पीने के पानी को संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) के एक भाग के रूप में एक बुनियादी मानव अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है। समुदाय के लिए आसानी से उपलब्ध पीने योग्य पेयजल जन स्वास्थ्य को बनाए रखता है और उसमें सुधार लाता है। पानी के संग्रह की कठिनाइयाँ समाप्त हो जाती हैं और लोगों. विशेषकर महिलाओं और लड़कियों के बचाए गए समय और प्रयास से आर्थिक उत्पादकता में वृद्धि होती है। जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के साथ जुड़ी बेहतर जल आपूर्ति और स्वच्छता, देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकती है। और गरीबी कम करने में बहुत योगदान दे सकती है।
2010 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने जल और स्वच्छता के मानव अधिकार को स्पष्ट रूप से मान्यता दी, यानी, सभी को व्यक्तिगत और घरेलू उपयोग के लिए पर्याप्त, निरंतर, सुरक्षित, स्वीकार्य, शारीरिक रूप से सुलभ और सस्ते पानी का अधिकार है। इसके अलावा, सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) लक्ष्य 6.1, 2030 तक सुरक्षित और सस्ते पेयजल के लिए सार्वभौमिक और समान पच की मांग करता है। इस मोर्चे पर प्रगति को "सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल सेवाओं परिसरों में स्थित एक बेहतर - ऐसे जल स्रोत से जो आवश्यकता पड़ने पर उपलब्ध हो, और किसी भी प्रकार के संदूषण से मुक्त हो, पेयजल के संकेतक के साथ पता लगाया जाता है।
डब्ल्यूएचओ ने 2020 में आंकलन किया है कि वैश्विक आबादी का 74% (5.8 बिलियन लोग) सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल सेवा का उपयोग करते थे। यह स्थिति इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए आदर्श से बहुत दूर है, कि वर्तमान में, 2 बिलियन से अधिक लोग जल संकट वाले देशों में रहते हैं और जलवायु परिवर्तन, जनसांख्यिकीय परिवर्तन, शहरीकरण, स्रोत संदूषण, आदि से पेयजल आपूर्ति प्रणालियों के लिए अंतर्निहित जोखिम हैं।
इसे देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के पास जल संसाधन प्रबंधन और पेयजल उपलब्धता की चुनौतियों का सामना करने में सहयोग करने और योगदान करने के लिए पर्याप्त बाध्यकारी कारण हैं। बहुपक्षीय और द्विपक्षीय मंचों पर सहयोग के लिए जल एक उत्प्रेरक के रूप में उभरा है। जल जीवन मिशन के माध्यम से एक बहुत ही साहसिक और महत्वाकांक्षी पेयजल क्षेत्र सुधार कार्यक्रम लागू किया जा रहा है। यह संभवतः दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र सरकार समर्थित ग्रामीण पेयजल आपूर्ति कार्यक्रम है, जो मांग और आपूर्ति पक्ष प्रबंधन दोनों पर आधारित है। हस्तक्षेप की गति और पैमाना अद्वितीय है और इसे अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफार्मों पर बढ़ाया गया है।
मिशन के कार्यान्वयन को देश द्वारा हाल की उपलब्धियों में गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त है। संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा,
'प्रदूषित पानी न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में और विशेष रूप से गरीब और विकासशील देशों के लिए एक बड़ी समस्या है। भारत में इस चुनौती से निपटने के लिए हम 170 मिलियन से अधिक घरों में पाइप से स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के लिए एक बड़ा अभियान चला रहे हैं।'
