रुंझ परियोजना का डिजाइन निरस्त


चार साल की कवायद और 42 करोड़ से अधिक खर्च के बाद अधर में लटकी परियोजना
रुंझ परियोजना के लिये जल जमीन का अधिग्रहण किया है, उसमें बड़ी मात्रा में रसूखदारों ने अवैध कब्जा कर रखा है। कुछ लोगों ने दूसरे गरीबों के नाम से जमीन लेकर कब्जा जमाए हुए हैं। परियोजना के मूर्तरूप लेने की स्थिति में इन लोगों से अवैध रूप से कब्जे वाली जमीन तो छिन ही जाती, उसका मुआवजा भी नहीं मिलता। यही कारण है कि परियोजना के लिये हुई सुनवाई के दौरान इसका भारी विरोध हुआ था।पन्ना की रुंझ नदी पर ढाई अरब से अधिक की लागत से मंजूर रुंझ डैम परियोजना संकट में पड़ गई है। चार साल की लम्बी कवायद और 42 करोड़ से अधिक खर्च के बाद फाउंडेशन के लिये हार्ड स्टेटा नहीं मिलने से परियोजना का प्रस्तावित डिजाइन निरस्त हो गया है। अब विभाग डैम के नए डिजाइन के लिये भोपाल से सम्पर्क में है। इससे विभाग के तकनीकी विशेषज्ञों और अधिकारियों की लापरवाही सामने आ गई है।

गौरतलब है कि रुंझ नदी ग्राम मुटवाकला से निकलकर बाघिन नदी पर मिलती है। इसी नदी पर 269 करोड़ 79 लाख रुपए की लागत से डैम बनाने की मंजूरी 22 जनवरी 2011 को मिली थी। परियोजना के लिये वन विभाग के लिये पहले चरण की स्वीकृति 17 फरवरी 2014 को मिल गई थी।

इसका पालन प्रतिवेदन भी भेजा जा चुका है। दूसरे चरण की मिलनी शेष है। 225 वर्ग कि.मी. जलभराव वाले इस बाँध के बनने पर 34 गाँव की 12 हजार 550 हेक्टेयर क्षेत्रफल की सिंचाई होनी प्रस्तावित है।

परियोजना में भू-अर्जन के 18 करोड़ 92 लाख रुपए सहित अब तक 42 करोड़ 76 लाख रुपए खर्च किए जा चुके हैं। यहाँ तक कि परियोजना के लिये अधिगृहित वन विभाग की भूमि के बदले उसे जमीन का भी आवंटन किया जा चुका है। इन सबके बाद भी अब परियोजना पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

फाउंडेशन के लिये हार्ड स्टेटा नहीं मिलने से बाँध के वर्तमान डिजाइन को निरस्त कर दिया गया है। नए डिजाइन का प्रस्ताव भोपाल भेजा गया है। बाँध का नया डिजाइन वहीं से तैयार होगा- वीरेन्द्र खरे ई.ई. जल संसाधन विभाग, पन्ना।

शुरू से होता रहा है परियोजना का विरोध
रुंझ परियोजना के लिये जल जमीन का अधिग्रहण किया है, उसमें बड़ी मात्रा में रसूखदारों ने अवैध कब्जा कर रखा है। कुछ लोगों ने दूसरे गरीबों के नाम से जमीन लेकर कब्जा जमाए हुए हैं। परियोजना के मूर्तरूप लेने की स्थिति में इन लोगों से अवैध रूप से कब्जे वाली जमीन तो छिन ही जाती, उसका मुआवजा भी नहीं मिलता। यही कारण है कि परियोजना के लिये हुई सुनवाई के दौरान इसका भारी विरोध हुआ था।

तकनीकी के बहाने गुप्त समझौता तो नहीं!
परियोजना की स्वीकृति के चार साल बाद इस तरह की तकनीकी समस्या लोगों की समझ से परे है। अगर समस्या इतनी गम्भीर थी तो परियोजना का डिजाइन तैयार करने वाले तकनीशियों को पहले ही इसकी जानकारी होनी चाहिए थी। जिले के लोगों को आशंका है कि कहीं तकनीकी समस्या के बहाने विभाग के अधिकारियों ने परियोजना का विरोध कर लोगों से किसी प्रकार का गुप्त समझौता तो नहीं कर लिया है। इससे जिले की इस महत्त्वपूर्ण परियोजना को लटकाया जा रहा है।

… तो लहलहा उठेगा अजयगढ़ क्षेत्र
प्रस्तावित रुंझ डैम के बनने से करीब 25 कि.मी. की नहर और माइनर नहरों के माध्यम से 12 हजार 550 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होनी है। इससे सिंचाई सुविधा विहीन अजयगढ़ और धरमपुर क्षेत्र की धरती लहलहा उठती।

क्या है हार्ड स्टेटा
हार्ड स्टेटा अर्थात मजबूत आधार। जल संसाधन विभाग के ईई. वीरेन्द्र खरे ने बताया, जिस स्थान पर बाँध की दीवार खड़ा करना है वहाँ जरूरी है कि 10 से 15 मीटर की गहराई पर पत्थर मिले। रुंझ परियोजना के लिये जहाँ फाउंडेशन तैयार करना है, वहाँ होल किए गए हैं। इससे वहाँ 26 मीटर तक हार्ड स्टेटा नहीं मिला है। होल में 32 मीटर से हार्ड स्टेटा मिलना शुरू हो रहा है। यह निर्माण के लिये बेहद नीचे है। इससे वर्तमान स्थिति में उक्त डिजाइन पर बाँध का निर्माण सम्भव नहीं हो पा रहा है।

भोपाल में तैयार होगा नया डिजाइन
हार्ड स्टेटा के समस्या की वजह से रुंझ परियोजना का स्वीकृत डिजाइन निरस्त कर दिया गया है। ईई के अनुसार वर्तमान स्थिति में प्रस्तावित स्थान पर बाँध का फाउंडेशन खड़ा नहीं किया जा सकता है। इससे परियोजना के प्रस्तावित नक्शे को बदलने के लिये प्रस्ताव भोपाल मुख्यालय भेजा गया है। जहाँ से बाँध का नया डिजाइन तैयार किया जाएगा।

बढ़ जाएगी लागत
परियोजना का नया डिजाइन बनने से परियोजना पूरी होने के लिये निर्धारित समयसीमा बढ़ सकती है। इससे परियोजना की लागत बढ़ने की आशंका भी जताई जा रही है। इससे परियोजना को पूरा करने में समस्याएँ और भी अधिक बढ़ सकती है।

दो गाँव का होना है विस्थापन
परियोजना के अंतर्गत ग्राम विश्रामगंज और भुजवई डूब प्रभावित रहेंगे। जबकि शेष गाँव आंशिक रूप से प्रभावित होंगे। इससे डूब प्रभावित दोनों गाँव का विस्थापन किया जाना भी प्रस्तावित है। अब परियोजना के ही खटाई में पड़ने से विस्थापन का काम भी लेट होना स्वाभाविक है।

टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर होना था विकसित
डैम का इस्तेमाल सिंचाई के साथ ही वाटर स्पोर्टस और टूरिस्ट प्लेस के रूप में भी किए जाने का प्रस्ताव था। विभागीय जानकारों के अनुसार जिस स्थान पर बाँध प्रस्तावित हैं वह स्थल जंगल में होने के साथ ही बेहद रमणीय है। डोमेस्टिक पर्यटन के साथ-साथ फॉरेन पर्यटन के लिये यह अच्छा स्पॉट होता।

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