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भारत
प्यार के पौधे से
Posted on 08 Oct, 2014 04:22 PMबूढ़े समुद्र के पानी सेनहीं रोपा जा सकता
प्यार का नया पौधा
उसके लिए
सद्यःजात आंसू ही उर्वरा है
प्यार के नए पौधे में
फूल खिलने के लिए
नहीं सोचना चाहिए
बूढ़ी नदी के पानी से
उसके लिए सद्यःजात पसीना ही ठीक है
प्यार के नए फूलों को
कुम्हलाने से बचाने के लिए
नहीं निर्भर रहना चाहिए
ओस की बूंदों पर
उसके लिए
सद्यः स्नाता
Posted on 08 Oct, 2014 04:16 PMपानीछूता है उसे
उसकी त्वचा के उजास को
उसके अंगों की प्रभा को-
पानी
ढलकता है उसकी
उपत्यकाओं शिखरों में से-
पानी
उसे घेरता है
चूमता है
पानी सकुचाता है
लजाता गरमाता है
पानी बावरा हो जाता है
पानी के मन में
उसके तन के
अनेक संस्मरण हैं
फ्यूजन ऊर्जा की दिशा में बड़ी सफलता
Posted on 08 Oct, 2014 03:41 PMअमेरिका में कैलिफोर्निया स्थित नेशनल इग्निशन फेसिलिटी (एनआईएफ) के वैज्ञानिकों ने सूरज को ऊर्जा देने वाले परमाणु रिएक्शन को मुट्ठी में कैद करने में एक बड़ी सफलता हासिल की है। उन्होंने पहली बार अपने प्रयोग में खर्च की गई ऊर्जा से ज्यादा ऊर्जा हासिल करने की जानकारी दी है। इस कामयाबी से वैज्ञानिक नियंत्रित परमाणु संलग्न अथवा न्यूक्लियर फ्यूजन हासिल करने के लक
तालाबों के लिए देशी अनाजों को भी बचाना होगा
Posted on 08 Oct, 2014 01:57 PMमैं कोदो हूं, अनाजों का राजा। मेरी विंध्य क्षेत्र में तीन प्रजातियां हैं-कोदइला, लूमा और विसवरिया। मैंने 80-80 वर्षों तक कोठियों में सुरक्षित रहकर अकाल-दुर्भिक्ष के समय लोगों की सेवा की है। विंध्य क्षेत्र में पहले जो लगभग 6 हजार तालाबों का निर्माण हुआ था उसमें मेरी भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता।यह बीज महोत्सव के मौके पर आयोजित पोस्टर प्रदर्शनी का हिस्सा है। यह कार्यक्रम 20-21 सितंबर को सतना में आयोजित किया गया था। इसे परंपरागत देसी बीज अनाज बीज महोत्सव समिति ने आयोजित किया था।
इस अवसर पर एक पोस्टर प्रदर्शनी भी लगाई गई थी जिसमें देशी अनाजों के महत्व पर प्रकाश डाला गया था। कुटकी, सांवा, ज्वार, मक्का, जौ, कठिया, बाजरा, आदि अनाजों की कहानी आकर्षण का केंद्र थी।
केवल आंखों में ही रह जाएगा पानी
Posted on 08 Oct, 2014 09:49 AMकल विश्व जल दिवस है यानी पानी के वास्तविक मूल्य को समझने का दिन,पानी बचाने के संकल्प का दिन। पानी के महत्व को जानने का दिन और जल संरक्षण के विषय में समय रहते सचेत होने का दिन। आंकड़े बताते हैं कि विश्व के 1.6 अरब लोगों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है। पानी की इसी जंग को खत्म करने और जल संकट को दूर करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 1992 में रियो डि जेने
ठहरे हुए पानी की सच्चाई
Posted on 07 Oct, 2014 03:49 PMबहते दरिया की लहरों से हर चेहरा पामाल हुआसूरज ने किरणों को खोया चांद की कश्ती डूब गई
रिश्ते टूटे, नक्शे बिगड़े, बेताबी में रंग उड़े
पंख-पखेरू, पेड़ पहाड़ी सब ही उथल-पुथल
साहिल की रेतें आखिर कौन चुराकर भाग गया
नील गगन के आंगन में क्यों लहरों का तूफान उठा
तह के अंदर-अंदर जाने ये कैसा हैजान उठा
पानी ठहरे तो हम देखें क्या-क्या मोती गर्क हुए
गांधीजी और स्वच्छता
Posted on 07 Oct, 2014 03:37 PMगुजरात विद्यापीठ के बेहतरीन कार्यकर्ताओं और शिक्षकों में से एक ने ग्राम और ब्लॉक स्तर के सरकारी अधिकारियों के रवैये को लेकर पिछले दिनों चिंता जाहिर की थी। इन अधिकारियों को व्यक्तिगत शौचालय निर्माण और उसके लिए धन की व्यवस्था के बारे में प्रस्ताव संभावित लाभार्थियों द्वारा दिए गए थे। लेकिन उन्होंने इस बात को ही नकार दिया कि उन्हें ऐसे प्रस्ताव मिले हैं।
हमारी स्वयं से की गई प्रतिबद्धता की वजह से ही शौचालय के निर्माण को संधि रूप से प्रोत्साहित करने के लिए विद्यापीठ शामिल है। यह संकल्प श्री नारायण देसाई की 108वीं गांधी कथा (भारतीय परंपरा के अनुसार पौराणिक कथाएं सार्वजनिक तौर पर सुनाई जाती हैं। गुजरात विश्वविद्यालय के कुलपति नारायण देसाई (गांधीजी की कहानियों को उसी तरह सुनाया करते थे) के बाद किया गया था।