Posted on 06 Aug, 2014 05:20 PMराष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने हाल ही में अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में देश की किसी भी नदी में बिना किसी लाइसेंस या पर्यावरणीय मंजूरी के रेत खनन पर रोक लगा दी है। अपने आदेश में उसने देश के सभी राज्यों के खनन अधिकारियों और पुलिस से इसे सख्ती से लागू करने को कहा है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण यानी एनजीटी की जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि किसी भी नदी से रेत निकालने के लिए पहले इज
Posted on 05 Aug, 2014 09:04 AMहमारी लल्ली जिज्जी दुनिया से निराली हैं। पूरे मथुरा शहर की खबरें और बातें उन से सुन लो। वर्षों से नियम है कि सवेरे ही जमुना जी और राजाधिराज के दर्शन करने जाती हैं और लौटते बखत साग-भाजी लेती आती हैं।
Posted on 05 Aug, 2014 08:42 AMप्यारे मानूसन, अच्छे मानसून, तुम कब आओगे? अब और अधिक देर न करो जल्द आ जाओ। इस समय हमें तुम्हारी जरूरत है। हमारी हर सुबह इसी उम्मीद के साथ होती है कि तुम आज आओगे और धरती पर बरसकर सूरज चचा के ताप से मुक्ति दिलाओगे।
Posted on 04 Aug, 2014 05:00 PMगुजरात का विकास मॉडल आजकल चर्चा का विषय है, लेकिन विकास के इस मॉडल से वहां का पर्यावरण भयानक तौर पर प्रदूषित हो गया है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि आर्थिक संपन्नता की दौड़ में पिछले कई वर्षों से गुजरात में कई प्रकार के रसायनों का जहर फैल चुका है। वर्ष 1989 में तत्कालीन केंद्रीय पेट्रेलियम व रसायन मंत्री ब्रह्मदत्त ने स्वीकार किया था कि गुजरात में प्रदूषण की समस्या काफी गंभीर है। उस समय अंकले
Posted on 04 Aug, 2014 03:18 PMसुप्रीम कोर्ट के आदेश को दोहराते हुए राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने देश की किसी नदी में लाइसेंस या पर्यावरण मंजूरी के बिना रेत के खनन पर रोक लगा दी है। सवाल है कि नदियों को बचाने के लिए जनहित याचिकाओं और उस पर दिए गए अदालती फैसले से शुरू हुआ अभियान क्या खनन माफिया के फावड़े रोक पायेगा?
Posted on 03 Aug, 2014 02:15 PMजो लोग उत्तराखंड या हिमाचल प्रदेश या ऐसी पहाड़ी जगहों पर कभी गए नहीं हैं वे कल्पना भी नहीं कर सकते कि पहाड़ी रास्ते और बस्तियों का तानाबाना कितने खतरे से भरा होता है। रास्तों के लिए पहाड़ों को काटकर जगह बनाई जाती है, पत्थरों से खाली जगहों को भरा जाता है। बहुत मेहनत और धैर्य से पहाड़ों की सड़कें तैयार होती हैं। रहने के लिए जहां भी समतल जगह मिलती है घर बनाए जाते हैं और जहां जगह नहीं मिलती वहां भी सी
Posted on 03 Aug, 2014 11:54 AMप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोचते हैं कि योजना आयोग को खत्म किया जाना चाहिए। इस सोच के दो आधार हो सकते हैं। एक यह कि वे खुद राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं और उन्हें भली-भांति यह अंदाजा है कि योजना आयोग एक जवाबदेय और निष्पक्ष निकाय नहीं है। वह राज्यों और देश के व्यापक हितों को महत्त्व देने के बजाए पर्यावरण-जन-जैव विविधता विरोधी और असमानता पैदा करने वाली नीतियों को तेजी से आगे बढ़ा रहा है। दूसरा आधा
Posted on 03 Aug, 2014 09:56 AMमहिलाओं के लिए खुले में शौच तो और भी अधिक भयावह है। शौचालय न होने की वजह से उन्हें अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये समस्याएं सीधे तौर पर उनकी सुरक्षा से जुड़ी हुई हैं। आंकड़ों की पोटली टटोलने पर यह ज्ञात होता है कि खुले में शौच के दौरान 30 प्रतिशत महिलाओं को विभिन्न उत्पीड़नों का शिकार होना पड़ता है। यह भारत के लिए सिर्फ शर्म की बात नहीं है बल्कि एक तरह से बहुत बड़ा कलंक भी है