जल शक्ति मंत्री (एमओजेएस) ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हाल के वर्षों में भारत के प्रशंसनीय कार्यक्रमों और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला है, जिनमें स्वच्छता और पानी तथा जल संरक्षण को सार्वभौमिक बनाया गया है। जल शक्ति मंत्री ने 23 मार्च, 2022 को एक्सपो 2020 दुबई में इंडिया पैवेलियन में 'वाटर वीक' का उद्घाटन किया। वाटर वीक के हिस्से के रूप में, मंत्री द्वारा एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया गया था जिसमें राजनेताओं, नौकरशाहों, जल उद्यमियों और प्रभावशाली व्यक्तियों के प्रतिनिधित्व थे उन्होंने सतत जल प्रबंधन तथा इस क्षेत्र में वैश्विक निवेश के अवसरों का पता लगाने के लिए भारत के विजन और प्रतिबद्धता को दर्शाया था। उन्होंने भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे सर्वश्रेष्ठ सिंचाई प्रबंधन, गंगा कायाकल्प, भूजल प्रबंधन, बांध पुनर्वास, जल जीवन मिशन के तहत हर परिवार के लिए जल आपूर्ति, स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छ भारत, जल डेटा प्रबंधन और बाढ़ पूर्वानुमान और वर्षा जल संचयन पर प्रकाश डाला।
विश्व जल परिषद (डब्ल्यूडब्ल्यूसी) और सेनेगल सरकार द्वारा संयुक्त रूप से 21-26 मार्च, 2022 तक डकार, सेनेगल में 9वें विश्व जल मंच का आयोजन किया गया।
विश्व जल मंच दुनिया का सबसे बड़ा जल-संबंधी कार्यक्रम है, जो हर तीन साल में आयोजित किया जाता है, और जल समुदाय तथा प्रमुख निर्णय लेने वालों का वैश्विक जल चुनौतियों के संबंध में सहयोग करने और दीर्घकालिक प्रगति करने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करता है। जल शक्ति मंत्री ने 9वें विश्व जल मंच में भाग लिया और शांति और विकास के लिए जल' पर एक प्रस्तुति दी।
एक लाभकारी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रभाव के सृजन में मिशन के प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय समर्थन और मान्यता मिली है। नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. माइकल क्रेमर और पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के बीच हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि उन्होंने और उनकी टीम ने एक अध्ययन किया था, जिसमें यह पता चला था कि बच्चों से संबंधित हर 4 मौतों में से एक मौत को सुरक्षित पानी की व्यवस्था से रोका जा सकता है। क्लोरीनीकरण और निस्पंदन (फिल्ट्रेशन) सुनिश्चित करता है कि परिवारों तक सुरक्षित पानी पहुंच सके, जिसके परिणामस्वरूप शिशु मृत्यु में लगभग 25-30% कमी आ सकती है। उन्होंने जेजेएम की सराहना की जिसके माध्यम से भारत सरकार ने स्वच्छ पानी तक पहुंच को प्राथमिकता दी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को निर्धारित गुणवत्ता का स्वच्छ नल का पानी मिले जिससे जल जनित बीमारी का खतरा काफी कम हो जाएगा।
जेजेएम के कार्यान्वयन के साथ, विभिन्न चुनौतियाँ सामने आई हैं जिनका जल आपूर्ति प्रणालियों की स्थिरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निराकरण करने की आवश्यकता है। निराकरण किए जाने वाली कुछ तात्कालिक चुनौतियाँ निम्न हैं:
i. स्थानीय संदर्भ में जल आपूर्ति की कार्यशीलता, स्रोत क्षमता और स्रोत की मैपिंग और इसकी वृद्धि;
ii. ओएंडएम के लिए इष्टतम और किफायती तरीका, स्रोत की पहचान / स्थिरता / सुदृढीकरण, जल गुणवत्ता चुनौतियाँ;
iii. गैर-राजस्व जल (एनआरडब्ल्यू);
iv. ऊर्जा संरक्षण;
V. जल आपूर्ति प्रणालियों की सेंसर आधारित निगरानी;
vi. कम लागत वाली प्रौद्योगिकियां;
vii. कम लागत वाले कम ऊर्जा-उन्मुख विलवणीकरण संयंत्र और वर्षा जल संचयन तकनीकें;
viii. सार्वजनिक उपयोगिताओं के रूप में ग्राम जल और स्वच्छता समितियों का क्षमता निर्माणः
ix ग्रेवाटर प्रबंधन; तथा
X. जल जनित रोगों आदि से संबंधित स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ।
