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मानवाधिकार, मायने और पानी
Posted on 10 Dec, 2015 04:20 PM

विश्व मानवाधिकार दिवस, 10 दिसम्बर पर विशेष


क्या गजब की बात है कि जिस-जिस पर खतरा मँडराया, हमने उस-उस के नाम पर दिवस घोषित कर दिये! मछली, गोरैया, पानी, मिट्टी, धरती, माँ, पिता...यहाँ तक कि हाथ धोने और खोया-पाया के नाम पर भी दिवस मनाने का चलन चल पड़ा है। यह नया चलन है; संकट को याद करने का नया तरीका।

यूँ अस्तित्व में आया मानवाधिकार दिवस


संकट का एक ऐसा ही समय तक आया, जब द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत हुई। वर्ष 1939 -पूरे विश्व के लिये यह एक अंधेरा समय था। उस वक्त तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रुजावेल्ट ने अपने एक सम्बोधन में चार तरह की आज़ादी का नारा बुलन्द किया: अभिव्यक्ति की आज़ादी, धार्मिक आजादी, अभाव से मुक्ति और भय से मुक्ति।
छिनता जल-जंगल-जमीन
Posted on 10 Dec, 2015 04:09 PM

विश्व मानवाधिकार दिवस, 10 दिसम्बर पर विशेष


1950 के दशक में विश्व के अधिकांश देशों से औपनिवेशिक शासन का खात्मा हो गया। पूरे विश्व में स्वतंत्रता की किरण ने नया सन्देश दिया। अब देशों की स्वतंत्रता के साथ ही मानव मात्र की स्वतंत्रता का उद्घोष शुरू हुआ। 10 दिसम्बर 1948 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने 'विश्व मानवाधिकार दिवस' मनाने का निर्णय लिया।
गाँव को काटती नदी
Posted on 10 Dec, 2015 01:32 PM

नदी कटान से प्रभावित लोगों की माँग है कि उन्हें बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में न बसाया जाए। मौज

सूखे का संकट
Posted on 10 Dec, 2015 09:39 AM भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक राज्य के 31 जिलों में 50 फीसद से भी क
पानी पंचायतें हैं तो हरियाली है
Posted on 09 Dec, 2015 03:51 PM

डैम के निर्माण में लगभग ढाई लाख रुपये खर्च हुए हैं। डैम तो सरकार ने बनायी है लेकिन प्रबंध

रुंझ परियोजना का डिजाइन निरस्त
Posted on 09 Dec, 2015 12:53 PM
चार साल की कवायद और 42 करोड़ से अधिक खर्च के बाद अधर में लटकी परियोजना
Artificial recharge to ground water in Hivare Bazar, Ahemednagar
Posted on 09 Dec, 2015 11:16 AM

SUCCESS STORY


1. Brief Profile -
पेरिस जलवायु सम्मलेन और भारत की चिन्ता
Posted on 08 Dec, 2015 04:12 PM प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के साथ मिलकर पेरिस में अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबन्धन का शुभारम्भ किया और विकसित व विकासशील देशों को साथ लाने वाली इस पहल के लिये भारत की ओर से तीन करोड़ डालर की सहायता का वादा किया।
पानी का अपव्यय खतरे की घंटी
Posted on 07 Dec, 2015 10:11 AM जल ही जीवन है, चाहे बात पेयजल की हो या खेतों में सिंचाई की जरूरत को पूरा करने की हो। सामान्य तौर पर देखने से ऐसा लगता है कि भारत में खेती, पीने के लिये पानी की कमी नहीं है। किन्तु वास्तविकता यह है कि बड़ा क्षेत्र सिंचाई के लिये भूजल पर निर्भर है और भूजल स्तर लगातार तथा तेजी से नीचे गिरते हुए चिन्ताजनक ​स्थिति में पहुँच गया है।
सकारात्मक सोचना शुरू करें और देखें कि सबकुछ कैसे ठीक होता है
Posted on 06 Dec, 2015 01:55 PM

अगले दिन यह जानकर कि वे आखिर वर्षा वन खरीद सकते हैं, बच्चे दौड़ते हुए कक्षा में आए। 10 हेक

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