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बाढ़ का बेटा
Posted on 11 Feb, 2014 01:05 PM जब बाढ़ अपने ओज पर होती, वह बिसेसर को नाव पर बिठाकर चल पड़ते चौर की ओर! दिन में ही नहीं; अंधेरी रात को भी। ‘डरना मत बेटे, बाढ़ में देवी-देवता होते हैं, भूत-पिशाच नहीं।’ जब नाव बीच चौर में पहुँचती, बूढ़ा पतवार चलाना छोड़ देता, नाव को स्थिर कर देता और उसकी मांगी पर जाल लिए खड़ा होकर पानी की ओर एकटक घूरता! नाव धीरे-धीरे आप ही फिसल रही और बूढ़ा पानी की ओर इस तरह देख रहा होता, मानो अपनी नजर उसके भीतर तक घुसा देना चाहता हो! उस समय उसकी सूरत-लगता, नाव की मांगी पर तांबे की मूर्ति खड़ी है - निस्पंद निर्निमेष! ‘बाढ़ आ रही है,’ सुकिया ने कहा। बिसेसर ने जरा सिर उठाकर उसकी ओर देखा और फिर अपने जाल की मरम्मत में लगा रहा।

बाढ़ आ रही है - क्या बिसेसर यह नहीं जानता? आज चार दिनों से जो उमस-उमस रही, उत्तर ओर, हिमालय की तराई में जो लगातार बिजली चमकती रही, बादल गरजते रहे, वे क्या सूचना नहीं देते थे कि बाढ़ आएगी ही।

बाढ़ उसके लिए कोई नई चीज है?
बचपन से ही वह बाढ़ देखता आया है। देखता आया है, उससे खेलता आया है।

बीच चौर में है उसका यह गांव। चार महीने तक तो यह एक टापू ही बना रहता है और कहीं वर्षा से बाढ़ आती हो, यहां तो सूखे से भी बाढ़ आती रही है।

गांव सूखा, खेत सूखे, तालाब सूखे, नाले सूखे; कि एक दिन अचानक शोर मचा, बाढ़ आई, बाढ़ आई!
झीलों की एक वेदनामयी दुनिया
Posted on 08 Feb, 2014 10:29 PM यह देश हमारा था,
तालाब, नदी और झरनों से।

नहरें और पोखर खूब बने,
कुदरत के अजब खिलौने से।।

यहां कुमुद कुमदनी खिलते थे,
रातों को चकई रोती थी।
मिलने को चकवा व्याकुल था,
रातों को दुनियां सोती थी।।

मिलन हुआ न रातों में,
वे सुबह उजालों में मिलते थे।

चकई चकवा की अमर कहानी,
झीलों की एक वेदनामयी दुनिया
मनरेगा और लैंगिक उत्पीड़न
Posted on 08 Feb, 2014 10:11 AM भारत में सर्वाधिक रोजगार देने वाले मनरेगा के कार्यस्थलों में महिला
Manrega
फ्लोरोसिस की जानकारी
Posted on 04 Feb, 2014 10:54 AM

फ्लोरासिस से लड़ने के लिए आपका पौष्टिक आहार:-


शरीर में कैल्शियम, मैग्निशियम, विटामिन सी एवं प्रोटीन की कमी से फ्लोरोसिस का असर पड़ सकता है। निम्नलिखित पौष्टिक आहार लेने से उपरोक्त कमी दूर हो सकती है। दूध, आमला, नींबू, सोया, दलिया, हरी सब्जी, तील चक्की आप कैल्शियम, मैग्निशियम और विटामीन सी की गोलियां भी ले सकते हैं।

 

fluorosis
भारत में फ्लोराइड और फ्लोरोसिस
Posted on 02 Feb, 2014 06:42 PM फ्लोराइड के दो मुख्य प्रभाव हैं, डेंटल और स्केलेटल फ्लोरोसिस। डेंटल फ्लोरोसिस दांत के एनामेल के विकास में प्रतिरोध को कहा जाता है यह दांत के विकास के दौरान अधिक सांद्रता वाले फ्लोराइड के संपर्क में आने की वजह से होता है, इसकी वजह से ऐनामेल में खनिज तत्व की कमी हो जाती है और इसकी सारंध्रता बढ़ जाती है। एक साल से चार साल तक के बच्चों में डेंटल फ्लोरोसिस होने की संभावना अत्यधिक होती है। फ्लोराइड का अधिक मात्रा में शरीर में जाना इंसानों और पशुओं के लिए खतरनाक होता है, इस बात की खोज सबसे पहले भारत में ही 1937 में (तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी, वर्तमान में आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले में) में शार्ट, पंडित और राघवाचारी ने की थी। तब से अब तक देश और दुनिया में फ्लोराइड के कुप्रभाव के कई मामले सामने आये हैं। हालांकि फ्लोरोसिस मुख्यतः पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा होने की वजह से होता है, मगर भोजन, धुआं और दूषित वातावरण में फ्लोराइड की अधिक मात्रा से भी इसके प्रसार के कई उदाहरण मिले हैं।

फ्लोराइड अधिकांश भूगर्भीय वातावरण में पाया जाता है, इसलिए हम क्रिस्टलाइन और ग्रेनाइटिक बनावट वाले भूजल में फ्लोराइड की अधिक मात्रा पाते हैं। (उदा। आंध्र प्रदेश में नलगौंडा और कर्नाटक में कोलार), सिंधु-गंगा बेसिन और दूसरे जलोढ़ (उदा। उत्तर प्रदेश में उन्नाव और गुजरात में मेहसाना)। इसके अलावा देश के विभिन्न हिस्सों के भूजल में अलग-अलग गहराई में फ्लोराइड पाया जाता है।
फ्लोराइड
पड़ोस तक आ पहुंचा विनाश
Posted on 02 Feb, 2014 10:34 AM भारत के निकटतम पड़ोसी देश बांग्लादेश द्वारा बी.टी.
विकास की आड़ में संसाधनों की लूट
Posted on 02 Feb, 2014 09:24 AM संयुक्त राष्ट्र संघ ने सन् 1987 में “विकास के अधिकार’’ की घोषणा के
बोले री पपीहरा
Posted on 31 Jan, 2014 03:53 PM पपीहा पक्षीबरसात के मौसम में कोयल की कूक के साथ एक और पक्षी की आवाज सुनाई देती है। इसकी धीरे-धीरे तेज होती जाती ‘पी कहां, पी कहां’ की टेर सिर चढ़ कर बोलती है। आप समझ ही गए हों
Papaya bird
पर्यावरणीय प्रदर्शन सूचकांक : नीयत कुछ, दिखावा कुछ
Posted on 30 Jan, 2014 09:35 AM खुली हुई आर्थिकी के यदि कुछ लाभ हैं तो खतरे भी कम नहीं। ये खतरे अलग-अलग रूप धरकर आ रहे हैं; आगे भी आते रहेंगे। जरूरत अंतरराष्ट्रीय
environmental performance index
भूजल में घुलता जहर
Posted on 29 Jan, 2014 01:10 PM देश के पचास फीसद से अधिक जिलों का भूजलस्तर तेजी से गिर रहा है। कई महानगरों समेत देश के सैकड़ों स्थानों पर भूजल खतरनाक ढंग से जहरीला हो चुका है। जनजीवन पर इसका विपरीत असर पड़ रहा है। जल्द ही इस समस्या से न निपटा गया तो स्थिति भयावह हो सकती है। इसके संकटों का जायजा ले रहे हैं पंकज चतुर्वेदी।
water pollution
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