रुचि के ये ध्यान दिए जाने वाले क्षेत्र घरेलू के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के सहयोग के नए अवसर प्रस्तुत करते हैं। एनजेजेएम द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में किए जा रहे प्रयासों पर नीचे प्रकाश डाला गया है:
डेनमार्क:
एनजेजेएम और डेनिश पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (डीईपीए) के बीच सहयोग के लिए तीन साल की कार्य योजना ( 2021-23) को सहयोग के क्षेत्रों में अंतिम रूप दिया गया है, जिसमें सिस्टम लीकेज में कमी, पानी की आपूर्ति की पैमाइश (मीटरिंग), स्थाई जल शुल्क, ऊर्जा अनुकूलन और पेयजल आपूर्ति में संसाधन दक्षता में वृद्धि, किफायती जल शोधन, ग्रे- वाटर प्रबंधन शामिल हैं। इस कार्ययोजना के तहत भारत और डेनमार्क, नीति आयोजना, विनियमन और कार्यान्वयन के साथ-साथ प्रौद्योगिकी अनुसंधान और विकास तथा कौशल के क्षेत्र में मिलकर समाधान की खोज करेंगे। इस कार्य योजना को लागू करने और नियमित आधार पर प्रगति की समीक्षा करने के लिए एनजेजेएम, डीईपीए और भारत में डेनमार्क के दूतावास के उच्च स्तरीय प्रतिनिधियों के साथ संचालन समिति का गठन किया गया है। इसके अलावा, डेनिश सरकार, डीडीडब्ल्यूएस और डीओडब्ल्यूआर के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का भी प्रस्ताव किया गया है।
इज़राइल:
एनजेजेएम और एमएएसएचएवी (इजरायल के विदेश मंत्रालय में अंतर्राष्ट्रीय विकास सहयोग एजेंसी) ने भारत-इजराइल जी2जी जल संगोष्ठी के आयोजन, भारत- इज़राइल बुंदेलखंड जल परियोजना को बढ़ावा देने और इज़राइल में जल प्रबंधन अकादमिक अध्ययन आयोजित करने से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की है। इसके अलावा, एनजेजेएम, नेतृत्व विकास कार्यक्रम/प्रशिक्षण आदि शुरू करने के लिए इजराइल में उपयुक्त संस्थान या एजेंसी की पहचान करने की प्रक्रिया में है।
हंगरी : एनजेजेएम, नेतृत्व विकास कार्यक्रम के आयोजन के लिए हंगरी के संस्थानों के साथ सहयोग की प्रक्रिया में है। भारतीय पक्ष की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए, कुछ हंगेरियन भागीदारों ने कार्यक्रम संबंधी प्रस्तावों और विवरणों को उद्धृत किया है जो एनजेजेएम के विचाराधीन हैं।
फिनलैंड: एनजेजेएम और भारत में फिनलैंड के दूतावास के प्रतिनिधि के बीच 27 जुलाई 2022 को एनजेजेएम मुख्यालय में जल क्षेत्र में एक साझेदारी विकसित करने के लिए एक बैठक आयोजित की गई गई थी। वह नोट किया गया था कि फिनलैंड दूतावास ने गुजरात सरकार के साथ हाल ही में अपने जल आपूर्ति क्षेत्र के संबंध में भागीदारी की थी। और वे कच्चे पानी की आपूर्ति, जल आपूर्ति की निगरानी के लिए डिजिटल समाधान, नदी बहाली और स्रोत सुदृढीकरण, पानी की गुणवत्ता आदि में सुधार करने के लिए वातन से संबंधित क्षेत्रों में विभिन्न राज्यों को सहायता प्रदान करने के लिए जल जीवन मिशन के साथ सहयोग करने के इच्छुक हैं। पानी की आपूर्ति की माप और निगरानी के लिए डिजिटल उपकरणों और प्रौद्योगिकियों; पहाड़ी क्षेत्रों में स्थायी जल आपूर्ति के लिए स्प्रिंग शेड की बहाली और कच्चे जल आपूर्ति प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में फिनलैंड के साथ सहयोग की संभावनाओं का पता लगाया जा रहा है।
सिंगापुर:
एनजेजेएम, नेतृत्व विकास कार्यक्रम प्रशिक्षण आदि शुरू करने के लिए इज़राइल में उपयुक्त संस्थान या एजेंसी की पहचान करने की प्रक्रिया में है। इसके अलावा, संभावित हस्तक्षेप क्षेत्रों पर चर्चा के लिए एंटरप्राइज सिंगापुर एनवायरोसेंस और एनजेजेएम के बीच एक बैठक भी आयोजित की गई थी।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय:
