उन्हें उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के एक गाँव से सिर्फ इसलिये चले जाने को कहा गया था क्योंकि उन्होंने वहाँ के सरपंच को घर में शौचालय बनाने की नसीहत दी थी। पश्चिम बंगाल में अब तक 500 से ज्यादा जैव शौचालयों का निर्माण कर चुके डॉ. अरिजीत बनर्जी अब ‘टॉयलेट मैन ऑफ बंगाल’ के नाम से मशहूर हो गए हैं। वे शौचालय प्रणाली को नया आयाम दे अपशिष्ट जल को भी उपयोगी बनाने की युक्ति सुझा रहे हैं।
बनर्जी ने शौचालय प्रणाली को इस कदर बदल डाला है कि शौच का अपशिष्ट जल अब उपयोगी बन गया है। उन्होंने गंगासागर मेला समेत धार्मिक मेलों में उमड़ने वाले श्रद्धालुओं के लिये अस्थाई शौचालयों का निर्माण करवाया। सिक्स टॉयलेट वैन के निर्माण की उपलब्धि भी डॉ. बनर्जी के नाम दर्ज है। इसके अलावा पूर्वी भारत में एसी टॉयलेट का कांसेप्ट भी उन्होंने दिया।
बेहला के ठाकुरपुर इलाके के रहने वाले डॉ. बनर्जी ने 15 साल कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में प्रशासनिक स्तर पर काम किया, लेकिन दूसरों की जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाने की सोच ने उन्हें इस कार्य में उतार दिया। स्वदेश आने के बाद उन्हें मैनपुरी स्थित गाँव में जाने का मौका मिला। बकौल डॉ. बनर्जी मैंने गाँव के सरपंच को महंगी गाड़ी से शौच करने खेत जाते देखा। उनके पास एक नहीं, चार-चार महंगी गाड़ियाँ थीं।
मैंने जब उनसे पूछा की आप अपने घर में शौचालय क्यों नहीं बनवाते, तो वे भड़क गए और कहा कि घर में शौचालय का निर्माण कराने से गन्दगी फैलेगी। मैंने समझाने का प्रयास किया तो बहस होग गई। इसके बाद उन्होंने मुझे गाँव से चले जाने को कहा। मुझे अहसास हो गया कि समस्या की जड़ केवल अजागरुकता है। इसके बाद मैंने शौचालय बनवाने की ठानी और रैमेसिस आरपीएल नामक संस्था के जरिए इसमें अब भी जुटा हुआ हूँ।
40 साल के डॉ. बनर्जी ने कहा, शौच में इस्तेमाल होने वाला पानी भूमिगत जल में जाकर मिलता है, जिससे वह भी दूषित होता है। गाँव-देहात के लोग इसी भूमिगत जल को पीने में इस्तेमाल करते हैं, जिसके कारण वहाँ अक्सर डायरिया, हैजा समेत अन्य जल वाहित बीमारियाँ फैलती हैं। इसी को देखते हुए हमने ऐसे स्थाई शौचालयों व मोबाइल टॉयलेट का निर्माण किया, जिससे भूमिगत जल प्रदूषित न हो। इन शौचालयों में इस्तेमाल होने वाले जल का बागवानी में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पानी यूरिया से भरपूर होता है। इसकी दुर्गन्ध भी चली जाती है। वीरभूम को निर्मल जिला बनाने में डॉ. बनर्जी की बड़ी भूमिका रही है। वहाँ उन्होंने कई शौचालय बनवाए। इन उल्लेखनीय कार्यों को देखते हुए इण्डियन चैम्बर ऑफ कामर्स की ओर से वर्ष 2017 में उन्हें टॉयलेट मैन ऑफ बंगाल के खिताब से नवाजा गया।
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