, 2014 10:13 AMजबकि नयी दिल्ली और बीजिंग के राजनयिक सीमा रेखा मुद्दे पर बातचीत करते है, चीनी इंजीनियरों का ब्रम्हपुत्र नदी के जल को मोड़ने की योजना पर काम जारी है। परियोजना को बंद कर देने के आश्वासनों के बावजूद ऐसा हो रहा है।
Posted on 13 Feb, 2014 05:11 PMवायु हमारी जिन्दगी का अत्यन्त आवश्यक तत्व है। वायु प्रदूषण को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया जा सकता। वायु कुछ गैसों का और नमी का मिश्रण है। इसमें कुछ अक्रिय (inert) पदार्थ भी हैं।
Posted on 10 Feb, 2014 08:55 AM `चाल’ सामान्य अर्थ में सिर्फ वाटर टैंक नहीं हुआ करते थे। पहाड़ों पर यह पानी को सहेजने का एक तरीका हुआ करता था। पर अब चाल-खाल गायब हो रहे हैं। इसके साथ ही गायब हो रही है पहाड़ की पारंपरिक जल प्रबंधन की व्यवस्था। जाहिर है, आगे की कहानी त्रासद है।