10 करोड़ ग्रामीण घर : प्रधानमंत्री ने जल जीवन मिशन द्वारा हासिल इस पड़ाव को 'सबका प्रयास' का अनुपम उदाहरण बताते हुए सराहा

10 करोड़ ग्रामीण घरों में नल से शुद्ध पेयजल पहुंचा
10 करोड़ ग्रामीण घरों में नल से शुद्ध पेयजल पहुंचा

आज़ादी का अमृत महोत्सव' की अनुपम छटा में एक और प्रकाशपुंज जोड़ते हुए देश ने 19 अगस्त, 2022 को 10 करोड़ से ज़्यादा (52.50%) ग्रामीण घरों में नल से शुद्ध पेयजल पहुंचा कर एक और पड़ाव पार कर लिया। देशभर में फैले इन ग्रामीण घरों के लोग अब अपने ही घर में बैठे-बैठे शुद्ध पेयजल की नियमित सप्लाई का भरपूर आनंद उठा रहे हैं, और इस सुविधा के हो जाने से अब वे भी शहरी लोगों की तरह बेहतर और सुखमय जीवन की कल्पना को साकार करने लगे हैं। 15 अगस्त, 2019 को जब माननीय प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से 'जल जीवन मिशन' (जेजेएम) की घोषणा की थी तब देश में केवल 3.23 करोड़ (16.90%) ग्रामीण घरों में ही नल से जल की व्यवस्था थी।

और, यह उपलब्धि एक ऐसे विकट कालखंड में हासिल की गई जब भारत सहित समूचा विश्व कोविड जैसी विकराल महामारी की चपेट में था। इस अभूतपूर्व उपलब्धि को राष्ट्रीय गौरव का अनमोल क्षण बताते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इसे 'सबका प्रयास' का भी अनूठा उदाहरण बताया, और गोवा में आयोजित 'हर घर जल उत्सव' के लिए 19 अगस्त, 2022 के अपने विडियो संदेश में समस्त भारतवासियों को इसके लिए बधाई दी

“आज का ये कार्यक्रम गोवा में हो रहा है। लेकिन आज मैं सभी देशवासियों के साथ देश की तीन बड़ी उपलब्धियों को साझा करना चाहता हूं। और ये बात मैं पूरे देश के लिए कहना चाहता हूं। भारत की इन उपलब्धियों के बारे में जब मेरे देशवासी जानेंगे, मुझे पक्का विश्वास है उनको बहुत गर्व होगा, और विशेषकर हमारी माताओं और बहनों को बहुत गर्व होगा। अमृतकाल में भारत जिन विशाल लक्ष्यों पर काम कर रहा है, उससे जुड़े तीन अहम पड़ाव हमने आज पार किए हैं। पहला पड़ाव आज देश के 10 करोड़ ग्रामीण परिवार पाइप से स्वच्छ पानी की सुविधा से जुड़ चुके हैं। ये हर घर जल पहुंचाने की सरकार के अभियान की एक बहुत बड़ी सफलता है। ये सबका प्रयास का एक बेहतरीन उदाहरण भी है। मैं इस उपलब्धि के लिए हर देशवासी को और विशेषकर माताओं और बहनों को बधाई देता हूं।"

गोवा ने देश का पहला 'हर घर जल सर्टिफ़ाइड' राज्य बनने का गौरव प्राप्त किया है, जिसका तात्पर्य है कि उसके हर गाँव के हर घर में नल से शुद्ध पेयजल की उपयुक्त मात्रा में नियमित रूप से आपूर्ति हो रही है, और इस तथ्य को उसके सभी गांवों ने अपनी-अपनी ग्राम सभा में विचार-विमर्श के बाद सत्यापित और प्रमाणित किया है। गोवा के अलावा 1 यूनिययन टेरिटरी (संघ राज्य क्षेत्र) दादरा-नगर हवेली तथा दमन एवं दीव ने भी हर घर जल सर्टिफ़ाइड' होने का श्रेय प्राप्त किया है। वैसे तो अगस्त अंत, 2022 की स्थिति के अनुसार 3 राज्यों (तेलंगाना, गोवा और हरियाणा ) तथा 3 संघ राज्य क्षेत्रों (अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह, पुडुचेरी और दादरा-नगर हवेली तथा दमन एवं दीव) ने जानकारी दी है कि वे 'हर घर जल' बन चुके हैं, अर्थात उनके यहाँ के हर गाँव के हर घर में नल कनेक्श्न से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जा रही है, लेकिन अब तक हर घर जल सर्टिफिकेट हासिल करने की प्रक्रिया केवल गोवा और दादरा-नगर हवेली तथा दमन एवं दीव ने ही परिपूर्ण की है। हर घर जल सर्टिफिकेट' प्राप्त करने के महत्व को उजागर करने और इस प्रक्रिया को अपनाने के लिए सभी प्रदेशों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने जुलाई-अगस्त, 2022 के दौरान देशभर में हर घर जल उत्सव' आयोजित किए।

