दिनेश कुमार मिश्र
दिनेश कुमार मिश्र
विश्व बाँध आयोग की रिपोर्ट पर गोष्ठी 7-8 अगस्त, 2001
Posted on 09 Jun, 2017 10:00 AMसमाज विकास संस्थान, राँची-झारखंड
नदियों, बाँधों और लोगों का दक्षिण एशियाई नेटवर्क
पहला सत्र
अध्यक्षता: श्री हरिवंश, प्रधान सम्पादक, प्रभात खबर, राँची
संचालन: सुश्री पुष्पा मार्टिन, गुमला
मुख्य अतिथि: माननीय श्री इन्दर सिंह नामधारी, अध्यक्ष झारखंड विधान सभा
बाढ़ मुक्ति अभियान के छठें प्रतिनिधि सम्मेलन की रपट
Posted on 29 May, 2017 04:05 PM
सभा स्थल: चन्द्रायण हाई स्कूल, जिला सहरसा (बिहार)
तारीख: (5 सितंबर 2009)
आज की कार्यवाही श्री गजेन्द्र प्रसाद यादव की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई और उसका संचालन श्री चन्द्रशेखर ने किया। उद्घाटन भाषण श्री गजेन्द्र प्रसाद ‘हिमांशु’, पूर्व जल-संसाधन मंत्री, बिहार सरकार ने किया।
बाढ़ तो फिर भी आयेगी
Posted on 27 May, 2017 10:25 AMपृष्ठभूमि:
बिहार की गिनती भारत के सर्वाधिक बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में होती है। राष्ट्रीय बाढ़ आयोग (1980) के अनुसार देश के कुल बाढ़-प्रवण क्षेत्र का 16.5 प्रतिशत हिस्सा बिहार में है जिस पर देश की कुल बाढ़ प्रभावित जनसंख्या की 22.1 प्रतिशत आबादी बसती है। इसका मतलब यह होता है कि अपेक्षाकृत कम क्षेत्र पर बाढ़ से ग्रस्त ज्यादा लोग बिहार में निवास करते हैं। 1987 की बाढ़ के बाद किये गये अनुमान के अनुसार यह पाया गया कि बाढ़-प्रवण क्षेत्र का प्रतिशत सारे देश के संदर्भ में बढ़कर 56.5 हो गया है और इसका अधिकांश भाग उत्तर बिहार में बढ़ता है जिसकी जनसंख्या 5.23 करोड़ (2001) है तथा क्षेत्रफल 54 लाख हेक्टेयर है। यहाँ की 76 प्रतिशत ज़मीन बाढ़ से प्रभावित है जबकि जनसंख्या घनत्व 1,000 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।
ऐसे आती है बाढ़
Posted on 26 May, 2017 03:43 PMउत्तर बिहार को लगातार बाढ़ से बचाने के लिये 1950 के दशक में यहां की नदियों पर तट-बंध बनाने की एक विषद और महत्वाकांक्षी योजना शुरू हुई। यह निश्चय ही एक दुःस्साहसिक कदम था क्योंकि इसके पीछे नेपाल से बिहार के मैदानी इलाकों में अत्यधिक गाद युक्त पानी लाने वाली नदियों से छेड़छाड न करने वाली लगभग सौ साल पुरानी मुहिम को अब धता बता दिया गया था। अंग्रेज इंजीनियरों की बाढ़ नियंत्रण तथा तटबंध विरोधी और बाढ़ समस्या को जल निकासी की समस्या के रूप में देखने वाली लॉबी बड़ी ही समर्थ और सक्रिय थी और उन्होंने ऐसे किसी भी काम का लगभग सफल विरोध किया जिससे बहते पानी के रास्ते में अड़चने पैदा होती हैं।
गंडक क्षेत्र और जल-जमाव का घाव
Posted on 04 Dec, 2015 04:29 PMगंडक उत्तर प्रदेश तथा बिहार की एक महत्त्वपूर्ण नदी है जो कि हिमालय पर्वतमाला से नेपाल के भैरवा जिले में त्रिवेणी नाम के कस्बे के पास मैदानों में उतरती है। इसका उद्गम स्थान 7,620 मीटर की ऊँचाई पर धौलागिरि पर्वत पर है। यह नदी पश्चिमी चम्पारण में वाल्मीकि नगर के पास नेपाल से बिहार (भारत) में प्रवेश करती है और 265 किलोमीटर दक्षिण पूर्व दिशा में बहती हुई हाजीपुर के पास गंगा में मिल जाती है।वाल्मीकि नगर के नीचे लगभग 18.5 किलोमीटर लम्बाई में यह नदी नेपाल बिहार की सीमा के रूप में तथा उसके नीचे प्रायः 80 किलोमीटर लम्बाई में उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा बनाते हुए बहती है। यदि केवल घाटी या जल ग्रहण क्षेत्र की बात की जाय तो इस नदी का विस्तार भारत में बहुत ज्यादा नहीं है।
