गिर्दा

गिर्दा
पानी बिच मीन
Posted on 19 Feb, 2014 09:53 PM
पानी बिच मीन पियासी
खेतों में भूख–उदासी
यह उलट बाँसियाँ नही कबीर –खालिस चाल सियासी !
पानी बिच मीन पियासी

लोहे का सर, पाँव काठ के,
बीस बरस में हुए साठ के
, मेरे ग्राम निवासी कबिरा-झोपडपट्टी वासी !
पानी बिच मीन पियासी

सोया बच्चा गाये लोरी,
पहरेदार करे है चोरी,
जुर्म करे है न्याय निवारण –न्याय चढ़े है फाँसी!
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