गोवा की इस उपलब्धि की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने अपने विडियो संदेश में कहा कि,"देश ने, और विशेषकर गोवा ने आज एक उपलब्धि हासिल की है। आज गोवा देश का पहला राज्य बना है, जिसे हर घर जल सर्टिफाई किया गया है। दादरा नगर हवेली एवं दमन और दीव भी, 'हर घर जल सर्टिफाइड' केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं। बीते कुछ वर्षों में देश के हर बड़े मिशन में गोवा अग्रणी भूमिका निभाता जा रहा है। मैं गोवा की जनता को, प्रमोद जी और उनकी टीम को गोवा की सरकार को, स्थानीय स्वराज की संस्थाओं को, हर किसी को बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं। आपने जिस प्रकार हर घर जल मिशन को आगे बढ़ाया है, वह पूरे देश को प्रेरित करने वाला है। मुझे खुशी है कि आने वाले महीनों में कई और राज्य इस सूची में जुड़ने वाले हैं।"

सबका प्रयास' है जल जीवन मिशन की सफलता की कुंजी

जैसा कि स्वयं प्रधानमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत ऐसे विशाल लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जिनमें गति और पैमाने, दोनों - की आवश्यकता होती है सभी हितधारकों के सहयोग की आवश्यकता होती है। जल जीवन मिशन के मार्गदर्शक सिद्धान्त मिल कर करें काम, बनाएँ जीवन आसान के ही अनरूप 'बॉटम अप' दृष्टिकोण, ग्रामीण समुदाय को मिशन के प्रत्येक पहलू में शामिल करना तथा गाँव की महिलाओं को विशेष भूमिका दिया जाना ग्रामीण जल आपूर्ति की इस सम्पूर्ण व्यवस्था का अभिन्न अंग बनाया गया है, ताकि ग्रामीण लोगों को लंबे समय तक शुद्ध पेयजल की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित किया जा सके। इस पहलू पर प्रधानमंत्रीजी ने अपने 19 अगस्त, 2022 के विडियो संदेश में इस प्रकार प्रकाश डाला:

जल जीवन मिशन की सफलता की वजह उसके चार मजबूत स्तंभ हैं। पहला- जनभागीदारी, People Participation, दूसरा- साझेदारी, हर स्टेकहोल्डर की Partnership, तीसरा- राजनीतिक इच्छाशक्ति, Political Will, और चौथा-संसाधनों का पूरा इस्तेमाल - Optimum utilisation of Resources. जलजीवन मिशन में जिस तरह पंचायतों को, ग्राम सभाओं को, गांव के स्थानीय लोगों को शामिल किया गया है, जिस तरह उन्हें अनेक जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं, ये अपने आप में ही अभूतपूर्व है। हर घर पाइप से जल पहुंचाने के लिए जो कार्य होते हैं, उसमें गांव के लोगों का सहयोग लिया जाता है। गांव के लोग ही अपने गांव में जल सुरक्षा के लिए विलेज एक्शन प्लान बना रहे हैं। पानी का जो मूल्य लिया जाना है, वो भी गांव के लोग ही तय कर रहे हैं। पानी की टेस्टिंग में भी गांव के लोग जुड़े हैं, 10 लाख से ज्यादा महिलाओं को इसकी ट्रेनिंग दी गई है। पानी समिति में भी कम से कम 50 प्रतिशत महिलाओं को जगह दी गई है। जो जनजातीय इलाके हैं, वहां तेजी से काम हो, इसे प्राथमिकता दी जा रही है। जल जीवन मिशन का दूसरा स्तंभ, साझेदारी है। राज्य सरकारें हों, पंचायतें हों, स्वयं सेवी संस्थाएं हों, शिक्षण संस्थाएं हों, सरकार के विभिन्न विभाग और मंत्रालय में सभी मिलकर काम कर रहे हैं। इसका जमीनी स्तर पर बहुत बड़ा फायदा मिल रहा है।

प्रधानमंत्री ने इसी संदर्भ को आगे बढ़ते हुए कहा, "जल जीवन मिशन, सच्चे लोकतंत्र का, पूज्य बापू ने जिस ग्राम स्वराज का सपना देखा था, उसका भी उत्तम उदाहरण है। मुझे याद है, जब मैं गुजरात में था तो कच्छ जिले में माताओं-बहनों को पानी से जुड़े विकास कार्यों का दायित्व सौंपा गया था। ये प्रयोग इतना सफल रहा था कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड भी मिला था। आज यही प्रयोग जल जीवन मिशन की भी अहम प्रेरणा है। जल जीवन अभियान सिर्फ सरकारी स्कीम नहीं है, बल्कि ये समुदाय द्वारा, समुदाय के लिए चलाई जा रही योजना है।"

