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वेटलैण्ड: क्या और क्यों
Posted on 09 Mar, 2014 06:48 PM आज के विकसित व आधुनिक युग में हमें स्वीकार करना चाहिए कि इस धरती पर सिर्फ हमारा ही अधिकार नहीं है अपितु इसके विभिन्न भागों मे विद्यमान करोडों प्रजातियों का भी इस पर उतना ही अधिकार है जितना हमारा। धरती पर हमारे अस्तित्व को बचाए रखने में समस्त प्रकार की जैव विविधता को बनाए रखना अपरिहार्य है। वेटलैंड एक विशिष्ट प्रकार का पारिस्थितिकीय तंत्र है तथा जैवविविधता का महत्वपूर्ण अंग है। भू-जल क्षेत्र का मि
नर्मदा के आसपास :विस्थापन
Posted on 19 Feb, 2014 10:07 PM डूब में आते हुए
हलके,इलाके, नदी पोखर,
हो सकूँगा समूचा में
इन्हें खोकर ?

बड़ी मछली के लिए
बाकायदा
छोटी समर्पित हों !
युगों की लम्बी पुरानी
कथा –यात्राएँ विसर्जित हो !
मुनादी हम सुन रहे चुप
चीख हा-हाकार होकर,
सुन रही गोचर जमीनें,
डूँगंरी डाँगें अगोचर,
पानी बिच मीन
Posted on 19 Feb, 2014 09:53 PM पानी बिच मीन पियासी
खेतों में भूख–उदासी
यह उलट बाँसियाँ नही कबीर –खालिस चाल सियासी !
पानी बिच मीन पियासी

लोहे का सर, पाँव काठ के,
बीस बरस में हुए साठ के
, मेरे ग्राम निवासी कबिरा-झोपडपट्टी वासी !
पानी बिच मीन पियासी

सोया बच्चा गाये लोरी,
पहरेदार करे है चोरी,
जुर्म करे है न्याय निवारण –न्याय चढ़े है फाँसी!
धरोहर
Posted on 19 Feb, 2014 09:35 PM नदी वो अपने अश्रु में आकाश को डुबोएगी
नदी के अंग कटेंगे तो नदी रोएगी
नदी को हंसने दो
नदी को बहने दो

छुरी के हाथ ही होते हैं, आँख कब होती
नदी में धुल गई होती तो बहुत रोती
मिलेगा उसको क्या, जो भी मिलेगा खोएगी
नदी के अंग कटेंगे रो नदी रोएगी
नदी को बहने दो

तुम्हारे काँपते चुल्लू में खून है जिसका
नवीकरण
Posted on 19 Feb, 2014 09:21 PM यह
एक लहर थी
जो ले गयी
एक जल
Posted on 19 Feb, 2014 09:04 PM
झर रहा नयाज्ञानोदय, मार्च 2004एक जल
मेघों के लकीरों से

पलकों पर
पत्तों पर
पक्षी के थरथराते पंखो पर

झर रहा एक जल
प्याऊ से
बच्चों की ओक बनी
हथेलियों में

तट पर
आँगन में
तुलसी के चौरे पर
माथे के राग में

विराग में
वंशी के स्वर में
एक जल
प्यासे ड्रैगन को पानी चाहिये
Posted on 15 Feb, 2014 10:13 AM जबकि नयी दिल्ली और बीजिंग के राजनयिक सीमा रेखा मुद्दे पर बातचीत करते है, चीनी इंजीनियरों का ब्रम्हपुत्र नदी के जल को मोड़ने की योजना पर काम जारी है। परियोजना को बंद कर देने के आश्वासनों के बावजूद ऐसा हो रहा है।
वायु प्रदूषण (Air Pollution in Hindi)
Posted on 13 Feb, 2014 05:11 PM
वायु हमारी जिन्दगी का अत्यन्त आवश्यक तत्व है। वायु प्रदूषण को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया जा सकता। वायु कुछ गैसों का और नमी का मिश्रण है। इसमें कुछ अक्रिय (inert) पदार्थ भी हैं।
पानी के पड़ोस में
Posted on 10 Feb, 2014 08:55 AM
`चाल’ सामान्य अर्थ में सिर्फ वाटर टैंक नहीं हुआ करते थे। पहाड़ों पर यह पानी को सहेजने का एक तरीका हुआ करता था। पर अब चाल-खाल गायब हो रहे हैं। इसके साथ ही गायब हो रही है पहाड़ की पारंपरिक जल प्रबंधन की व्यवस्था। जाहिर है, आगे की कहानी त्रासद है।
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