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10 करोड़ ग्रामीण घर : प्रधानमंत्री ने जल जीवन मिशन द्वारा हासिल इस पड़ाव को 'सबका प्रयास' का अनुपम उदाहरण बताते हुए सराहा
गोवा ने देश का पहला 'हर घर जल सर्टिफ़ाइड' राज्य बनने का गौरव प्राप्त किया है, जिसका तात्पर्य है कि उसके हर गाँव के हर घर में नल से शुद्ध पेयजल की उपयुक्त मात्रा में नियमित रूप से आपूर्ति हो रही है, और इस तथ्य को उसके सभी गांवों ने अपनी-अपनी ग्राम सभा में विचार-विमर्श के बाद सत्यापित और प्रमाणित किया है Posted on 16 Sep, 2023 12:58 PM

आज़ादी का अमृत महोत्सव' की अनुपम छटा में एक और प्रकाशपुंज जोड़ते हुए देश ने 19 अगस्त, 2022 को 10 करोड़ से ज़्यादा (52.50%) ग्रामीण घरों में नल से शुद्ध पेयजल पहुंचा कर एक और पड़ाव पार कर लिया। देशभर में फैले इन ग्रामीण घरों के लोग अब अपने ही घर में बैठे-बैठे शुद्ध पेयजल की नियमित सप्लाई का भरपूर आनंद उठा रहे हैं, और इस सुविधा के हो जाने से अब वे भी शहरी लोगों की तरह बेहतर और सुखमय जीवन की कल्पन

10 करोड़ ग्रामीण घरों में नल से शुद्ध पेयजल पहुंचा
जेजेएम कर रहा है WASH क्षेत्र में प्रगति के लिए दुनिया का मार्गदर्शन
इस कार्ययोजना के तहत भारत और डेनमार्क, नीति आयोजना, विनियमन और कार्यान्वयन के साथ-साथ प्रौद्योगिकी अनुसंधान और विकास तथा कौशल के क्षेत्र में मिलकर समाधान की खोज करेंगे। इस कार्य योजना को लागू करने और नियमित आधार पर प्रगति की समीक्षा करने के लिए एनजेजेएम, डीईपीए और भारत में डेनमार्क के दूतावास के उच्च स्तरीय प्रतिनिधियों के साथ संचालन समिति का गठन किया गया है। इसके अलावा, डेनिश सरकार, डीडीडब्ल्यूएस और डीओडब्ल्यूआर के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का भी प्रस्ताव किया गया है। Posted on 16 Sep, 2023 12:40 PM

पीने के पानी को संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) के एक भाग के रूप में एक बुनियादी मानव अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है। समुदाय के लिए आसानी से उपलब्ध पीने योग्य पेयजल जन स्वास्थ्य को बनाए रखता है और उसमें सुधार लाता है। पानी के संग्रह की कठिनाइयाँ समाप्त हो जाती हैं और लोगों.

जेजेएम कर रहा है WASH क्षेत्र में प्रगति के लिए दुनिया का मार्गदर्शन
वायु प्रदूषण घटा रहा है उम्र
शिकागो यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स-2023 भयावह तस्वीर प्रस्तुत करती है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत दुनिया का दूसरा सर्वाधिक प्रदूषित देश और दिल्ली सर्वाधिक प्रदूषित शहर है। रिपोर्ट के मुताबिक पूरे भारत में एक भी जगह ऐसी नहीं है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्वच्छ हवा के मानकों पर खरी उतरती हो । Posted on 15 Sep, 2023 05:24 PM

वायु प्रदूषण अब नासूर बन गया है। यह सिर्फ सर्दी के मौसम की नहीं, सालभर रहने वाली समस्या बन चुका है। प्रदूषण का ज्यादा स्तर लोगों की उम्र पर बुरा असर डाल रहा है। देश में रह रहे लोगों की औसत उम्र में 5.3 वर्ष की कमी आई है। वर्ष 2022 में यह आंकड़ा पांच वर्ष का था। एनसीआर की स्थिति और भी खराब है। यहां रहने वालों की उम्र औसतन 11.9 वर्ष तक घट रही है, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 10 वर्ष का था । इसका मतल