जल जीवन मिशनः जल सुरक्षा भी होगी सुनिश्चित

जल जीवन मिशन की परिकल्पना एक समग्र, समावेशी, मानवीय और भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण से की गई है, जिसमें पेयजल को किसी 'कोमोडिटी' की तरह नहीं बल्कि एक अनुपम और अमूल्य संसाधन के रूप में देखा और समझा गया है जिसके संरक्षण की जरूरत न केवल राष्ट्र की जल सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि जिसकी रक्षा भावी पीढ़ियों के हितो को भी ध्यान में रख कर की जानी चाहिए। जल जीवन मिशन द्वारा इस पहलू को भलीभाँति शामिल किए जाने की ओर भी प्रधानमंत्रीजी ने इंगित किया:

"आज दुनिया की बड़ी-बड़ी संस्थाएं कह रही हैं कि 21वीं सदी की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक चुनौती water security की होगी। पानी का अभाव, विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि में भी बहुत बड़ा अवरोध बन सकता है। बिना पानी सामान्य मानवी, गरीब, मध्यम वर्ग, किसान और उद्योग-धंधों, सबको नुकसान होता है। इस बड़ी चुनौती से निपटने के लिए सेवा भाव से, कर्तव्य भाव से चौबीसों घंटे काम करने की जरूरत है। हमारी सरकार बीते आठ वर्षों से इसी भावना के साथ water security- जल सुरक्षा के कार्यों को पूरा करने में जुटी है। ये सही है कि सरकार बनाने के लिए उतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती, लेकिन देश बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होती है। और सबके प्रयास से होती है। हम सभी ने देश बनाने का रास्ता चुना है, इसलिए देश की वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों का लगातार समाधान कर रहे हैं। जिन्हें देश की परवाह नहीं होती, उन्हें देश का वर्तमान बिगड़े या भविष्य, कोई फर्क नहीं पड़ता। ऐसे लोग पानी के लिए बड़ी-बड़ी बातें जरूर कर सकते हैं, लेकिन कभी पानी के लिए एक बड़े विजन के साथ काम नहीं कर सकते।

आजादी के अमृतकाल में water security - जल सुरक्षा, भारत की प्रगति के सामने चुनौती ना बने, इसके लिए बीते 8 वर्षों से जल सुरक्षा पर विशेष बल दिया गया है। कैच द रेन हो, अटल भूजल योजना हो, देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवरों का निर्माण हो, नदियों को जोड़ना हो, या फिर जल जीवन मिशन इन सबका लक्ष्य है देश के जन-जन को जल सुरक्षा । कुछ दिन पहले ही एक खबर आई है कि भारत में अब रामसर साइट्स यानि wetlands की संख्या भी बढ़कर 75 हो गई है। इनमें से भी 50 साइट्स पिछले 8 वर्षों में ही जोड़ी गई हैं। यानि water security के लिए भारत चौतरफा प्रयास कर रहा है और इसके हर दिशा में नतीजे भी मिल रहे हैं। पानी और पर्यावरण के प्रति यही प्रतिबद्धता जल जीवन मिशन के 10 करोड़ के पड़ाव में भी झलकती है।"

जल जीवन मिशन: जहां चाह, वहाँ राह

छूट गए करोड़ों ग्रामीण परिवारों को भी नल कनेक्शन से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति समयबद्ध ढंग, और वह भी इस पैमाने और गति से, उपलब्ध कराने के लिए दूरदृष्टि, दृढ संकल्प पूर्ण प्रतिबद्धता और तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद लक्ष्य को हासिल करने की जबर्दस्त इच्छाशक्ति की ज़रूरत होती है। और, जल जीवन मिशन ने दिखा दिया है कि वह इन सब भावनाओं से ओतप्रोत है। प्रधानमंत्रीजी ने जल जीवन मिशन की इसी अद्वितीय खूबी की ओर इशारा करते हुए अपने संदेश में कहा:

"जल जीवन मिशन की सफलता का तीसरा मुख्य स्तंभ है राजनीतिक इच्छाशक्ति जो पिछले 70 साल में हासिल किया जा सका, उससे कई गुना ज्यादा काम 7 साल से भी कम समय में किया जा रहा है। कठिन लक्ष्य है, लेकिन ऐसा कोई लक्ष्य नहीं जो भारत के लोग ठान लें और उसे प्राप्त ना कर सकें। केंद्र सरकार, राज्य सरकारें, पंचायतें, सभी इस अभियान को तेजी से पूरा करने में जुटी हैं। जल जीवन मिशन, संसाधनों के सही इस्तेमाल पर, Optimum utilisation of Resources पर भी उतना ही बल दे रहा है। मनरेगा जैसी योजनाओं के वो कार्य, जो जल जीवन मिशन को गति देते हैं, उनसे भी मदद ली जा रही है। इस मिशन के तहत जो कार्य हो रहा है, उससे गांवों में बड़े पैमाने पर रोजगार के नए अवसर भी बन रहे हैं। इस मिशन का एक लाभ ये भी होगा कि जब हर घर में पाइप से जल पहुंचने लगेगा, सैचुरेशन की स्थिति आ जाएगी, तो पक्षपात और भेदभाव की गुंजाइश भी उतनी ही समाप्त हो जाएगी।