मि. रोब होप, जल नीति के प्रोफेसर, भूगोल और पर्यावरण स्कूल 'और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के स्मिथ स्कूल ऑफ एंटरप्राइज एंड एनवायरनमेंट ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और डीडीडब्ल्यूएस के बीच संभावित सहयोग के लिए ग्रामीण जल सेवा वितरण मॉडल के क्षेत्र में शैक्षणिक गतिविधियों के संबंध में डीडीडब्ल्यूएस के साथ एक समझौता ज्ञापन करने में रुचि दिखाई है। इस समझौता ज्ञापन में छात्र या स्टाफ के आदान- प्रदान या यात्राओं, प्रकाशनों को साझा करने, सम्मेलनों में भाग लेने और अनुसंधान सहयोग के अवसरों पर चर्चा करने जैसी गतिविधियां शामिल होने की उम्मीद है। राष्ट्रीय पेयजल, स्वच्छता एवं गुणवत्ता केंद्र (एनसीडीडब्ल्यूएसक्यू), कोलकाता को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ सहयोग करने का काम सौंपा गया है।
निकट भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर जल जीवन की उपस्थिति को और अधिक प्रमुखता मिलने वाली है। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार 15 नवंबर 2022 के दौरान इंडिया एक्सपो सेंटर, ग्रेटर नोएडा में 7वें भारत जल सप्ताह - 2022 (आईडब्ल्यूडब्ल्यू- 2022) का आयोजन करने जा रहा है। आईडब्ल्यूडब्ल्यू-2022 का विषय "समानता के साथ सतत विकास के लिए जल सुरक्षा" है जो जल सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं और समान विकास के लिए संबंधित चुनौतियों पर केंद्रित है। उक्त आयोजन में डीडीडब्ल्यूएस भागीदार विभाग होगा, जहां यह जानकारी, कौशल, और प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों के साथ बातचीत करेगा। डीडीडब्ल्यूएस तकनीकी सत्रों/प्रदर्शनियों के माध्यम से या विषय / उप-विषयों से संबंधित साइड इवेंट आयोजित करके ग्रामीण पेयजल से संबंधित कौशल, उत्पादों, सेवाओं और प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करेगा।
भारत 1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर 2023 तक जी 20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा जो हमारे देश के लिए सामाजिक-आर्थिक और वैज्ञानिक गतिविधियों में हमारी राष्ट्रीय उपलब्धियों को प्रदर्शित करने का एक उत्कृष्ट अवसर होगा। माननीय जल शक्ति मंत्री के मार्गदर्शन में, जी20 इंडिया की अध्यक्षता के अवसर का जागरूकता पैदा करने, विचार-विमर्श के माध्यम से नीतिगत परिवर्तनों को सहारा देने और समझौता ज्ञापनों / एमओसीएस की समीक्षा करने, भारत के जल क्षेत्र के सुधारों को वैश्विक स्तर पर पेश करने के माध्यम से इसकी संपूर्ण क्षमता की संभावना का पता लगाया जाएगा। जी20 प्रेसीडेंसी के दौरान घटनाओं और गतिविधियों का एक कैलेंडर एमईए / जी 20 सचिवालय के समन्वय से तैयार किया जा रहा है।
राष्ट्रीय पेयजल, स्वच्छता एवं गुणवत्ता केंद्र (एनसीडीडब्ल्यूएसक्यू). कोलकाता, आईआईटी कानपुर, आईआईटी गुवाहाटी, आईआईटी मद्रास, आईआईटी जोधपुर, टीआईएसएस, मुंबई की प्रोफेसर पीठें और प्रस्तावित उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) द्वारा संचालित संस्थानों के नेटवर्क से अंतरराष्ट्रीय सहयोग के प्रयास भी चलते रहेंगे तथा ये और भी गहन होंगे। इन संस्थानों के पास वॉश क्षेत्र में अच्छी तरह से विकसित ऐसे प्रयास हैं जो उन्हें इस क्षेत्र में वैश्विक अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के साथ जुड़ने में सक्षम बना सकते हैं। स्पोक और हब संस्थानों का यह नेटवर्क जेजेएम द्वारा विकसित किया जा रहा है और इसका अनुरक्षण जा रहा है।
जैसा कि पहले ही उल्लेख किया है, पहले से ही कई देशों ने देश में वॉश क्षेत्र में सहयोग करने के लिए गहरी रुचि दिखाई है। जेजेएम के तहत उपलब्धियां और आगे की राह दनिया भर के देशों और संस्थानों के साथ कई और सहयोगों और जानकारी साझा करने की व्यवस्था करेगी।
स्रोत ;- जल जीवन संवाद अंक 23 अगस्त 2022
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