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गंगा पर सरकारी चिन्तन का ट्रेलर लांच…
Posted on 24 Apr, 2015 12:42 PM

पिछले दिनों राष्ट्रीय नदी गंगा विकास प्राधिकरण (एनजीआरबीए) की पाँचवी बैठक हुई। जिस बैठक में गंगा पर लागू किए जाने वाले चरणों पर बात होनी चाहिए, उस बैठक में प्रधानमन्त्री ने मिशन मोड का नारा दिया। वहीं बैठक में शामिल मुख्यमन्त्रियों ने निराशाजनक बात की। कुल मिलाकर गंगा को लेकर कोई कार्य योजना सामने नहीं आ सकी।

Ganga meeting
पृथ्वी के बदलते तेवर और हमारे मौसम
Posted on 23 Apr, 2015 03:08 PM

पृथ्वी दिवस पर विशेष


बेमौसम बारिश, बारिश के दिनों में पानी कम गिरना और इन आपदाओं की आवृत्ति दशक-दर-दशक बढ़ना प्रत्यक्ष रूप से नई जरूर है लेकिन विशेषज्ञों ने दशकों पहले आगाह करना शुरू कर दिया था। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर 1980 और 1990 के दशकों में कई गम्भीर विचार-विमर्श हो चुके हैं। हालांकि जलवायु परिवर्तन के नाम से जब भी इस संकट पर बात हुई वह भूताप यानी ग्लोबल वार्मिंग के इर्द-गिर्द घूमती रहीं। और भूताप का मसला कार्बन उत्सर्जन करने वाले उद्यमों-उपक्रमों पर चिन्ता जताने के आगे ज्यादा नहीं बढ़ पाया।

कुछ दिनों या महीनों के अन्तर से मौसम का बदलना चाहे नियमित हो या अनियमित हो, इसे हम ऋतु परिवर्तन या मौसम का बदलना कहते हैं। और इस बदलाव को पृथ्वी के भीतर या बाहर यानी वायुमण्डल की हलचल के कारण समझते आए हैं। मौसम के बदलने को हमने प्रकृति की देन समझा और अपने मुताबिक उसे बदलने की कोशिश नहीं की बल्कि उन बदलावों से अनकूलन कर लिया और अपने जीवनयापन के प्रबन्ध उसी के मुताबिक हमने करना सीख लिया।
कैसे मनाएँ पृथ्वी दिवस
Posted on 21 Apr, 2015 03:00 PM

पृथ्वी दिवस पर विशेष

earth
चक्रव्यूह में किसान
Posted on 21 Apr, 2015 12:49 PM बेवक्त की बारिश और ओलावृष्टि ने देश की दूसरी सबसे बड़ी कही जाने वाली रबी की फसल को काफी-कुछ तबाह कर दिया है। कई राज्यों में किसान आत्महत्या कर रहे हैं। कोढ़ में खाज यह है कि सरकारें किसानों को ऊँट के मुँह में जीरे की तरह मुआवजा बाँट रही है। खेती-किसानी के इस दुखद पहलू का जायजा ले रहे हैं अभिषेक कुमार सिंह।
हमारे पापों ने की गंगा मैली
Posted on 19 Apr, 2015 01:31 PM राजस्थान पत्रिका आज से अक्षय तृतीया (आखा तीज) तक तीन दिन की एक विशेष शृंखला का प्रकाशन कर रहा है। इसमें पतित पावनी गंगा और शक्ति स्वरूपा स्त्री के सनातन और आधुनिक स्वरूप पर चिन्तन-मनन होगा। इसमें पाठकों को दोनों के भारतीय संस्कृति से जुड़े मौलिक स्वरूप और उनकी वर्तमान तस्वीर का ब्यौरा होगा। इसी के साथ इस बात का भी खुलासा होगा कि यदि हम इन दोनों के मौलिक स्वरूप से दूर हुए तो समाज और देश को क्या-
आखिर किसे है पर्यावरण की चिन्ता
Posted on 18 Apr, 2015 12:11 PM पर्यावरण को लेकर अकसर बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं लेकिन उसमें सुधार की कोशिशें शायद ही होती हैं। यही कारण रहा है कि पर्यावरण संकट बढ़ता जा रहा है। अभी कुछ महीने पहले एक खबर आई थी कि गुड़गाँव स्थित सुलतानपुर झील में 47 पक्षियों की मृत्यु हो गई। इन 47 पक्षियों में कई विदेशी भी थे। आशंका यह जताई गई कि इन पक्षियों की मौत के पीछे स्वाइन फ्लू भी एक कारण हो सकता है
गम्भीर जल संकट की तरफ बढ़ता देश
Posted on 17 Apr, 2015 12:27 PM

वर्तमान में 1600 जलीय प्रजातियाँ जल प्रदूषण के कारण लुप्त होने के कगार पर हैं। विश्व में 1.10 अरब लोग दूषित पेयजल पीने को मजबूर हैं और साफ पानी के बगैर अपना गुजारा कर रहे हैं। पानी की कमी से जूझ रहे दुनिया के 20 शहरों में दूसरे नम्बर पर है दिल्ली। जापान की राजधानी टोक्यो इस मामले में नम्बर एक पर है। इतना ही नहीं इस सूची में दिल्ली के अलावा भारत के चार शहर कोलकाता, चेन्नई, बंगलुरू और हैदराबाद भी

water crisis
गंगा जल से यमुना निर्मल करने का फार्मूला
Posted on 14 Apr, 2015 03:00 PM प्रदूषण मुक्ति के लिये चार गुना ज्यादा गंगाजल छोड़े जाने का प्रस्ताव विचाराधीन
विफल रहा सफाई अभियान और ज्यादा मैली हुई यमुना
Posted on 13 Apr, 2015 01:46 PM नई दिल्ली। दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषित नदी है यमुना। भारत में नदियों को न केवल पानी के लिहाज से सिर्फ प्राकृतिक स्रोत माना जाता है, अपितु इन नदियों की देवी रूप में पूजा भी होती है। नदियाँ पवित्रता का भी प्रतीक हैं।
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