अमृतकाल की इससे बेहतर शुरुआत नहीं हो सकती है। सिर्फ 3 साल के भीतर जल जीवन मिशन के तहत 7 करोड़ ग्रामीण परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा गया है। ये कोई सामान्य उपलब्धि नहीं है। आजादी के 7 दशकों में देश के सिर्फ 3 करोड़ ग्रामीण परिवारों के पास ही पाइप से पानी की सुविधा उपलब्ध थी। देश में लगभग 16 करोड़ ग्रामीण परिवार ऐसे थे, जिनको पानी के लिए बाहर के स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता था। गांव की इतनी बड़ी आबादी को हम इस मूल आवश्यकता के लिए संघर्ष करते नहीं छोड़ सकते थे। इसलिए 3 साल पहले मैंने लाल किले से घोषणा की थी कि हर घर पाइप से जल पहुंचाया जाएगा। नयी सरकार बनने के बाद हमने जल शक्ति, अलग मंत्रालय बना दिया। इस अभियान पर 3 लाख 60 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। 100 साल की सबसे बड़ी महामारी की वजह से जो रुकावटें आई, उसके बावजूद इस अभियान की गति कम नहीं पड़ी। इसी निरंतर प्रयास का परिणाम है कि 7 दशकों में जितना काम हुआ था, उससे दोगुने से अधिक काम देश ने पिछले 3 साल में ही कर दिखाया है। ये उसी मानव केंद्रित विकास का उदाहरण है, जिसकी बात मैंने इस बार लाल किले से की है। हर घर जल जब पहुंचता है, तो सबसे अधिक लाभ हमारी बहनों को होता है, भावी पीढ़ी को होता है, कुपोषण के विरुद्ध हमारी लड़ाई मज़बूत होती है। पानी से जुड़ी हर समस्या की सबसे अधिक भुगतभोगी भी हमारी माताएं बहनें होती हैं, इसलिए इस मिशन के केंद्र में भी हमारी बहनें बेटियां ही हैं। जिन घरों में शुद्ध पेयजल पहुंचा है, वहां अब बहनों का समय बच रहा है। परिवार के बच्चों को दूषित जल की वजह से होने वाली बीमारियां भी कम हो रही हैं।"

जनहित के लिए टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग

जल जीवन मिशन गाँव-गाँव के भीतर स्थापित किए जा रहे जल आपूर्ति ढांचे और व्यवस्था की योजना बनाने, उसे लागू करने तथा लंबे समय तक चलाने और रखरखाव करने के लिए न केवल देश के लाखों गांवों के करोड़ों आम जन को पानी समितियों/ उपयोगकर्ता समूहों के रूप में संगठित कर रहा है, बल्कि साथ ही नवीनतम टेक्नोलॉजी का भी भरपूर उपयोग कर रहा है। ताकि सभी ग्रामवासियों को अधिकतम लाभ पहुंचे। माननीय प्रधानमंत्री ने 19 अगस्त, 2022 के अपने विडियो संदेश में जल जीवन मिशन के इस प्रयास की भी प्रशंसा की

"इस अभियान के दौरान जो पानी के नए स्रोत बन रहे हैं, टैंक बन रहे हैं, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बन रहे हैं, पंप हाउस बन रहे हैं, सभी की जीओ-टैगिंग भी हो रहती है। पानी की आपूर्ति और गुणवत्ता की मॉनीटरिंग के लिए आधुनिक टेक्नॉलॉजी यानि Internet of things solutions का उपयोग करने की भी शुरुआत हुई है। यानि जनशक्ति, नारीशक्ति और टेक्नोलॉजी की शक्ति, मिल कर जल जीवन मिशन की शक्ति बढ़ा रहे हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि जिस प्रकार पूरा देश मेहनत कर रहा है, उससे हर घर जल का लक्ष्य हम अवश्य प्राप्त करेंगे। ... देशवासियों को भी विश्वास दिलाता हूं कि तीन साल पहले लाल किले से जो सपना देखा था, ग्राम पंचायत से लेकर के सभी संस्थानों की मदद से सफल होते देख रहे हैं। मैं फिर एक बार कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ देते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूं। बहुत बहुत धन्यवादा"

स्रोत ;- जल जीवन संवाद अंक 23 अगस्त 2022
 

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Post By: Shivendra
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