नईम

नईम
नर्मदा के आसपास :विस्थापन
Posted on 19 Feb, 2014 10:07 PM
डूब में आते हुए
हलके,इलाके, नदी पोखर,
हो सकूँगा समूचा में
इन्हें खोकर ?

बड़ी मछली के लिए
बाकायदा
छोटी समर्पित हों !
युगों की लम्बी पुरानी
कथा –यात्राएँ विसर्जित हो !
मुनादी हम सुन रहे चुप
चीख हा-हाकार होकर,
सुन रही गोचर जमीनें,
डूँगंरी डाँगें अगोचर,
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