डॉ. शांतिलाल चौबीसा

डॉ. शांतिलाल चौबीसा
घातक है फ्लोराइड का जहर
Posted on 24 Aug, 2012 04:37 PM

जल प्रदूषण में एक प्रमुख तत्व है फ्लोराइड देश के कई हिस्सों के भूजल में फ्लोराइड पाया जाता है। फ्लोराइड युक्त जल लगातार पीने से फ्लोरोसिस नाम की बीमारी होती है। इससे हड्डियां टेढ़ी, खोखली और कमजोर होने लगती है। रीढ़ की हड्डी में भी यह धीरे-धीरे जमा होने लगता है। जिससे हमारी सामान्य दैनिक क्रियाएं भी प्रभावित होने लगती है। अपने पीने के जल स्रोतों को समय-समय पर परिक्षण कराते रहना चाहिए। इसमें

Children suffering from fluoride
मवेशियों का खून पीते हैं पिशाच चमगादड़ बदले में देते हैं रेबीज बीमारी
Posted on 04 Apr, 2019 08:42 AM

भारतीय ग्रन्थों, साहित्यों व कहानियों में पिशाचों (वैम्पायर्स) का कई प्रारूपों में उल्लेख मिलता है। यही नहीं फिल्मों व टेलीविजन के कई सीरियल्स में भी खून पीने वाले पिशाचों को अनोखे अन्दाज व डरावने रूपों (ड्रैकुला,चुड़ैल,भूत, राक्षस, चमगादड़ इत्यादि) में अक्सर दिखाया जाता है। लेकिन विज्ञान में इनका कोई स्थान नहीं है। परन्तु प्राणी-जगत में ऐसे भी स्तनधारी जीव हैं जो अपनी क्षुधा को शान्त करने के लिय

पिशाच चमगादड़ की अनोखी बनावट
कोयल कमाल के शातिर चालाक व बर्बर परिंदे
Posted on 16 Mar, 2019 05:12 AM
महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य के कथनानुसार जो ज्यादा ही अधिक मीठा बोलता है वो अक्सर भरोसेमन्द नहीं होता। ऐसे लोग प्राय: आलसी, कामचोर, चालाक व धूर्त प्रवृत्ति के होते हैं। वहीं इनकी शारीरिक भाषा एवं आँखों की पुतलियों की हरकत भी अलग सी होती है।
एशियन मादा कोयल
महुआ ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सदाबहार पोषक
Posted on 27 Feb, 2019 06:16 PM
वनस्पति जगत में ऐसे पेड़-पौधे बहुत कम हैं जिनका हर भाग व अंग जैसे तना, छाल, पत्तियाँ, फूल, फल व बीज किसी-न-किसी रूप में न केवल इंसानों के बल्कि विभिन्न प्रजाति के जीव-जन्तुओं के लिये बहु उपयोगी होते हैं।
महुआ पेड़ की पत्तियाँ
ऐतिहासिक दुर्दान्त नारू-कृमि, बुजुर्गों की यादों में अभी भी जिन्दा है इसका खौफ
Posted on 26 Jan, 2019 11:59 AM

नारू-कृमि के बाहर निकलने के पूर्व फफोले या छाले (ब्लिस्टर) का बननाअस्सी के दशक पूर्व देश के कई राज्यों के हजारों गाँव, ढाणियां व कस्बे ऐसे थे जहाँ के घरों से बारिश के मौसम आने के पूर्व हर उम्र की महिलाओं और पुरुषों की दर्द भरी कर्राहट के स्वर सुनाई दे पड़ते थे। दरअसल ये लोग 50 से 150 से.मी.

नारू-कृमि के बाहर निकलने के पूर्व फफोले या छाले (ब्लिस्टर) का बनना
आदिवासियों में जटिल सिकल-सेल जींस, मलेरिया से बचाने की अद्भुत क्षमता
Posted on 12 Jan, 2019 05:16 PM

सिकल-सेल बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के खून में सामान्य (गोलाकार) व सिकल (हँसियानुमा ) कोशिकाएं (फोटो साभार: नेशनल ह्यूमन जीनोम रिसर्च इंस्टीट्यूट, 2018)मानव जैव विकास के दौरान प्राकृतिक अथवा जैविक दबावों में गुणसूत्रों पर स्थित विभिन्न जिंसों (डी.एन.ए) की संरचनाओं में उलट-फेर अथवा उत्परिवर्तन (म्यूटेशन)

सिकल-सेल बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के खून में सामान्य (गोलाकार) व सिकल (हँसियानुमा ) कोशिकाएं (फोटो साभार: नेशनल ह्यूमन जीनोम रिसर्च इंस्टीट्यूट, 2018)
फ्लोरोसिस स्थानिक राजस्थान में दुर्लभ जेनू-वेल्गम सिंड्रोम
Posted on 08 Jan, 2019 02:07 PM

राजस्थान प्रदेश का पहला जेनू- वेल्गम सिंड्रोम केस (Fluoride, Epub 013)प्रकाशित शोध आंकड़ों के अनुसार राजस्थान के सभी जिलों का भू-जल फ्लोराइड से दूषित है। ऐसे फ्लोराइडयुक्त जल का दीर्घकालीन सेवन करना सेहत के लिये बेहद खतरनाक व हानिकारक होता है। इससे जनित फ्लोरोसिस बीमारी प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बे

राजस्थान प्रदेश का पहला जेनू- वेल्गम सिंड्रोम केस (Fluoride, Epub 013)
किसान हितैषी उल्लुओं का शिकार रोकना बेहद जरूरी
Posted on 05 Jan, 2019 01:55 PM

अधिकांश किसानों को यह मालूम ही नहीं कि उनके खेत-खलिहानों के आस-पास ऐसे परिन्दे भी डेरा डाले रहतें हैं जो किसी-न-किसी रूप में उनकी मदद करते रहतें हैं। ये हैं उल्लू प्रजाति के परिन्दे जो केवल रात्रि में ही हल-चल करते दिखाई पड़ते हैं। ये कब और कहाँ आते-जाते हैं इसकी जरा सी भनक किसी को भी नहीं लगने देते। दिखने में तेज-तर्रार व किसी को परेशान न करने वाले शान्त स्वभाव के ये खूबसूरत परिन्दे अब खतरे मे

भारतीय ईगल उल्लू
बेखौफ हाइड्रो-फ्लोरोसिस के कहर से त्रस्त ग्रामीण भारत, नियंत्रण बेहद जरूरी
Posted on 03 Jan, 2019 01:36 PM

दीर्घकालीन फ्लोराइड युक्त पानी पीने से न केवल इंसानों में बल्कि घरेलू पालतू पशुओं में भी कई तरह की शारीरिक विकृतियाँ एक के बाद एक विकसित हो जाती है इन्हें हाइड्रो-फ्लोरोसिस (फ्लोरोसिस) कहतें हैं। ये विकृतियाँ मूल रूप से पानी में मौजूद फ्लोराइड रसायन के दुष्प्रभाव अथवा इसके विषैलेपन के कारण विकसित होती हैं। इसका असर सबसे पहले दाँतों व हड्डियों पर दिखाई पड़ता है। इसके विषैलेपन से दाँत बदरंग एवं कम

युवक के दाँतों पर हाइड्रो-फ्लोरोसिस का दुष्प्रभाव
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