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बांकुड़ा जिला
Geochemistry and speciation of solid and Aqueous Phase Arsenic in the Bengal Delta Plain Aquifers
Posted on 12 Apr, 2016 12:27 PMINTRODUCTION
बंगाल की महाविपत्ति (Arsenic: Bengal 's disaster)
Posted on 05 Sep, 2015 04:44 PMयदि आर्सेनिक (संखिया) के प्रदूषण पर बलिया ने अंकुश नहीं लगाया तो उसका भी वही हाल होगा जो पश्चिम बंगाल का हुआ है। ‘डाउन टू अर्थ’ ने अपने 15 अप्रैल 2003 के अंक में बंगाल में आर्सेनिक के फैलते प्रकोप का वर्णन किया है, जिसके कुछ अंश यहाँ दिये गए हैं…
आंकड़ों में सिमट कर रह गई सारी कवायद
Posted on 20 Jun, 2011 11:23 AMबंगाल में हुगली बनकर प्रवेश करने वाली गंगा, खा़ड़ी के पास डेल्टा क्षेत्र में वन माफिया हावी है और पारिस्थिकी असंतुलन के ढेर सारे संकेत भविष्य के किसी ब़ड़े खतरे की चेतावनी दे रहे हैं। सरकारी स्तर पर डेल्टा क्षेत्र के संकट को अभी तक अनदेखा किया जाता रहा है। कोलकाता और आसपास के उपनगरों से लगभग 5270 लाख लीटर कचरा रोजाना गंगा की गोद में बहाया जा रहा है, जिसमें से 80 फीसदी कचरे की सफाई भी नहीं हो पा र
प्रकृति, पर्यावरण और स्वास्थ्य का संरक्षक कदंब
Posted on 29 Dec, 2010 11:32 AMकदंब भारतीय उपमहाद्वीप में उगने वाला शोभाकर वृक्ष है। सुगंधित फूलों से युक्त बारहों महीने हरे, तेज़ी से बढ़नेवाले इस विशाल वृक्ष की छाया शीतल होती है। इसका वानस्पतिक नाम एन्थोसिफेलस कदम्ब या एन्थोसिफेलस इंडिकस है, जो रूबिएसी परिवार का सदस्य है। उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, बंगाल, उड़ीसा में यह बहुतायत में होता है। इसके पेड़ की अधिकतम ऊँचाई ४५ मीटर तक हो सकती है। पत्तियों की लं
‘आइला’ से बदल सकता है मानसून का रुख
Posted on 19 Jun, 2009 07:54 AMपिछले दिनों बंगाल की खाड़ी में आए चक्रवाती तूफान आइला के कारण देश के कई हिस्सों में तापमान में गिरावट और ऊपरी वायुमंडल में चक्रवाती हवाओं के प्रभाव का क्षेत्र बनने से मानसून की आमद में विलंब होने की संभावना नजर आ रही है।
दामोदर नदी ने रास्ता दिखाया
Posted on 19 Dec, 2008 11:02 AMविल्काक्स (1930) ने पिछले समय में बंगाल के वर्ध्दमान जिले में दामोदर नदी द्वारा घाटी में सिंचाई पद्धति के बारे में बड़ा ही दिलचस्प विवरण दिया।
पानी उठाने के उपकरण
Posted on 23 Sep, 2008 10:28 AMजब पानी खेत से निचली जगह पर उपलब्ध होता है, तो उसे खेत के तल तक उठाने के लिए विभिन्न प्रकार के उपकरण प्रयुक्त किये जाते हैं। शक्ति स्रोत के आधार पर पानी उठाने वाले उपकरणों को मानव शक्ति चालित, पशु शक्ति चालित और यांत्रिक शक्ति चालित में विभाजित किया जा सकता है। नदी, भूजल और कुओं से पानी उठाने के लिये प्रयोग किये जाने वाले उपकरणो को विस्तार मे नीचे दिया गया है।
स्वतंत्रता के समय सिंचाई विकास
Posted on 16 Sep, 2008 08:59 AMस्वतंत्रता के समय भारतीय उपमहाद्वीप में, जिसमें अंग्रेजों के प्रान्त और रजवाड़े शामिल थे, निवल सिंचित क्षेत्र लगミग 28.2 मिलियन हैक्टेयर था। लेकिन देश के विभाजन के कारण स्थिति में अचानक और जबरदस्त बदलाव आ गया जिसके फलस्वरूप सिंचित क्षेत्र दो देशों के बीच बंट गया; भारत और पाकिस्तान में निवल सिंचित क्षेत्र क्रमशः 19.4 मिलियन हैक्टेयर तथा 8.8 मिलियन हैक्टेयर रह गया। सतलज और सिंधु प्रणालियों सहित वृहदजैव शौचालय बना बन गए टॉयलेट मैन ऑफ बंगाल
Posted on 31 Jan, 2019 12:13 PM उन्हें उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के एक गाँव से सिर्फ इसलिये चले जाने को कहा गया था क्योंकि उन्होंने वहाँ के सरपंच को घर में शौचालय बनाने की नसीहत दी थी। पश्चिम बंगाल में अब तक 500 से ज्यादा जैव शौचालयों का निर्माण कर चुके डॉ. अरिजीत बनर्जी अब ‘टॉयलेट मैन ऑफ बंगाल’ के नाम से मशहूर हो गए हैं। वे शौचालय प्रणाली को नया आयाम दे अपशिष्ट जल को भी उपयोगी बनाने की युक्ति सुझा रहे हैं।
भाग नदी भाग
Posted on 03 Jul, 2018 02:00 PM
इस साल अप्रैल से, स्वभाव नाटक दल नदी और पानी पर आधारित एक नाटक को लेकर यात्रा कर रहा है। बांग्ला भाषा में ‘राखे नोदी मारे के’ नाम से इस नाटक की अब तक 12 प्रस्तुतियाँ बंगाल के अलग-अलग स्कूलों, बच्चों के लिये आश्रमों, पर्यावरण पर काम कर रही सामाजिक संस्थाओं और मोहल्लों में हो चुकी हैं।