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अल्मोड़ा
भारत के पर्वतीय जल स्रोतों (स्प्रिंग्स) की स्थिति और इनके सतत प्रबंधन हेतु जल शक्ति मंत्रालय के प्रयास (भाग 1)
Posted on 21 Jul, 2024 05:16 PMपर्वतीय क्षेत्रों में अधिकतर जनसंख्या इन्हीं प्राकृतिक जल स्रोतों के निकट पाई जाती है। हालांकि, इस क्षेत्र में बढ़ती जनसंख्या और अनियोजित शहरी विकास के कारण ये जल स्रोत निरंतर शुष्क या मौसमी हो रहे हैं और उनके जलप्रवाह में निरंतर कमी हो रही है। खनन, सड़कों, राजमार्गो और सुरंगों के निर्माण सहित मानवजनित गतिविधियां इस पूरे क्षेत्र में तेजी से फैल रही हैं, जिससे आंतरिक जलविज्ञानिकी तंत्र को नुकसान
![कश्मीर के अनंतनाग जिले में वेरीनाग चश्मा (छवि स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स)](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-07/VERINAG_SPRING_IN_ANANTNAG_DISTRICT%2C_JAMMU_AND_KASHMIR%2C_INDIA.jpg?itok=jF-7V7ap)
जलस्रोत और नदियों को बचाना है तो पानी बोओ और पानी उगाओ
Posted on 28 Mar, 2023 04:58 PMजल दिवस पर पानी बोओ पानी उगाओ अभियान के तहत बृहस्पतिवार को नगर पंचायत सभागार में महेश त्रिपाठी की अध्यक्षता में विचार गोष्ठी हुई। तेजी से सूख रहे प्राकृतिक जल स्रोतों को लेकर गोष्ठी में चिंता जताई गई। अभियान के संयोजक मोहन कांडपाल ने कहा कि समय पर जागरूकता नहीं आई तो भविष्य में भीषण पेयजल संकट उत्पन्न होगा। उन्होंने कहा कि नदी और जल स्रोतों को बचाने के लिए पिछले 30 वर्षों से काम कर रहे है, वर्त
![जलस्रोत और नदियों को बचाना है तो पानी बोओ और पानी उगाओ](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-03/mohan%20chand%20kandpal_01.png?itok=nwLFUpjW)
उत्तराखंड के अल्मोड़ा में 500 साल पुराना जलाशय राष्ट्रीय स्मारक घोषित हुआ
Posted on 15 Feb, 2023 10:13 AMभारत के छोटे से पहाड़ी राज्य उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा की मशहूर कवि सुमित्रानंदन पंत की जन्मस्थली स्यूनराकोट के नौला-धारा (स्वाभाविक रूप से पाए जाने वाले जलभृत) को राष्ट्रीय प्राचीन स्मारक घोषित किया गया है। इस मौके पर एएसआई देहरादून सर्कल हेड मनोज कुमार सक्सेना ने कहा, "केंद्र सरकार ने हाल ही में स्यूनराकोट नौला को राष्ट्रीय महत्व का संरक्षित स्मारक घोषित कर अधिसूचना जारी की थी। अब भारतीय पुरात
![500 साल पुराना जलाशय,(PC:-Toi)](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-02/%E0%A4%89%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%96%E0%A4%82%E0%A4%A1%20%E0%A4%95%E0%A5%87%20%E0%A4%85%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%BE%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82%20500%20%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B2%20%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BE%20%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B6%E0%A4%AF%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AF%20%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%95%20%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%86%20%E0%A4%98%E0%A5%8B%E0%A4%B7%E0%A4%BF%E0%A4%A4%20.png?itok=aZ2D4wKu)
पानी-पर्यावरण मास्टर - मास्टर मोहन कांडपाल
Posted on 17 Jan, 2023 09:17 AMप्यार से पर्यावरण वाले मास्साब के नाम से जाने जाने वाले मोहन चंद्र कांडपाल का जन्म वर्ष 1966 में कुमाऊं की पहाड़ियों में स्थित अल्मोड़ा, उत्तराखंड के विकासखंड द्वाराहाट के ग्राम कांडे में श्री गोपाल दत्त कांडपाल जी के परिवार में हुआ था। उनके पिता कानपुर में एक बैंक में कर्मचारी थे। 5 वर्ष की उम्र में वह पिता के साथ रहने कानपुर चले गए। बचपन वह रामकृष्ण मिशन आश्रम में जाते व वहां के साहित्य को पढ
![एक खाव बनती हुई](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-01/IMG-20230117-WA0058.jpg?itok=ysHx6eus)