वायु प्रदूषण घटा रहा है उम्र
पर्यावरण चेतना के बुनियादी आधार
विश्व में बढ़ते बंजर इलाके फैलते रेगिस्तान, कटते जंगल, लुप्त हो पेड़-पौधे और जीव जंतु, प्रदूषणों दूषित पानी, कस्बों एवं शहरों पर गहरा गंदी हवा, हर वर्ष बढ़ते बाढ़ एवं सूखे प्रकोप इस बात के साक्षी हैं कि हम अपनी धरती, अपने पर्यावरण की ठीक देखभाल नहीं की और इससे होने वा संकटों का प्रभाव बिना किसी भेदभाव समस्त विश्व, वनस्पति जगत और प्राण मात्र पर समान रूप से पड़ा है। Posted on 15 Sep, 2023 04:54 PM

आजकल विश्व भर में पर्यावरण और इसके संतुलन की बहुत चर्चा है। पर्यावरण क्या है, इसके संतुलन का क्या अर्थ है, यह संतुलन क्यों नहीं है, ये प्रश्न समय-समय पर उठते रहे हैं, लेकिन आज इन प्रश्नों का महत्व बढ़ गया है, क्योंकि वर्तमान में पर्यावरण विघटन की समस्याओं ने ऐसा विकराल रुप धारण कर लिया है कि पृथ्वी पर प्राणी मात्र के अस्तित्व को लेकर भय मिश्रित आशंकाएं पैदा होने लगी हैं।

पर्यावरण चेतना के बुनियादी आधार
भारत में 2080 तक भूजल में तीन गुना कमी का खतरा
भारत दुनिया के अन्य देशों की तुलना में पहले ही कहीं ज्यादा तेजी से अपने भूजल दोहन कर रहा है। आंकड़ों से पता चला है कि भारत में हर साल 230 क्यूबिक किलोमीटर भूजल का उपयोग किया जा रहा है, जोकि भूजल के वैश्विक उपयोग का लगभग एक चौथाई हिस्सा है। देश में इसकी सबसे ज्यादा खपत कृषि के लिए की जा रही है। देश में गेहूं, चावल और मक्का जैसी प्रमुख फसलों की सिंचाई के लिए भारत बड़े पैमाने पर भूजल पर निर्भर है। Posted on 15 Sep, 2023 03:31 PM

संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नई वर्ल्ड वाटर  डेवलेपमेंट रिपोर्ट 2023 में जारी आंकड़ो से पता चला है कि 2050 तक शहरों में पानी की मांग  80 फीसद तक बढ़ जाएगी। वहीं यदि मौजूदा अकड़ों पर गौर करें तो दुनिया भर में शहरों में रहने वाले करीब 100 करोड़ लोग सकट से जूझ रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इससे भारत सबसे ज्यादा  प्रभावित होगा जहां पानी को लेकर होने वाली खींचातानी कहीं ज्यादा गंभीर रूप ले लेगी।  

भारत में 2080 तक भूजल में तीन गुना कमी का खतरा
भारत के वनों और शहरी हरियाली के संरक्षण द्वारा ही पर्यावरण बचाना संभव
भारतीय शहरों में पर्यावरण के प्रति लापरवाही से बचने और देश के जंगलों और शहरी हरियाली की रक्षा करने की दिशा में सशक्त नीति और अनुसंधान की अनिवार्यता पर बल दिया है। यह एक बेहद खतरनाक संकेत है कि हमारे देश में सन 1901-2018 की अवधि में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण औसत तापमान पहले ही लगभग 0.7 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है और अनुमान है कि यदि हमने माकूल कदम नहीं उठाये तो 2100 के अंत तक यह बढ़ोतरी लगभग 4.4 डिग्री सेल्सियस हो जायेगी। Posted on 15 Sep, 2023 02:36 PM

आज जरूरत इस बात की है कि हम जलवायु परिवर्तन संकट निदान की  दिशा में "थिंक ग्लोबली, एक्ट लोकली की नीति पर चलें" । वैश्विक अनुबंध आमतौर पर विकसित देशों के हितों के अनुरूप होती हैं लेकिन हमारी रिपोर्ट हमारे स्थानीय खतरों और निदान पर विमर्श करती है।

भारत के वनों और शहरी हरियाली के संरक्षण द्वारा ही पर्यावरण बचाना संभव
सीसा एक खतरे अनेक (Lead Poisoning Causes and Prevention in Hindi)
विगत कुछ वर्षों से इन भारी धातुओं में से कैडमियम, लैड, मरकरी, क्रोमियम निकेल जैसी धातुएँ अपनी विषाक्तता के कारण चर्चा का विषय बनी हुई हैं। इनमें से कुछ तो इतनी अधिक घातक है कि यदि दस लाख भाग में इनका एक भाग भी विद्यमान रहे तो ये जानलेवा सिद्ध हो सकती हैं। लैंड यानी सीसा एक ऐसी ही भारी धातु है जो अब पर्यावरण में प्रदूषण के रूप में जानी जाती है। शहरों में वाहनों के पेट्रोल से निकला सीसा वायुमंडल में व्याप्त रहता है अतएव यह श्वास द्वारा शरीर में प्रविष्ट होता है। Posted on 15 Sep, 2023 01:05 PM

