रेहमत

रेहमत
कोचाबांबा की लड़ाई
Posted on 21 Jul, 2013 08:43 AM
बोलिविया में पानी को धरती माता का खून माना जाता है। कंपनी की इन करतूतों से गुस्सा भड़का और लोग सड़कों पर निकल आए। उन्होंने कोचाबांबा शहर बंद कर दिया, केंद्रीय बाजार पर कब्जा कर लिया और शहर में आने-जाने पर रोक लगा दी। सरकार ने सेना बुला ली। आंदोलन के बड़े नेता गिरफ्तार कर लिए गए। आंदोलन और तेज हो गया। अप्रैल 2000 में सेना ने गोली चलाई और एक विद्यार्थी मारा गया। आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा। कंपनी का अनुबंध खत्म कर दिया गया और उसे देश छोड़कर जाना पड़ा। जनांदोलन ने इसके बाद कोचाबांबा शहर के जलतंत्र को चलाने की चुनौती स्वीकारी। सममूलक बंटवारे पर आधारित लोकतांत्रिक व्यवस्था बनाई। लातीनी अमरीका के देश बोलिविया में परिवर्तन की शुरुआत कई तरह के जनांदोलनों से हुई। इनमें बहुचर्चित है वहां के दो नगरों में पानी के निजीकरण के खिलाफ आंदोलन। ला पाज शहर में 1997 में तथा कोचाबांबा में 1998 में पानी के निजीकरण के खिलाफ संघर्ष शुरू हुआ। सात सालों तक चले इस संघर्ष में 3 जानें गई और सैकड़ों स्त्री-पुरुष जख्मी हुए। अस्सी के दशक में बिलिविया गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा था। 1982 में मुद्रास्फीति की दर करीब 25 फीसदी हो गई थी। बोलिविया विश्व बैंक की शरण में गया। विश्व बैंक ने कर्ज के साथ निजीकरण की शर्तें भी लगाई। रेलवे, वायुसेवा, संचार, गैस, बिजली आदि सभी क्षेत्रों को निजी कंपनियों को सौंप दिया गया। इनके बाद पानी का नंबर आया। इसके निजीकरण के लिए ‘कुशल प्रबंध’ और पूंजी निवेश की जरूरत की दलीलें दी गई।
निगम विश्वा को लगा झटका
Posted on 17 Jun, 2013 03:25 PM
जिला पंचायत में स्वतंत्र समिति ने आपत्तियों पर इस तरह सुनवाई की थीखण्डवा में पानी के निजीकरण संबंधी स्थानीय नागरिकों की शि
गलत आधारों पर तैयार मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना
Posted on 20 Feb, 2013 11:38 AM

पानी का निजीकरण कर निवासियों पर बोझ साबित होगी

पूँजी की चपेट में पब्लिक का पानी
Posted on 13 Oct, 2018 06:21 PM

जल, जंगल, जमीन की त्रयी में पानी सबसे जरूरी और सामुदायिक प्राकृतिक संसाधन है, लेकिन ‘खुले बाजारों में सब कु

पानी का निजीकऱण
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