जीशान अख्तर

जीशान अख्तर
उमा दीदी द्वारा गोद लिया हुआ गाँव अनाथ हो गया है
Posted on 14 Jul, 2016 11:21 AM

ललितपुर : गाँव सामान्य नहीं है, लेकिन जब फायर ब्रांड जैसे कई नामों से जानी-पहचानी जाने वाली केन्द्रीय मंत्री उमा भारती गाँव को गोद ले लेती हैं तो यह गाँव कुछ खास हो जाता है। उमा भारती देश की बड़ी नेताओं में शुमार हैं। वीआईपी हैं। इसलिये गाँव को उसी नजर से देखने का ख्याल आना भी स्वाभाविक है। उमा के गोद लेने से असामान्य हुआ ये गाँव पहली, दूसरी, तीसरी हर नजर से देखने की कोशिश करते हैं, लेकिन गाँव सामान्य ही लगता है। कुछ असामान्य नजर नहीं आता। उमा के गोद लेने के बाद गाँव में कुछ खास बदलाव नहीं हुए हैं।

केन्द्रीय संसाधन मंत्री व झाँसी, ललितपुर क्षेत्र की सांसद उमा भारती ने ललितपुर के पवा गाँव को गोद लेने की घोषणा की तो लोगों को लगा कि उनके गाँव की तस्वीर अब बदल जाएगी। लोगों को उम्मीद थी कि गाँव में विकास होगा।
तो कहानियों में भी नहीं होगा पानी
Posted on 04 Jun, 2016 04:05 PM

विश्व पर्यावरण दिवस, 05 जून 2016 पर विशेष


झाँसी शहर से करीब 70 किलोमीटर दूर खरेला गाँव है। भीषण गर्मी और तेज धूप के बीच गाँव बेहद शान्त लगता है। खबर थी कि यहाँ के तालाब बुरे हाल में हैं। जब बूँद-बूँद पानी के लिये लोग भटक रहे हों। पानी के लिये संघर्ष बनी हो। पुलिस के पहरे के बीच पानी बँट रहा हो। पानी बिक रहा हो। ऐसे में तालाब जिन्हें भुला दिया गया, काफी प्रासंगिक हो जाते हैं।

इसी प्रसंग के साथ गाँव में घुसने के बाद तालाबों को तलाश करते हैं, लेकिन निगाहों को कामयाबी नहीं मिलती। बातचीत के बीच गाँव के लोग बताते हैं जहाँ हम खड़े थे उसी जगह एक जिन्दा तालाब था। हैरत हुई कि जहाँ हम खड़े थे वहाँ कुछ साल पहले तक 7 बीघा में फैला तालाब हुआ करता था। 7 बीघा के मैदान को देख अन्दाजा लगाना मुश्किल था कि यहाँ कभी तालाब भी फैला हुआ था।
इस मैदान में एक झील दफन है, उसे हमने मारा है
Posted on 30 Apr, 2016 12:56 PM

झील-झरनों का जिक्र ही मन में ठंडक भर देता है। अगर आपने झील-झरनों के सानिध्य में कुछ पल बिताए हैं तो आनन्द के चरम को महसूस भी किया होगा। करीब 5 साल पहले मैंने भी ऐसे ही चरम को महसूस किया। मन काफी समृद्ध महसूस करता था कि झाँसी से सिर्फ 20 किलोमीटर दूर बरुआसागर कस्बे में एक झील (इसे स्वर्गाश्रम झरना भी कहते हैं) है, जहाँ प्राकृतिक सौन्दर्य, मनोहारी दृश्य का लुत्फ उठा सकते थे। मन होने पर कल-कल बहते झरने में नहा भी सकते थे। 10 से 15 फीट तक इसमें पानी रहता था।

दरअसल, आज जिस मैदान के बीचों-बीच मैं खड़ा हूँ, ये वही झील है, जो बुन्देलखण्ड के सबसे समृद्ध शहर झाँसी के बरुआसागर में है। 237 हेक्टेयर में फैली झील के मैदान में किसान खेती कर रहे हैं। खुरपी, फावड़े से फसल ठीक कर रहे हैं। एक युवक इसमें बने आशियाने में सो रहा है तो कोई इसमें बनाए गए कुओं से गन्दा पानी भर रहा है।
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