आज से लगभग 4000 से 5000 वर्ष पूर्व के मानव की अपेक्षा आज के मानव में सीसे की मात्रा लगभग दस से सौ गुना अधिक हो गई है और विकसित तथा विकासशील देशों के लिए पर्यावरण में सीसे का बढ़ता प्रदूषण चिंता का विषय बन गया है।

सीसा एक खतरे अनेक
पेड़ों द्वारा जल का शुद्धीकरण
पेड़ वायुमण्डल को शुद्ध करने का कार्य भी करते हैं। पेड़ों से वायुमण्डल का तापमान कम होता है। पेड़ वर्षा लाने में सहायक होते हैं। वर्षा से खेती होती है। पेड़ों की अनगिनत संख्या से सघन वनों का निर्माण होता है। पेड़ों के उगने और विकसित होने में जल की महत्वपूर्ण भूमिका है। जीव के लिए जल आवश्यक है। जल जीवन का आधार है। Posted on 14 Sep, 2023 06:38 PM

पेड़ वायुमण्डल को शुद्ध करने का कार्य भी करते हैं। पेड़ों से वायुमण्डल का तापमान कम होता है। पेड़ वर्षा-लाने में सहायक होते हैं। वर्षा से खेती होती है। पेड़ों की अनगिनत संख्या से सघन वनों का निर्माण होता है। पेड़ों के उगने और विकसित होने में जल की महत्वपूर्ण भूमिका है। जीव के लिए जल आवश्यक है। जल जीवन का आधार है।

पेड़ों द्वारा जल का शुद्धीकरण
पर्यावरण के दुश्मन सैनेटरी पैडस
भारतीय शोधकर्ताओं ने 'ग्रीनडिस्पो' नामक एक ऐसी पर्यावरण हितैषी भट्टी का निर्माण किया है, जो सैनेटरी नैपकिन और इसके जैसे अन्य अपशिष्टों के निपटारे में मददगार हो सकती है। इस भट्टी का निर्माण हैदराबाद स्थित इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मैटलर्जी एंड न्यू मैटीरियल्स (एआरसीआई), नागपुर स्थित सीएसआईआर-राष्ट्रीय पर्यावरणीय अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) और सिकंदराबाद की कंपनी सोबाल एरोथर्मिक्स ने मिलकर किया है। Posted on 14 Sep, 2023 06:26 PM

टेलीविज़न पर विज्ञापनों द्वारा इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया जाता है। विज्ञापन एजेंसियां इस प्रचार पर करोड़ों रुपया खर्च करती हैं, लेकिन इनके सही निस्तारण के साथ पर्यावरण और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले इनके हानिकारक प्रभावों से बचाव की दिशा में अब तक किसी कम्पनी ने कोई कदम नहीं उठाया है। मोटे तौर पर एक महिला हर महीने 12-14 सैनेटरी पैड्स का उपयोग करती हैं और इस तरह अपने जीवन में लगभग 16,800 सैने

पर्यावरण के दुश्मन सैनेटरी पैडस
पर्यावरण विज्ञान में बेहतर संभावनाएं
पर्यावरण रक्षक वे सभी व्यक्ति होते हैं, जिन्हें प्रकृति से प्रेम है। इस क्षेत्र के विशेषज्ञ जनमानस में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने के साथ पर्यावरण सुरक्षा के उपाय बताते हैं। पर्यावरण में फैलते खतरों के प्रति लोगों को आगाह कर ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के टिप्स देते हैं। Posted on 14 Sep, 2023 01:16 PM

एक समय था जब पर्यावरण विज्ञान को विद्यार्थी वरीयता क्रम की सूची में सबसे अंत में रखते थे। लेकिन जलवायु परिवर्तन और उससे होने वाले खतरों से पर्यावरण सुरक्षित रखने को लेकर बड़ी जागरूकता एवं इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में हुई वृद्धि ने इस विषय को विद्यार्थियों की पहली पसंद बना दिया है। आज पर्यावरण को बचाए रखने के लिए अनुसंधान एवं नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं। पर्यावरण के प्रति छात्रों की बढ़ र

पर्यावरण विज्ञान में बेहतर संभावनाएं
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