नदियों की पवित्रता और उनकी सफाई
Posted on 21 Jun, 2015 01:54 PMदेश की कुछ महत्त्वपूर्ण नदियों के बारे में कूर्म पुराण की यह उक्ति बड़ी सामयिक है-“ऋषिः सारस्वतं तोSयं सप्ताहेनतु यामुनम्
सद्यः पुनाति गांगेयं दर्शनादैवतु नार्मदम्।”
काला पानी की कहानी
Posted on 04 Feb, 2015 04:26 PMपृष्ठभूमि
काला पानी का नाम सुनते ही जे़हन में आज़ादी की लड़ाई के बांकुरों की याद आना स्वाभाविक होता है। अण्डमान और नीकोबार द्वीप समूह में बनी काल कोठरियों की तस्वीरें आँख के सामने उभरने लगती हैं जहाँ देश की आज़ादी के लिए लड़ने वाले उन दीवानों को अंग्रेजों ने न जाने कितनी यातनाएँ दी होंगी। काला पानी की जिन्हें सजा हुई उनमें से लौटने की कल्पना शायद ही किसी ने की हो। कुछ खुशनसीब वहाँ से लौटे जरूर पर उनके दिलों में यह हसरत दबी रह गई कि देश के लिए जान कुर्बान कर देने का उनका सपना अधूरा रह गया।
सुदूर द्वीपों में बनी उन काल-कोठरियों और उससे जुड़ी त्रासदी को जिस किसी ने भी पहली बार काला पानी कहा होगा वह निश्चित ही भविष्य द्रष्टा रहा होगा।
बाढ़ तो फिर भी आएगी
Posted on 31 Jan, 2015 01:03 PM बिहार की गिनती भारत के सर्वाधिक बाढ़ प्रवण क्षेत्रों में होती है। राष्ट्रीय बाढ़ आयोग (1980) के अनुसार देश के कुल बाढ़ प्रवण क्षेत्र का 16.5 प्रतिशत हिस्सा बिहार में है, जिस पर देश की कुल बाढ़ प्रभावित जनसंख्या की 22.1 प्रतिशत आबादी है। इसका मतलब यह होता है कि अपेक्षाकृत कम क्षेत्र पर बाढ़ से त्रस्त ज्यादा लोग बिहार में निवास करते हैं।1986 की बाढ़ के बाद किए गए अनुमान के अनुसार यह पाया गया कि बाढ़ प्रवण क्षेत्र का प्रतिशत सारे देश के सन्दर्भ में बढ़कर 56.5 प्रतिशत हो गया है। इसका अधिकांश भाग उत्तर बिहार में पड़ता है जिसकी जनसंख्या 4.06 करोड़ (1991) है तथा क्षेत्रफल 54 लाख हेक्टेयर है। यहाँ की 76 प्रतिशत जमीन बाढ़ से प्रभावित है जबकि जनसंख्या घनत्व लगभग 754 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और सिंचाई समस्या
Posted on 19 Jan, 2015 12:25 PM बिहार राज्य के विभाजन के बाद से ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की माँग उठ रही है, मगर पिछले 12 वर्षों में इस दिशा में केन्द्र के समक्ष जो माँगें रखी गईं, उनका कोई परिणाम सामने नहीं आया है। आमतौर पर विशेष राज्य का दर्जा पाने के लिए जो शर्तें हैं, उन पर केन्द्र सरकार के अनुसार बिहार खरा नहीं उतरता।इसके लिए राज्य के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों की अधिकता, आबादी की छिटपुट रिहाइश, उस तक पहुँचने के लिए परिवहन और संचार की मंहगी व्यवस्था और इन्फ्रास्ट्रक्चर का नितान्त अभाव जैसी परिस्थितियाँ आवश्यक होती हैं। राज्य को विशेष दर्जा न दिए जाने के पीछे यही तर्क केन्द्र सरकार द्वारा दिया जाता है।